फतेह लाइव, रिपोर्टर
झारखंड ब्राह्मण शक्ति के केन्द्रीय कमेटी ने 25 अप्रैल, 2025 को आगामी 29 अप्रैल, अक्षय तृतीया के दिन भगवान श्री परशुराम जयंती को हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी “ब्राह्मण शक्ति दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की है. यह कार्यक्रम बाराद्वारी स्थित विश्वकर्मा भवन में संध्या 4 बजे से आयोजित किया जाएगा. कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रभारियों को नियुक्त किया गया है. कार्यक्रम प्रभारी के रूप में डॉ. पवन पांडेय और श्री अशोक पांडेय, प्रचार प्रसार प्रभारी के रूप में उमलेश पांडेय और मिथलेश दूबे, कोष प्रभारी के रूप में श्री संजय मिश्रा और योगेश दूबे, मंच प्रभारी के रूप में श्री चंद्र प्रकाश शुक्ला और श्रीमती विजया वासनी पांडेय, अतिथि प्रभारी के रूप में जितेन्द्र मिश्रा और रामानुजन चौबे, तथा खानपान प्रभारी के रूप में श्री पप्पू पांडेय और ललित पांडेय को नियुक्त किया गया है.
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भगवान श्री परशुराम के जीवन और शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालेगा कार्यक्रम
इस कार्यक्रम के माध्यम से संघ पूरी ब्राह्मण समाज, सनातन संस्कृति, और हिंदू समाज को उनके परम आराध्य भगवान श्री परशुराम की शिक्षाओं से अवगत कराएगा. भगवान श्री परशुराम का जीवन शास्त्र और शस्त्र दोनों के ज्ञान के अनुपम उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा. उन्होंने हमेशा सभ्य समाज को यह समझाया कि शास्त्रों के साथ शस्त्रों का ज्ञान कितना आवश्यक है. जब से ब्राह्मण समाज शस्त्रों से दूर हुआ है, तब से मानवीय मूल्यों को कुछ लोगों द्वारा नजरअंदाज करने की कोशिश की जा रही है. इतिहास इस बात का गवाह है कि जब भी ब्राह्मणों और सनातन संस्कृति ने शस्त्रों को अपनाया, असुरी और अनैतिक ताकतें कमजोर हुईं.
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शास्त्र और शस्त्र का संतुलन, भगवान श्री परशुराम का संदेश
संघ का यह मानना है कि शक्ति हमेशा सही हाथों में होनी चाहिए, क्योंकि जब शक्ति गलत हाथों में होती है, तो उसका दंश केवल समाज ही नहीं, बल्कि समूचे विश्व को भुगतना पड़ता है. शस्त्रों को ना अपनाना समाज और व्यक्ति को शक्ति विहीन करता है और उन्हें दूसरों पर निर्भर होने के लिए विवश करता है. इसके परिणामस्वरूप, जब प्रतिकूल परिस्थितियाँ आती हैं, तो समाज या व्यक्ति पलायनवाद को प्राथमिकता देने लगते हैं और बिना संघर्ष किए परिस्थितियों से पीछे हटने का विकल्प चुनते हैं. इसीलिए भगवान श्री परशुराम के शास्त्र और शस्त्र के ज्ञान को आज के समय में अपनाना और अनुसरण करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि सभ्य समाज इन समस्याओं का सामना कर सके और मजबूत बने.