— लेखक: मुकेश मित्तल,
अध्यक्ष, पूर्वी सिंहभूम जिला मारवाड़ी सम्मेलन एवं पूर्व उपाध्यक्ष सिंहभूम चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री
जमशेदपुर, झारखंड का औद्योगिक हृदयस्थल, एक ऐसा शहर है जो देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है। यह शहर केवल उद्योगों और श्रमशक्ति के लिए ही नहीं, बल्कि अपने सामाजिक सौहार्द, शिक्षा और जनसंख्या घनत्व के लिए भी पहचाना जाता है। किंतु, जब बात आती है अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं की, तो जमशेदपुर को आज भी गंभीर असंतुलन और उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है।
देश के कई राज्यों में ‘एम्स’ (AIIMS) जैसे सुपर स्पेशियलिटी संस्थान स्थापित हो चुके हैं — चाहे वह पटना हो, भोपाल, ऋषिकेश, नागपुर या फिर हाल ही में झारखंड के देवघर में स्थापित एम्स हो। लेकिन झारखंड के दक्षिणी हिस्से — विशेषकर कोल्हान प्रमंडल और जमशेदपुर जैसे शहर — अब भी एक ऐसे चिकित्सा संस्थान के लिए तरस रहे हैं जो गंभीर बीमारियों के उपचार में सक्षम हो, और जो राज्य के लाखों नागरिकों के लिए आशा की किरण बन सके।
जमशेदपुर की भौगोलिक और सामाजिक स्थिति: एक उपयुक्त आधार
जमशेदपुर न केवल झारखंड का सबसे बड़ा औद्योगिक शहर है, बल्कि यह बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे पड़ोसी राज्यों की सीमाओं के करीब स्थित है। यहां की आबादी झारखंड के किसी भी अन्य नगर से अधिक है, और इस क्षेत्र में प्रति वर्ष लाखों लोग रोजगार, शिक्षा और चिकित्सा के उद्देश्य से आते हैं।
इसके बावजूद, जमशेदपुर की चिकित्सा व्यवस्था अभी भी कुछ गिने-चुने निजी अस्पतालों और टाटा मेन हॉस्पिटल (TMH) जैसे औद्योगिक अस्पतालों पर निर्भर है। TMH निश्चित रूप से एक ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित संस्थान है, लेकिन वर्तमान समय में वहां की सुविधाएं अत्याधुनिक तकनीकों और विशेषज्ञताओं के लिहाज़ से पर्याप्त नहीं मानी जा सकतीं। कई बार गंभीर रोगियों को रांची, पटना, भुवनेश्वर, कोलकाता या वेल्लोर जैसे शहरों में रेफर करना पड़ता है, जिससे न केवल इलाज में देरी होती है, बल्कि आर्थिक और मानसिक बोझ भी कई गुना बढ़ जाता है।
एम्स-जैसे संस्थान की आवश्यकता क्यों?
