फतेह लाइव, रिपोर्टर.
बी एड के छात्रों और शिक्षकों के लिए उन्होंने कहा कि हम अक्सर खुशी के पीछे दौड़ते रहते हैं. हर बार हमारे सामने खुशी का गाजर लटका दिया जाता है जिसे पाने के लिए हम सारी जिन्दगी दौड़ते रहते है, दरअसल सच्ची खुशी हमारे अंदर ही है.
हम अक्सर यह गलती करते हैं कि बड़ा घर, बांग्ला, मोटर कार , टी.वी, फ्रिज ,से खुशी मिलेगी लेकिन यह सब क्षणिक खुशी है.
उन्होंने महाभारत रामायण भगवद् गीता ,बाइबल, गुरु ग्रंथ साहिब, से अनेक कहानियों के माध्यम से समझाया कि खुशी को हम कैसे खोज सकते हैं.
जब हम प्रभु को प्रथम स्थान देते हैं तो बाकी सभी चीज अपने सही स्थान में स्वत: बैठ जाती है. पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं, जो छूट गया वह हमारा था ही नहीं. किसी ने पूछा कि आपको किसने दुख दिया इसका जवाब है कि मेरी अपनी उम्मीदों और अपने ख्वाइशों ने ही मुझे सबसे ज्यादा दुख दिया है. यदि हम किसी से उम्मीद ना करें तो हमें दुख भी नहीं मिलेगा.
आज के इस विशेष सत्र में डीबीएमएस ट्रस्ट के चेयरपर्सन बी चंद्रशेखर, सचिव श्रीप्रिया धर्मराजन , प्राचार्या डॉ जूही समर्पिता और सभी शिक्षक गण उपस्थित थे.छात्रों ओर शिक्षकों ने अनेक प्रश्न पूछे.