• संविधान की समीक्षा की जरूरत, लेकिन आलोचना नहीं

फतेह लाइव, रिपोर्टर

गणतंत्र दिवस के अवसर पर बिष्टुपुर और बारीडीह कार्यालय में ध्वजारोहण करने के बाद जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने संविधान के 75 साल पूरे होने पर देशभर में हो रहे आरोप-प्रत्यारोप पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि संविधान की समीक्षा तो होनी चाहिए, लेकिन उसकी आलोचना करना देशहित में नहीं है. सरयू राय ने कहा कि राजनीतिक दलों में संविधान को लेकर एकांगी सोच हावी हो गई है, जहां हर दल अपनी धारणा को सही मानकर दूसरों पर आरोप लगा रहा है. इससे संविधान के प्रति सम्मान की भावना कम हो रही है. उनका कहना था कि संविधान का लचीलापन ही इसकी ताकत है, लेकिन हम इसे एक दूसरे पर आरोप लगाने का साधन बना रहे हैं.

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उन्होंने संविधान की प्रस्तावना में किए गए संशोधनों की भी चर्चा की और कहा कि संविधान में बदलाव जरूरी है, लेकिन इस प्रक्रिया में आम सहमति बनानी चाहिए, ताकि भविष्य में संविधान हमारे समाज और देश के लिए और बेहतर हो सके. सरयू राय ने यह भी कहा कि भारतीय संविधान हस्तलिखित था और उसमें भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों को समाहित किया गया था, जिनमें रामायण, महाभारत और वेदों के संदर्भ शामिल हैं. आज उसी संविधान को लेकर राजनीतिक दलों के बीच विवाद बढ़ रहा है, जो बेहद दुखद है.

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