- एक तरफ पारदर्शिता और सेवा का प्रतीक, दूसरी ओर विवादों में घिरे वर्तमान अध्यक्ष, मतदाताओं के सामने बड़ा फैसला
फतेह लाइव, रिपोर्टर
झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन, जो वर्षों से राज्य में सामाजिक समरसता, सेवा और संस्कृति के संवाहक के रूप में स्थापित रहा है, अब नेतृत्व संकट के दौर से गुजर रहा है. इसी पृष्ठभूमि में 13 अप्रैल 2025 को सम्मेलन के प्रांतीय अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होने जा रहा है. यह चुनाव महज दो प्रत्याशियों के बीच नहीं बल्कि दो सोच, दो दृष्टिकोण और दो कार्यशैलियों के बीच का चुनाव बन गया है. सुरेश चंद्र अग्रवाल जहां सेवा, संस्कार और संगठन के प्रतीक हैं, वहीं वर्तमान अध्यक्ष बसंत कुमार मित्तल पर कार्यकाल के दौरान अनुशासनहीनता, पारदर्शिता की कमी और स्वार्थपूर्ण निर्णय लेने जैसे गंभीर आरोप हैं.
इसे भी पढ़ें : Giridih : भाकपा-माले का प्रखंड सम्मेलन सम्पन्न, मसूदन कोल्ह बने प्रखंड सचिव
चुनाव नहीं, संगठन की आत्मा का फैसला है यह – वरिष्ठ सदस्यों की राय
सुरेश चंद्र अग्रवाल का सामाजिक जीवन सेवा कार्यों से ओतप्रोत रहा है. उन्होंने रांची जिला अध्यक्ष के रूप में जो आदर्श प्रस्तुत किया, वह आज भी चर्चा में है. ‘अन्नपूर्णा सेवा’ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से उन्होंने हजारों जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाया. उनकी कार्यशैली में संयम, संवाद और समर्पण की झलक साफ नजर आती है. यही कारण है कि रांची, धनबाद, चास-बोकारो, पूर्वी सिंहभूम, देवघर, हजारीबाग सहित कई जिलों के प्रतिनिधि उनके समर्थन में एकजुट हैं. श्री अग्रवाल कभी पद के लिए नहीं लड़े, बल्कि पद ने उन्हें उनके कार्यों के कारण अपनाया.
इसे भी पढ़ें : Jamshedpur : ट्रैफिक जांच के नाम पर पुलिस आतंक फैला रही है – सरयू राय
सेवा, संस्कार और सादगी की मिसाल हैं सुरेश चंद्र अग्रवाल
वहीं दूसरी ओर, बसंत कुमार मित्तल के कार्यकाल में संगठन कई बार विवादों में घिरा रहा. चुनाव हारने के बाद समानांतर संस्था ‘अग्रवाल सम्मेलन’ बनाकर समाज में भ्रम और विभाजन की स्थिति उत्पन्न की गई. “प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन ट्रस्ट” नामक निजी ट्रस्ट बनाकर लगभग दो करोड़ की चंदा राशि का पारदर्शी लेखा-जोखा न देना, बड़े आरोपों में से एक है. साथ ही सदस्यता प्रक्रिया में जिलों को दरकिनार कर शाखाओं से सीधे सदस्य जोड़ने और राजनीतिक महत्वाकांक्षा को समाजसेवा से ऊपर रखने जैसे फैसलों ने वर्तमान नेतृत्व की साख को कमजोर किया है.
इसे भी पढ़ें : Jamshedpur : अग्निकांड पीड़ित परिवार की मदद को आगे आए विधायक मंगल कालिंदी
विवादों, अनियमितताओं और स्वार्थ से घिरा रहा मित्तल जी का कार्यकाल
अब जब पूरा समाज नेतृत्व की नई दिशा और पहचान चाहता है, तो यह चुनाव सिर्फ चेहरे का नहीं, चरित्र का चयन है. मतदाताओं से अपील की गई है कि वे “पहले मतदान, फिर जलपान” के संदेश को आत्मसात करें और अपने विवेक से संगठन के उज्जवल भविष्य का मार्ग तय करें. यह समय है जब “एक और एक – ग्यारह” की भावना को जीवंत कर संगठन को एकता, सेवा और समर्पण के पथ पर लौटाया जाए.