डीबीएमएस कॉलेज ऑफ एजुकेशन में स्वामी विवेकानंद जयंती आयोजित
फतेह लाइव, रिपोर्टर.
जमशेदपुर के डी.बी.एम.एस. कॉलेज ऑफ एजुकेशन में स्वामी विवेकानंद जयंती का भव्य और उत्साहपूर्ण आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों और शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज की सचिव श्रीप्रिया धर्मराजन, सह-सचिव सुधा दिलीप, प्राचार्या और प्रबंधन समिति के सदस्यों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई, जो स्वामी विवेकानंद के प्रति श्रद्धांजलि का प्रतीक था।
इसके पश्चात, छात्रों द्वारा प्रस्तुत आरती और भजन ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक और प्रेरणादायक बना दिया, जिससे सभी उपस्थित जनों को स्वामी विवेकानंद के आदर्शों और शिक्षाओं के प्रति एक नई ऊर्जा मिली। कार्यक्रम का शुभारंभ संगीत शिक्षिका अमृता चौधरी, आयुष पराशर, असाईं कलुन्डिया, सृष्टी कुमारी, शिवानी टुडू, मनीषा कुमारी, ज्योति कुमारी, प्रमिला कुमारी एवं तनुश्री द्वारा भजन गीत से हुई. भाषण अंकिता कुमारी, कविता पाठ अनिंदिता मैती एवं पीपीटी प्रस्तुति वर्षा श्रीवास्तव, स्वेता झा एवं मुस्कान कुमारी ने दिया.
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण प्राचार्या डॉ जूही समर्पिता का प्रेरणादायक भाषण रहा. उन्होंने स्वामी विवेकानंद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनके विचार आज भी विश्वभर के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने holistic development (समग्र विकास) की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए यह समझाया कि केवल शैक्षणिक ज्ञान (academic knowledge) ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक विकास भी जीवन को संपूर्ण बनाते हैं। उन्होंने कबीरदास जी के प्रसिद्ध दोहे *”पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय”* का उल्लेख करते हुए यह संदेश दिया कि सच्चा ज्ञान वह है जो व्यवहार में आए और जिससे दूसरों का भी भला हो.
उन्होंने छात्रों को यह प्रेरणा दी कि शिक्षा का असली उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं है, बल्कि एक अच्छा और उपयोगी इंसान बनना है।
अपने संबोधन में प्राचार्या डॉ जूही समर्पिता ने स्वामी विवेकानंद और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस के गहरे और प्रेरणादायक संबंध का भी उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि कैसे रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद को आत्मबोध और सत्य की ओर प्रेरित किया. स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु की शिक्षाओं का पालन करते हुए भारतीय संस्कृति और अध्यात्म को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया. उन्होंने कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद रॉक मेमोरियल का विशेष रूप से उल्लेख किया, जहां स्वामी विवेकानंद ने ध्यान कर अपने जीवन का उद्देश्य और भारत के भविष्य के लिए अपनी जिम्मेदारियों को समझा. उन्होंने कहा कि यह स्मारक उनके दृढ़ संकल्प, समर्पण, और प्रेरक विचारों का प्रतीक है, जो आज भी हम सभी को नई ऊर्जा प्रदान करता है.
कार्यक्रम में अन्य कई शिक्षाप्रद गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिसमें कविता पाठ, पावरपॉइंट प्रस्तुति और वीडियो प्रस्तुति शामिल थीं. इन सभी प्रस्तुतियों ने स्वामी विवेकानंद के जीवन और उनके विचारों को सुंदर तरीके से दर्शाया. छात्रों ने अपनी रचनात्मकता और समर्पण से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
अंत में प्राचार्या ने छात्रों और शिक्षकों की मेहनत और प्रयासों की सराहना की. उन्होंने छात्रों को स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को अपनाने और जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखने के लिए प्रेरित किया. यह आयोजन न केवल एक सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रम था, बल्कि एक ऐसा अवसर था, जिसने सभी को स्वामी विवेकानंद के विचारों और शिक्षाओं को गहराई से समझने और आत्मसात करने का अवसर दिया. कार्यक्रम संचालन जाग्रति सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन अनुप्रिया झा ने किया.
इस कार्यक्रम को सफल बनानने में डॉ.सूरीना भुल्लर सिंह, डॉ.मिनाक्षी चौधरी, पामेला घोष दत्ता, अर्चना कुमारी, कंचन कुमारी, अमृता चौधरी, एंजेल मुन्डा, सुदीप प्रमाणिक, अभिजीत डे, बिरेन्द्र पांडे, जुलियन अन्थोनी आदि सभी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.