फतेह लाइव, रिपोर्टर.






































सिंहभूम जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन/तुलसी भवन द्वारा संस्थान के मानस सभागार में साहित्य समिति के सदस्य सह नगर के वरीय साहित्यकार श्री माम चन्द्र अग्रवाल उर्फ वसंत जमशेदपुरी की वसंत सतसई “मुट्ठी भर वातास” का लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता तुलसी भवन के न्यासी श्री अरुण कुमार तिवारी ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि अरका जैन विश्व विद्यालय के निदेशक डाॅ० अंगद तिवारी तथा विशिष्ट अतिथि संदीप मुरारका मंचासीन रहे, जबकि कार्यक्रम का संचालन साहित्य समिति की उपासना सिन्हा ने की।
दीप प्रज्वलन के साथ समारोह की शुरुआत हुई। सरस्वती वंदना डाॅ० वीणा पाण्डेय ‘भारती’ ने प्रस्तुत किया। स्वागत वक्तव्य तुलसी भवन के मानद महासचिव डाॅ० प्रसेनजित तिवारी ने दिया। लोकार्पित पुस्तक ” मुट्ठी भर वातास “पर पाठकीय प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दिव्येन्दु त्रिपाठी ने कहा कि ‘मुट्ठी भर वातास’ विभिन्न सामयिक एवं भावनात्मक विषयों पर 700 दोहों का संकलन है।
इसमे श्रृंगार तथा सांस्कृतिक विषयों की विशेष चर्चा है। विशिष्ट अतिथि मुरारका ने कहा कि जमशेदपुरी जी एक किताब की तरह हैं जो अल्फ़ाज़ों से भरे हुए हैं लेकिन मौन हैं। जबकि मुख्य अतिथि डाॅ० अंगद तिवारी ने कवि जमशेदपुरी के बारे में बोलते हुए कहा कि उन्होने वही बातें लिखी है जो समाज मे घटित हो रही हैं।
मौके पर रचनाकार वसंत जमशेदपुरी का संक्षिप्त साहित्यिक परिचय कैलाश नाथ शर्मा ‘गाजीपुरी’ ने प्रस्तुत किया। तत्पश्चात डाॅ० यमुना तिवारी ‘व्यथित’ ने जमशेदपुरी का काव्यात्मक परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन ब्रजेन्द्र नाथ मिश्र द्वारा दी गई।
इस अवसर पर मुख्य रुप से संस्थान के कार्यक्रम संयोजक डाॅ० अजय कुमार ओझा, नीलिमा पाण्डेय, जूही समर्पिता, डाॅ० यमुना तिवारी व्यथित, वीणा पाण्डेय भारती, उपासना सिन्हा, सुरेश चन्द्र झा, प्रकाश मेहता, शिप्रा सैनी मौर्या, राजेन्द्र राज, अनिता निधि, दिव्येन्दु त्रिपाठी, कैलाश नाथ शर्मा “गाजीपुरी”, राजेन्द्र सिंह, कन्हैया लाल अग्रवाल, ममता कर्ण, डाॅ० उदय प्रताप हयात, पूनम शर्मा स्नेहिल, नीलाम्बर चौधरी, पुनम सिंह, उमा पाण्डेय, चंदा कुमारी, वीणा कुमारी नंदिनी, रीना गुप्ता, बलविन्दर सिंह, हरभजन सिंह रहबर, माधुरी मिश्रा, नीलम पेडिवाल, शकुन्तला शर्मा, अनिता सिंह, रीना सिन्हा, मुकेश रंजन, सरोज कुमार सिंह ‘मधुप’ सहित शताधिक साहित्यकारों की उपस्थिति रही।