फतेह लाइव, रिपोर्टर।
आज पुरा भारत राममय हुआ है। अयोध्या में रामलला के प्रवेश गर्भ गृह में हो गया। संसार वासियों में उत्साह बना हुआ है। महा दीपावली मनाई जा रही है। इसी बीच अपनी खुशी प्रकट करते हुए लौहनगरी के हिंदूवादी नेता शशि कुमार मिश्रा ने 1990 के दशक की वो याद “फतेह लाइव” खबर के साथ साझा की। वे बताते हैं कि 500 साल का सपना साकार होने से मन झूम रहा है। 25 अक्टूबर 1990 की बात है, जब वे इस कलंक को साफ करते हुए गिरफ्तार हुए थे। मौजूदा ओड़िशा के राज्यपाल एवं झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास भी उनके साथ पकड़े गये थे। वहां समस्तीपुर में राजनेता लाल कृष्ण आडवाणी भी गिरफ्तार हुए। इस दौरान वे करीब 18 दिनों तक साकची कारा में बंद रहे। उन्होंने बताया कि जेल में आठ बार पगली घंटी बजी थी। तब जोड़ा जोड़ा लोगों को बैठना होता था। पुरा जेल जवानों से भर जाता था, जिनके पास लाठी और हथियार रहते थे।
स्व. धुरंधर सिंह के नेतृत्व में हुआ था श्रीराम शिला पूजन
उस वक्त श्री राम शिला पूजन काशीडीह में उस समय के तत्कालीन विश्व हिन्दु परिषद के अध्यक्ष स्व. धुरंधर सिंह के नेतृत्व में हुआ था। उन्होंने बताया कि जब 1990 में कार सेवकों पर गोलियां चली थी। उसमें सैकड़ों कार सेवक शहीद हो गये थे। तब अस्थि कलश अयोध्या से लाकर जमशेदपुर घुमाया जा रहा था। उस समय के परसुडीह के थाना प्रभारी सुभाष मुंडू और डीएसपी भागीरथ शर्मा से शशि मिश्रा का मार्ग को लेकर विवाद हो गया था। तब अस्थी कलश को रोककर स्टेशन गोलचक्कर को छह घंटे तक जाम कर दिया गया था।
शहर में खो गई थी ईंट, तत्कालीन एसपी ने 8 थाना के साथ की थी छापमारी
मिश्रा ने बताया कि जब 6 दिसंबर 1992 को तथा कथित बाबरी ढांचा गिर रहा था, तो अपनी आंखों से वह दृश्य देखा। उस समय ईंट लेकर जमशेदपुर आये थे। जहां उस समय के एसपी परवेज हयात ने करीब आठ थाना लेकर मेरे आवास में छापमारी की थी। तब वह ईंट कहीं गिर गई। उस समय की जब याद आती है तो मन सेहरन कांप जाता है। किंतु उस समय रामभक्त और पुलिस भाई-भाई लेकर रहेंगे राम दुहाई के साथ-साथ कहीं भी आने जाने में रोक नहीं लगती थी। उस समय कोई भी अपने घर में खिला, सुला देते थे।
लालू सरकार में टीका और भगवा गमछा पहनना अपराध था
उस समय ही लालू सरकार में टीका लगाने, भगवा गमछा डालने पर पाबंदी जैसा लगता था। लगता था बहुत बड़ा गुनहगार हूं। छापमारी के दौरान भागने के लिए नाला खेत फांदना पड़ता था।
विहिप और बजरंग दल पर लग गया था प्रतिबंध
आज राम मंदिर बनते देख लगता है कि हमने हमने संघर्ष किया, जिसका परिणाम भी आज खुद देख रहे हैं। इसकी लड़ाई लगभग 78 बार पूर्वजों ने लड़ी थी। कितने ही साधु संतों ने बलिदान दिया। सरजू की धारा लाल हो गई थी। आज जाकर श्री राम लल्ला को गर्भ गृह में देखकर मन खुशी के मारे झूम रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि तब विहिप और बजरंग दल पर प्रतिबंध लग गया था, जिसके बाद भी श्री राम सेवा संस्थान के नाम पर काम करते रहे। बता दें कि उस वक्त शशि मिश्रा विहिप के प्रचार प्रसार प्रमुख थे। उसके बाद उन्होंने शिव सेना का दामन थाम लिया था। शशि मिश्रा के कार्यक्रम में उनकी दहाड़ से वे पहचाने जाते थे। वर्तमान में भाजपा के वरीय नेता की भूमिका शशि मिश्रा देश प्रेमी, हिन्दु प्रेमी के रूप में अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह बाखूबी निभा रहे हैं।