• फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को जनभागीदारी से सफल बनाने की अपील

फतेह लाइव, रिपोर्टर

पूर्वी सिंहभूम जिले में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत 10 फरवरी से 25 फरवरी तक दवा वितरण किया जा रहा था, जिसे अब 10 मार्च तक बढ़ा दिया गया है. यह अभियान जिले के विभिन्न क्षेत्रों में संचालित किया जा रहा है, जिसमें बोड़ाम, पटमदा, पोटका, गोलमुरी, जुगसलाई और शहरी क्षेत्र सहित कुल 18 लाख 27 हजार 932 लोगों को अल्बेंडाजोल और डीईसी की दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है. इस अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग, समाज कल्याण विभाग और एनजीओ की टीमें घर-घर जाकर लोगों को यह दवा प्रदान कर रही हैं. उपायुक्त अनन्य मित्तल ने इस अभियान की समीक्षा करते हुए कहा कि एक भी घर इस अभियान से वंचित नहीं रहना चाहिए और सभी नागरिकों को दवा उपलब्ध कराई जाए.

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जिला दण्डाधिकारी ने अभियान की सफलता के लिए जनभागीदारी को महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि कुछ लोग दवा का सेवन करने से इन्कार कर सकते हैं, ऐसे लोगों को फाइलेरिया से होने वाली गंभीर समस्या और हाथी पांव के दुष्परिणाम के बारे में समझाना जरूरी है. इसके अलावा, आवासीय सोसायटी में पदाधिकारियों से बात करने और ईंट भट्ठा, खेतों और अन्य कार्यस्थलों पर काम करने वालों के लिए दवा वितरण के लिए निर्देश दिए गए हैं. टीमों को सक्रिय करने और घरों का औचक निरीक्षण करने के लिए भी निर्देश दिए गए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दवा का वितरण सही ढंग से हुआ है.

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फाइलेरिया, जिसे आमतौर पर हाथी पांव के नाम से जाना जाता है, मच्छरों के काटने से फैलता है और यह दूसरी सबसे ज्यादा विकलांगता और कुरूपता का कारण बनता है. यह बीमारी आमतौर पर बचपन में शरीर में प्रवेश करती है और इसका पता 5 से 15 साल में चलता है. हालांकि, यदि समय रहते इलाज हो जाए तो हाइड्रोसील का इलाज संभव है, लेकिन अन्य अंगों में होने वाली सूजन आमतौर पर लाइलाज रहती है. फाइलेरिया के लक्षणों से बचने के लिए सिर्फ साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करना जरूरी है. इस दवा से शरीर के अंदर मौजूद फाइलेरिया के कीड़े मर जाते हैं, जिससे इस बीमारी का समूल नाश संभव हो पाता है.

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