खालसा बनने के लिए स्वरूप एवं गुण दोनों जरूरी: जमशेदपुरी
Jamshedpur.
जमशेदपुर के युवा सिख प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने खालसा सृजन दिवस की पूर्व संध्या पर जमशेदपुर के तमाम सिख नौजवानों से अपील की है की वे टोपी त्याग कर दस्तार सजाने की शपथ लें.
गुरुवार को वैसाखी के पावन मौके पर हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने सिख युवकों के नाम सन्देश देते हुए कहा है कि खालसा बनने के लिए स्वरुप एवं गुण दोनों का होना अत्यंत आवश्यक है, इसलिए नौजवान दस्तार को अपना ताज मान कर हरवक्त सर पर सजायें. यह एक सिख होने की पहचान है.
जमशेदपुरी का कहना है कि गुरु साहिब दसमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने सन 1699 ईसवी की वैसाखी में तमाम सिख जगत को एक अकाल पुरख से जोड़ते हुए खंडे बाटे की पाहुल देकर यह आदेश दिया कि हर सिख एक समान है. हर सिख जात, पात, त्याग के सिर्फ और सिर्फ सिख हो. कोई ऊंचा नहीं कोई नीचा नहीं. बशर्ते वो परमात्मा के हुक्म पर चले. गुरु साहिब ने उन दिनों तकरीबन 80000 हजार सिखों से सिक्खी के लिए कुर्बान होने वाले कुछ शीश मांगे थे, जिसमें 5 प्यारे सबसे पहले आगे आए. जिन्हें आज भी अरदास में याद किया जाता है.
उन्होंने वैसाखी के अवसर पर सभी गुरुद्वारा कमिटियों से इल्तेजा करते हुए कहा है कि वे सिख नौजवानों को प्रोत्साहित करें. हर नौजवान वैसाखी में अपने सरों में दस्तार जरूर सजाए. साथ ही साथ गुरुद्वारा कमिटियां गुरुघरों में कीर्तन के अलावा संगत को इतिहास से भी अवगत कराए.
उन्होंने हर गुरुद्वारा साहिब में एक प्रचारक नियुक्त करने की भी वकालत ओहदेदारों से की, ताकि नौजवानों को श्री गुरुग्रंथ साहिब के असल सार से अवगत हो सकें.
जमशेदपुरी वैसाखी के मौके पर 14 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में संगत को खालसा सृजन दिवस पर प्रचार के माध्यम से वैसाखी के इतिहास से अवगत कराएंगे.