फतेह लाइव, रिपोर्टर.


गुरु प्यारी संगत जी,
यह तो एक दिन होना ही था। लेकिन संगत गुरु की आवाज होती है और उसे यह देखना चाहिए। कौन व्यक्ति विवेकशील है ? कौन गुरु मर्यादा पर चलने वाला है? कौन गुरु घर की सेवा मर्यादित ढंग से करना चाहता है।
बारीडीह गुरुद्वारा कमेटी के अधीन तकरीबन 300 परिवार सहयोग करती है। यहां प्रधान बनाने का फैसला 10 परिवार के लोग नहीं ले सकते हैं।
किसी को शक नहीं होना चाहिए कि यह गुरुद्वारा साहब के लिए जमीन और भवन ट्यूब कॉलोनी और बारीडीह के लोगों के अथक मेहनत से शुरुआत हुई।
कुछ लोग यहां जागीरदार करना चाहते हैं। अपनी मर्जी से गुरुद्वारा साहब कमेटी को चलाना चाहते हैं। उनकी मनमानी रोकी गई तो इस तरह से फैसला लिया गया। जो संविधान के अनुसार सही नहीं है। क्या एक विधायक 5 साल के लिए चुना जाए तो क्या उसे हम बीच में हटा सकते हैं।
गुरुद्वारा साहब का एक-एक पाई सही जगह लगाया है एक पाई मैंने कभी नहीं ली।
मैं शायद ऐसा पहले प्रधान होगा जिसने पैसे को हाथ भी नहीं लगाया और ऑफिस की चाबी भी मेरे पास नहीं है। मैंने चाबी भी नहीं ली।
फिर ताला बदलने का क्या फायदा है।
ताला की चाबी महासचिव सुखविंदर सिंह , ज्ञानी कुलदीप सिंह , वीर संदीप सिंह सोनू, सरदार अवतार सिंह सोखी, सरदार करतार सिंह, सरदार बलविंदर सिंह के पास है।
मैं सुबह में माथा टेकने एवं शाम को रहरास पाठ में शामिल होने जाता था और सारा काम संगत एवं कमेटी की ओर से अच्छे ढंग से सरदार सुखविंदर सिंह कर रहे थे और सरदार बलविंदर सिंह और सरदार अवतार सिंह सोखी उसमें बड़ा सहयोग दे रहे थे।
मैं जानता था कि जिस तरह से आया उसी तरह से जाऊंगा।
लेकिन मुझे दुख रहेगा कि जिस स्त्री सत्संग सभा की बहनों के मामले में कभी मैंने दखल नहीं दिया नौजवान सभा के बारे में कभी कुछ नहीं कहा।
नौजवान सभा के लिए बहन रानी को और कहती थी मनप्रीत सिंह को अध्यक्ष बना दो। मैंने उनकी नहीं सुनी। जग्गी के बारे में वीर सविंदर सिंह कहता था कि उसको बने नहीं देना है। विक्रम मेरा छोटा भाई है और सरदार जसवंत सिंह और विक्रम के बारे में पूर्व प्रधान सरदार जसपाल सिंह क्या कहते थे उसका जिक्र में यहां नहीं करना चाहता।
मुझे हमेशा दुख रहेगा कि मेरी स्त्री सत्संग सभा की बड़ी बहन छोटी बहन बहू आई और मैं भावावेश में कुछ ज्यादा ही कह दिया होगा । लेकिन मैं साफ कहता हूं कि धीरमल वालों से संबंध रखने से गुरु महाराज ने माना ही की है।
फिर जो मर्यादा का जीवन नहीं जीता उसके पीछे जाने की क्या जरूरत है।
मैं शुरू से कहता आया था कि अध्यक्ष अवतार सिंह सोखी जी को बनना चाहिए और मैं हर बार यही कह रहा था कि मेरे बाद अवतार सिंह सोखी जी ही प्रधान बनेंगे। अगला प्रधान बागून नगर से होगा।
लेकिन फिर मैं कह रहा हूं कि दस बारह परिवार फैसला नहीं ले सकते और उसे फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
सरदार अवतार सिंह जी सोखी के बेटे सरदार बलकार सिंह (जो माननीय विधायक सरयू राय जी की पार्टी का नेता है) ने मुझे थप्पड़ मार कर मुंह लाल करने की धमकी दी है मैं उसके लिए भगवान से क्षमा मांगता हूं।
और मैं भी कुछ ज्यादा कह दिया होगा और मेरी बहनों को खराब लगा होगा या संगत जी को खराब लगा होगा तो मैं उसके लिए माफी भी मांगता हूं लेकिन मैं इस फैसले को स्वीकार नहीं कर सकता।
अवतार सिंह सोखी को इंतजार करना होगा और प्रक्रिया के तहत आना होगा।
जिसने ताला लगाया है मैं उससे आग्रह करता हूं कि ताला खोल दीजिए वहां बैठकर महासचिव को अपना ऑफिस का काम करना है।