फतेह लाइव, रिपोर्टर.
कांग्रेस नेता डॉ. अजय कुमार छिछोरी हरकत कर रहे हैं। उन्होंने कल जमशदेपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का पुतला फूंकवाया और उनके बारे में अभद्र वक्तव्य दिया एवं दिलवाया। भारतीय जनतंत्र मोर्चा चाहे तो चौक-चौराहे पर उनका पुतला भी फूंक सकता है। उन्होंने विधायक सरयू राय को सार्वजनिक बहस की चुनौती दी है। हम उनका निमंत्रण स्वीकार करते हैं। पहले वे मेरे जैसे भाजमो के कार्यकर्ता से बहस कर लें, औकात पता चल जाएगी। इस बहस के लिए वे समय एवं स्थान तय कर ले, हम उनकी मुराद पूरी कर देंगे।
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भुईंयाडीह की इन्द्रानगर-कल्याणनगर के बस्तियों के करीब 150 घरों को तोड़ने के लिए जमशेदपुर के अंचल अधिकारी ने जो नोटिस दिया है. डॉ. अजय कुमार उसके लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा द्वारा एनजीटी को लिखे एक पत्र को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वे बता रहे थे कि एनजीटी कोलकाता बेंच के 30 जनवरी 2024 के एक आदेश में इसका उल्लेख है।
वे भूल जाते हैं कि एनजीटी की मुख्य बेंच, नई दिल्ली के दिनांक 20.09.2023 के आदेश में यह अंकित है कि 30.08.2023 को प्राप्त मुंडा के पत्र में लिखा है कि स्वर्णरेखा नदी के तल में बड़ी संख्या में बहुमंजिली इमारतें खड़े हो रही हैं। एनजीटी जाँच करे कि इससे नदी के पर्यावरण पर कुप्रभाव पड़ रहा है या नहीं। परन्तु डॉ. अजय कुमार इसे तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं और इन्द्रानगर-कल्याणनगर की बस्तियों के घरों को तोड़ने की नोटिस को इस पत्र के साथ जोड़ रहे हैं। यदि अर्जुन मुंडा के पत्र में किसी बस्ती का जिक्र नहीं है तो फिर वे लोगों के सामने झूठ क्यों परोस रहे हैं ?
एनजीटी ने इस मामले में झारखण्ड सरकार से जवाब मांगा है। झारखण्ड सरकार ने इसके लिए एक संयुक्त जाँच समिति गठित किया है। इस समिति ने अपना प्रतिवेदन 13 मार्च, 2024 को दिया, जिसे पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त ने शपथ पत्र पर एनजीटी के कोलकाता बेंच में दाखिल किया है। कोलकाता बेंच के दिनांक 26.04.2024 के आदेश की कंडिका में इसका उल्लेख है, जिसमें कहा गया है कि सोनारी-दोमुहानी से कपाली तक क्षेत्रीय अमीन, राजस्व उप निरीक्षक और क्षेत्रीय निरीक्षक ने संयुक्त निरीक्षण कर प्रतिवेदन दिया है। जब पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त ने दोमुहानी से कपाली तक का सर्वेक्षण एनजीटी के सामने प्रस्तुत किया तो डॉ. अजय कुमार को बताना चाहिए कि उनकी पार्टी की झारखण्ड सरकार के जमशेदपुर अंचल अधिकारी ने इसमें इन्द्रानगर-कल्याणनगर की बस्तियों को किसके आदेश पर जोड़ दिया है ?
एक अन्य जाँच समिति जल संसाधन विभाग के सचिव की अध्यक्षता में भी बनी है। इस समिति ने दोमुहानी से बालीगुमा नाला तक की क्षेत्र की जाँच की है और मानगो क्षेत्र की बस्तियों के उन घरों को चिन्हित किया है जो नदी तट से 10 से 15 मीटर से कम दूरी पर हैं। यह इलाका डॉ. अजय कुमार के घनिष्ठतम सहयोगी और झारखण्ड सरकार में मंत्री बन्ना गुप्ता के विधानसभा क्षेत्र का है।
डॉ. अजय कुमार बताएं कि इस क्षेत्र के कितने लोगों के घरों को तोड़ने के लिए प्रशासन ने नोटिस दिया है और यदि नहीं दिया है तो क्यों ? इसके बदले इन्द्रानगर-कल्याणनगर केे घरों को नोटिस देने का फैसला किसके इशारे पर हुुआ है ? क्या डॉ अजय कुमार और बन्ना गुप्ता इसकी जिम्मेदारी लेंगे ?
अर्जुन मुंडा ने नदी तट पर बेतहाशा खडे़ हो रहे बहुमंजिली इमारतों से नदी को बचाने के लिए एनजीटी को पत्र लिखा है। अब बहुमंजिली इमारतों की जगह डॉ. अजय कुमार की झारखण्ड सरकार ने बस्तियों के घरों को तोड़ने की नोटिस किसके आदेश पर दिया है ? क्या इसमें डॉ. अजय कुमार उनके घनिष्ठ सहयोगी बन्ना गुप्ता की साजिश है ? आखिर डॉ. अजय कुमार की पार्टी की झारखण्ड सरकार और उनके घनिष्ठ स्थानीय मंत्री श्री बन्ना गुप्ता बस्तियों के घरों को चिन्हित करने और उन्हें तोड़ने की नोटिस देने की साजिश किसके इशारे पर कर रहे हैं ?
एनजीटी ने झारखण्ड सरकार के मुख्य सचिव को भी इस बारे में शपथ पत्र देने के लिए कहा है। डॉ. अजय कुमार को चाहिए कि अपने घनिष्ठतम झारखण्ड सरकार के कैबिनेट मंत्री को साथ लेकर मुख्य सचिव के पास जायें अथवा अपने सरकार के कैबिनेट से मुख्यमंत्री को निर्देश दिलवायें कि वे अपने शपथ-पत्र में इन्द्रानगर-कल्याणनगर एवं अन्य बस्तियों के घरों को तोड़ने के निर्णय को वापस ले लेने की बात कहें। स्पष्ट है कि इन्द्रानगर-कल्याणनगर के घरों की बस्तियों को तोड़ने की नोटिस झारखण्ड सरकार के इशारे पर की गई है। झारखण्ड सरकार की संयुक्त जाँच समिति बहुमंजिली इमारतों की जगह बस्तियों के घरों को नदी के लिए खतरा बता दिया है। डॉ. अजय कुमार को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अर्जुन मुंडा के पत्र के बहाने बस्तियों को तोड़ने की सरकारी साजिश के लिए माफी मांगनी चाहिए।