क्या ज़िला प्रशासन की कार्रवाई दिखावा मात्र है या फिर हाईकोर्ट के आदेश की खुलेआम पटाखा व्यापारियों द्वारा उड़ाई जा रही है धज्जियां
फतेह लाइव, रिपोर्टर.
जमशेदपुर का जुगसलाई इन दिनों पटाखा के नाम पर खूब चर्चित है. वैसे तो हाइ कोर्ट का आदेश है जुगसलाई में पटाखा बिक्री पर पूर्ण रूप से रोक है. पर यह आदेश कोर्ट तक ही सीमित रह गया है, क्योंकि पटाखा व्यवसायी खुलेआम ज़िला प्रशासन को चुनौती दे रहे हैं. आप प्रदीप मिश्रा चौक से शुरू करिये एके ट्रेडर्स नाम के दुकान से पटाखा का दुकान शुरू होता है. बाटा चौक के पास इसका अंत होता है.
खुलेमाम अब लगन में पटाखा का कारोबार होता नज़र आएगा. आम व्यक्ति इस दृश्य को देख सकता है, पर जुगसलाई नगर परिषद और जुगसलाई थाने की निगाहें इस ओर नहीं जाती, क्योंकि बात ही कुछ और है. ऐसा लगता है अब हाईकोर्ट के आदेश को इन्होंने चुनौती देने की ठान ली है.
बड़े व्यापारी भी जिला प्रशासन को लगा रहे हैं चूना
आप जुगसलाई स्टेशन रोड आ जाये, वैसे तो आर ए ट्रेडर्स, पी के ट्रेडर्स की लाइसेंस दुकानें हाइवे में है, पर लगन के समय उनकी बगैर लाइसेंस वाली दुकानों में पटाखों का भंडार आप आसानी से देख सकते हैं. इनकी आड़ में प्रदीप मिश्रा चौक से बाटा चौक तक पटाखा दुकानदार बगैर अनुमति के अपने दुकानों में भर-भर पर पटाखा का भंडारण करते हैं और फिर ग्राहकों को सड़क से ऐसे तानते हैं, मानो जुगसलाई में पटाखों का बहुत बड़ा सेल लगा हो.
इस बार दीवाली मे उपायुक्त के आदेश की भी उड़ाई गई धज्जियां
इस दिवाली में तो आश्चर्यचकित करने वाली घटना घटी. अस्थाई तौर पर दुकानों के लिए लाइसेंस निर्गत हुआ जुगसलाई पटेल स्कूल में, पर बिचौलिए और कुछ पटाखा व्यवसाययों की मिली भगत से प्रशासन को खुली चुनौती देते हुए जुगसलाई नगर परिषद पार्क में ही पटाखा का दुकान लगा दिया गया. बिचौलिए विनोद गुलाटी ने तो साफ तौर पर प्रशासन को चुनौती दे डाली. खैर इन्होंने जो चुनौती दी इन्हें साफ पता था कि जिला प्रशासन के द्वारा करवाई होगी ही नही. ऐसे में इनका मंसूबा सही ही था.
क्या अब कोई भी आसानी से जुगसलाई में पटाखा का कारोबार कर सकता है!
लगातार ऐसी घटनाओं को देखते हुए जुगसलाई में बहुत जल्द बड़े स्तर पर पटाखा का कारोबार शुरू होने वाला है, क्योंकि अब आम लोगों के अंदर यह बात पूरी तरह से साफ हो चुकी है कि हाईकोर्ट का आदेश हो या फिर उपायुक्त का आदेश, वह सिर्फ कागजों पर ही सीमित है, क्योंकि ऐसा इसलिए कहा जा रहा है पटाखा व्यवसायी इसे प्रमाणित करते नजर आ रहे हैं. सवाल उठता है कि क्या दीपावली के त्यौहार के समय ही प्रशासन की नींद खुलती है या फिर सब तरफ साठगांठ है. क्या इस पर कार्रवाई होगी या फिर कार्रवाई कागज़ों में होगी.