1. विशेषज्ञ डॉक्टरों और अत्याधुनिक तकनीक की उपलब्धता:
एम्स जैसे संस्थानों में उच्च प्रशिक्षित डॉक्टर, विशेषज्ञ सर्जन, रिसर्च आधारित उपचार पद्धतियाँ, अत्याधुनिक उपकरण और विश्वस्तरीय तकनीकें होती हैं। ये संस्थान ना केवल इलाज बल्कि चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण का भी केंद्र होते हैं। जमशेदपुर को ऐसे एकीकृत चिकित्सा केंद्र की सख्त आवश्यकता है।
2. कम लागत में उच्च गुणवत्ता का इलाज:
एम्स जैसे संस्थानों की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि वे न्यूनतम खर्च में अधिकतम गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवा प्रदान करते हैं। यह उन गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए जीवनदायिनी सिद्ध होती है, जो निजी अस्पतालों की भारी-भरकम फीस वहन नहीं कर सकते।
3. आपातकालीन परिस्थितियों में स्थानीय सहारा:
जमशेदपुर, आदित्यपुर, चाईबासा, घाटशिला, सरायकेला-खरसावां एवं ओडिशा के कई सीमावर्ती क्षेत्रों में कोई भी गंभीर चिकित्सा आपातकाल होने पर आज भी मरीजों को दूसरे शहरों की ओर रुख करना पड़ता है। इसमें समय और संसाधनों की बर्बादी होती है। एम्स-जैसा संस्थान जमशेदपुर में स्थापित होने से इन क्षेत्रों को शीघ्र, सुलभ और विश्वसनीय उपचार मिल सकेगा।
4. चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा:
एम्स जैसे संस्थान न केवल मरीजों के इलाज के लिए, बल्कि चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में भी देश की नींव मजबूत करते हैं। जमशेदपुर में अगर ऐसा संस्थान स्थापित होता है, तो यहां के होनहार छात्र-छात्राओं को डॉक्टर बनने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। साथ ही, झारखंड जैसे राज्य में हेल्थ वर्कफोर्स भी सुदृढ़ होगी।
क्या जमशेदपुर इसके योग्य नहीं?
जवाब साफ है — जमशेदपुर इसके लिए न केवल योग्य है, बल्कि सबसे उपयुक्त है।
•यहां पर्याप्त भूमि उपलब्ध है जहां एक विशाल संस्थान की स्थापना की जा सकती है।
•टाटा स्टील और अन्य औद्योगिक घराने सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के अंतर्गत सहयोग कर सकते हैं।
•मेडिकल कॉलेज और अस्पताल दोनों के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे (सड़क, बिजली, जल, इंटरनेट, हॉस्टल आदि) पहले से मौजूद हैं।
•इसके साथ ही, यहां के नागरिकों की सामाजिक चेतना, स्वयंसेवी संगठनों की सक्रियता और प्रशासन का सहयोग भी एक बड़ा सकारात्मक पक्ष है।
पूर्व के प्रयास और सुझाव
कुछ वर्ष पूर्व से ही झारखंड के अनेकों संस्थाओं द्वारा भी इस विषय में पत्राचार और अनुरोध किया गया था। पर अब मैं अपने इस लेख के माध्यम से भी पुनः केंद्र सरकार, विशेषकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री माननीय श्री जे. पी. नड्डा जी से यह विनम्र निवेदन करना चाहूँगा कि झारखंड के लिए प्रस्तावित मेडिकल सुविधाओं के योजनाओं में एक एम्स स्तर का संस्थान जमशेदपुर जैसे शहर के भाग्य में भी रखें। यह केवल एक मेडिकल कॉलेज या अस्पताल की मांग नहीं है, यह एक पूरे क्षेत्र की स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी की मांग है। यह मांग है उस हक की, जो हमें एक जागरूक नागरिक के रूप में, एक औद्योगिक शहर के रूप में, एक महत्वपूर्ण भौगोलिक केंद्र के रूप में मिलनी चाहिए।
निष्कर्ष
आज जब देश ‘नए भारत’ की ओर अग्रसर है, तब यह ज़रूरी है कि चिकित्सा सुविधाएं केवल राजधानी और प्रमुख महानगरों तक ही सीमित न रहें। जमशेदपुर जैसे औद्योगिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहरों को भी अत्याधुनिक स्वास्थ्य संस्थानों की आवश्यकता है। एक एम्स-जैसे संस्थान की स्थापना से यह न केवल जमशेदपुर, बल्कि पूरा दक्षिणी झारखंड और सीमावर्ती ओडिशा स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकेगा। हम केंद्र सरकार से पुनः निवेदन करते हैं कि इस माँग पर गंभीरता से विचार कर जमशेदपुर को वह अधिकार और सुविधा प्रदान करें, जिसका वह वर्षों से इंतजार कर रहा है। यह निर्णय एक शहर को नहीं, बल्कि एक पूरे क्षेत्र को स्वस्थ भविष्य की ओर ले जाएगा।