फतेह लाइव, रिपोर्टर.
क़ौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलबिंदर सिंह ने राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा सिविल जज बहाली परीक्षा में धार्मिक पहचान के आधार पर परीक्षार्थी को शामिल न होने देने को उसके संवैधानिक अधिकारों का वर्णन बताया है. अधिवक्ता के अनुसार यह बड़ा अपराध है और नोडल मजिस्ट्रेट तथा परीक्षा केंद्र के अधीक्षक के खिलाफ राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री तथा राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
कुलविंदर सिंह ने राजस्थान के मुख्यमंत्री को ट्वीट कर इसे दुर्भाग्य जनक बताया है और भारतीय संविधान के समानता के अधिकार के अनुच्छेद 15 एवं 16 तथा धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के अनुच्छेद 25 का हनन बताया है. इसके साथ ही नैसर्गिक न्याय हेतु पीड़िता के लिए विशेष भर्ती परीक्षा के अवसर दिए जाने का आग्रह किया है.
कुलबिंदर सिंह के अनुसार विदेशों में किसी भी सरकारी नौकरी में वहां के सिख नागरिक को धार्मिक पहचान अमृत संस्कार पांच ककार के कारण प्रवेश परीक्षा अथवा सार्वजनिक स्थल में भेदभाव नहीं झेलना पड़ता है. दुर्भाग्य है भारत में जहां गुरुओं के बलिदान तथा स्वतंत्रता के संघर्ष के कारण सिखों की देश में विशिष्ट पहचान है और इसे बड़े ही आदर के साथ देखा जाता है. यह भी दुर्भाग्य है कि यह भाजपा शासित
प्रदेश में हुआ है जो सिखों की सबसे बड़ी हितेषी भारत में कही जाती है.
राजस्थान सिविल जज प्रवेश परीक्षा में जोधपुर शिकारगढ़ पीएलवी कॉलेज परीक्षा केंद्र में अमृतधारी सिख महिला अधिवक्ता अरमान जोत कौर को नोडल मजिस्ट्रेट ने ककार पवित्र कृपाण और कड़ा उतारकर परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने को कहा, जबकि अमृतधारी सिख किसी भी स्थिति में शरीर से पांच ककार को अलग नहीं कर सकता है.