फतेह लाइव, रिपोर्टर.






































जमशेदपुर के सिख समाज के लिए सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा इन दिनों लिए गए फैसले पर सिख राजनीति गरमाई हुई है. वैसे तो समाज का हर मुद्दा ही गर्म हो जाता है, जिसकी संगत आवाज उठाने से पीछे नहीं हटती, लेकिन उस पर अमल करना या ना करना सामाजिक आगओं पर निर्भर करता है. कुछ ऐसे ही एक मामले का विरोध फिर होने लगा है.
सीजीपीसी के पूर्व महासचिव जसवंत सिंह भोमा ने सिख समाज की आवाज को बुलंद किया है. उनके अनुसार जमशेदपुर के सिखों की सर्वोच्च संस्था सेंट्रल गुरुद्वारा कमेटी के चेयरमैन सरदार शैलेन्द्र सिंह बर्मामाइंस थाना अंतर्गत लाल बाबा (टाटा फाउंड्री) के अन्दर अवैध रूप से बने बड़े कारोबारियों व रसूखदारों के गोदामों को तोड़ने का न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीजीपीसी के चेयरमैन की हैसियत से उच्च न्यायालय जाने की घोषणा की है.
इसकी जानकारी उन्हें मीडिया जगत से मिली है. इस पर भोमा ने कहा कि यह फैसला सीजीपीसी के आधार पर सही प्रतीत नहीं होता है, क्योंकि सीजीपीसी का गठन हमारे बुजुर्गों ने 1942 में सिखों के धार्मिक और सिखों के साथ जुड़े समाजिक कार्यों के लिए किया था, न कि राजनीति करने के लिए?
उन्होंने कहा कि जहां तक गोदामों को तोड़ने की बात है तो वहां दूसरे समाज के लोगों के भी गोदाम हैं. यदि विशेष तौर पर किसी सिख को निशाना बनाया जाता, तो सारा सिख समाज उसके साथ खड़ा होता, परन्तु यहां ऐसा नहीं है, इसलिए सीधे तौर पर इसमें सरकार के आदेश के खिलाफ जाना उचित नहीं होगा.
फ़ोटो में साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि सिख समाज के द्वारा निर्वाचित प्रधान सरदार भगवान सिंह और उनके महासचिव गुरुचरण सिंह बिल्ला दोनों किनारे पर बैठे हैं और शैलेन्द्र सिंह बीच में बैठकर बयान दे रहे हैं.
शैलेन्द्र सिंह चाहें तो व्यक्तिगत तौर पर गोदाम वालों की सहायता करें, किसी के कारोबार या घर को टूटने से बचाने में जो मदद कर सकते हैं करें, वो स्वतंत्र है.
इसे लेकर जसवंत सिंह भोमा ने प्रधान से अनुरोध किया है कि इस प्रकरण में कुछ भी बयानबाजी करने से परहेज़ करें और यह काम राजनीतिक पार्टियों पर छोड़ दें जिनकी ये जिम्मेदारी है.