फतेह लाइव, रिपोर्टर. 

जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक और विधानसभा की विधानसभा की प्रत्यायुक्त समिति के चेयरमैन सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिख कर बोकारो जिले के बेरमो अनुमंडल में अवैध खनन, कोयला चोरी आदि के संबंध में जानकारी दी है।

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में सरयू राय ने कहा है कि बोकारो जिले के बेरमो अनुमंडल के कतिपय जागरूक नागरिक विगत कुछ दिनों से उनके पास उपर्युक्त विषय में ठोस सूचनाओं के आधार पर लिखित सूचनाएं भेज रहे हैं। उनकी पीड़ा है कि जिला प्रशासन, पुलिस एवं सीसीएल के संबंधित सक्षम पदाधिकारियों को जानकारी देने के बावजूद अवैध धंधा बदस्तूर चल रहा है और इसे रोकने तथा इसमें संलिप्त समूह के विरूद्ध कार्रवाई करने की दिशा में कुछ भी नहीं हो रहा है।

इसी वजह से अवैध धंधा करने वालो का मनोबल बढ़ा है और इसके विरुद्ध आवाज़ उठाने वालों का मनोबल गिरा है। इन नागरिकों ने उनसे (सरयू राय) अपेक्षा की है कि वह इस विषय को आप तक पहुँचाने में उनकी मदद करेंगे ताकि कोयला चोरी करने, अवैध कोयला खनन करने तथा अवैध कोयला प्रोसेसिंग उद्योग चलाने वालों के विरूद्ध कारवाई हो और अवैध धंधा पर रोक लगे।

राय के अनुसार, बेरमो अनुमंडल के पेंक नारायणपुर, नावाडीह, दुग्धा, पेटरवार, बोकारो थर्मल, कथारा ओपी, तेनुघाट ओपी जैसे विभिन्न थानों के क्षेत्रों में बाइक, वैन, ट्रैक्टर और ट्रकों के माध्यम से अवैध कोयले का धंधा बेरोकटोक जारी है। व्यवस्था में बदलाव होते रहता है, लेकिन धंधा बदस्तूर जारी है। पहले कोयले का यह अवैध धंधा थाना स्तर से संचालित होता था, लेकिन वर्तमान स्थिति और भी भयावह है। रामगढ़, धनबाद, गिरिडीह, हजारीबाग, रांची और बोकारो के संगठित धंधेबाज यह अवैध कारोबार चला रहे हैं। ये शासन-प्रशासन में अपनी गहरी पैठ की बात कहकर थाना में पदस्थापित पुलिस पदाधिकारियों को हटाने तक की धमकी देते हैं। कोयला तस्करी में लगे इन अवैध धंधेबाजों में पुलिस-प्रशासन का कोई खौफ नहीं दिखता है।

सरयू राय ने पत्र में लिखा है कि ये लोग पर्यावरण नियमों को भी ठेंगे पर रखते हैं। ये अवैध फैक्ट्रियां चला रहे हैं और पर्यावरण संरक्षण नियमों का घोर उल्लंघन कर रहे हैं। पर्यावरण नियमों के उल्लंघन वे कोल फैक्ट्रियां भी कर रही हैं, जो फैक्ट्री की आड़ में पोड़ा और स्टीम कोयले का अवैध कारोबार कर रही हैं। नागरिकों ने उन्हें जो सूची दी है, जिनकी कथित संलिप्तता इस अवैध कारोबार में है, वे इस प्रकार से हैः-

नावाडीह की चिरुडीह स्थित रूबी कोल फैक्ट्री, पेंक नारायणपुर की पिलपिलो स्थित जगदंबा कोल फैक्ट्री (रामा हरिया), पेटरवार की पिछरी स्थित निषाद कोल फैक्ट्री, गिरिडीह (निमियाघाट) की पोरदाग और खाकी स्थित कोल फैक्ट्रियां। इन सभी फैक्ट्रियों में शाम सात बजे से लेकर सुबह चार बजे तक बाइक, ट्रैक्टर और वैन से चोरी का कोयला पहुंचाया जाता है, जबकि बाइकों से तो सारा दिन कोयले की ढुलाई जारी रहती है।

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में सरयू राय ने लिखाः ये फैक्ट्रियां पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण के मानकों की धज्जियां उड़ा रही हैं। कोयला भट्टी (धवन भट्टी) में पोड़ा करने की बजाय इनके द्वारा अपने परिसर में खुले आसमान के नीचे पोड़ा किया जा रहा है। ये फैक्ट्रियां रिहायशी इलाकों के पास हैं, जहां ग्रामीण कार्बन मोनोऑक्साइड के भयंकर प्रदूषण की मार झेलने को विवश हैं। जिला में पर्यावरण संरक्षण समिति के अध्यक्ष खुद डीसी होते हैं, फिर भी उनकी ओर से कोई प्रभावी कार्रवाई न होना, स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।

राय के अनुसार, कोयले की यह चोरी मुख्य रूप से सीसीएल के बी एंड के तथा कथारा और ढोरी एरिया के खदानों से हो रही है। इसके अलावा पेंक नारायणपुर के तापानी, चरकपनिया, पिलपिलो, बोकारो थर्मल के जारंगडीह, कथारा कोलियरी, रेलवे साइडिंग, कुसुमडीह और सीसीएल कारो स्पेशल फेज-2 की बंद खदानों से अवैध खनन कर कोयला निकाला जा रहा है। कतिपय सोशल मीडिया द्वारा प्रसारित सूचना के अनुसार कोयला के इस अवैध खनन का परिवहन मोटर साइकिल, वैन, ट्रैक्टर आदि से निम्नांकित दरों पर हो रही हैः-मोटर साइकिल से परिवहन में प्रति मोटर साइकिल प्रति माह ₹3,000, प्रति वैन प्रति माह ₹50,000 से ₹60,000 तथा ट्रैक्टर से परिवहन में प्रति ट्रैक्टर ₹1,000 रुपया का भुगतान अवैध परिवहनकर्ताओं को किया जाता है।

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