सरकार संसद में अडानी मामले में चर्चा से क्यों बचना चाहती है

फतेह लाइव, रिपोर्टर.

अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच पर लगाए गए आरोपों के मद्देनजर पूर्व सांसद सह कांग्रेस के वरीय नेता ड़ॉ. अजय कुमार ने कहा है कि अडानी समूह द्वारा किए गए कथित घोटाले की संपूर्ण जांच के लिए मोदी सरकार को अविलंब एक संयुक्त संसदीय समिति गठित करनी चाहिए. जिसकी मांग राहुल गांधी ने 17वीं लोकसभा में उठाई थी. लेकिन भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों का पोषण करने वाली मोदी सरकार ने राहुल गांधी की आवाज को संसद में दबाने का काम किया था. यहां तक की राहुल गांधी की संसद की सदस्यता को भी समाप्त करने का कुत्सित प्रयास किया गया था. लेकिन देश की शीर्ष अदालत से राहुल गांधी को न्याय मिला. यह देश की सबसे भ्रष्ट और बेशर्म सरकार है.

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उल्लेखनीय है कि लगभग 18 महीने बाद एक बार फिर हिंडनबर्ग नामक जिन्न ने अपने रिपोर्टस् में आरोप लगाया है कि सेबी की अध्यक्ष माधवी बुच और उनके पति के पास कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी.
शॉर्ट-सेलर ने (मामले से पर्दा उठाने वाले) “व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों” का हवाला देते हुए कहा, “सेबी की वर्तमान प्रमुख माधवी बुच और उनके पति के पास अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी.” कथित तौर पर समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंडों को नियंत्रित करते थे. हिंडनबर्ग का आरोप है कि इन फंड का इस्तेमाल धन की हेराफेरी करने और समूह के शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए किया गया था.

डॉ. अजय ने कहा कि अडानी समूह द्वारा किए गए कथित घोटाले पर भ्रष्टाचार और घोटालों पर सार्वजनिक मंच पर बड़ी बड़ी बात करने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बोलती बंद क्यों हो जाती है ? प्रधानमंत्री को देश की जनता को बताना चाहिए की वो अडानी को क्यों बचाना चाहते है ? उनके बीच क्या संबंध है ? उन्होंने कहा कि ‘‘संसद को 12 अगस्त की शाम तक कार्यवाही के लिए अधिसूचित किया गया था. अचानक नौ अगस्त की दोपहर को ही इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के मायने क्या है ?
सरकार बहस से क्यों बचना चाहती है ? मोदी सरकार को जवाब देना पड़ेगा.

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