फतेह लाइव, रिपोर्टर.

कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष साकची गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान पद (2025- 2028) के चुनाव को लेकर धालभूम एसडीओ का 28 मई 2025 का फैसला एक पक्षीय है. एसडीओ ने प्रभाव में आकर यह फैसला दिया है जो संवैधानिक एवं कानूनी रूप से कहीं से भी उचित नहीं है. एसडीओ ने इस तथ्य की अनदेखी की है कि जब साकची गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का अपना निबंधित संविधान है, उसे संविधान के प्रावधान के अनुसार ही साल 2022 का चुनाव हुआ था. एसडीओ मैडम को भी यह भली भांति जानकारी है कि जब चुनाव प्रक्रिया एक बार शुरू हो जाती है तो उसको रोका नहीं जा सकता है? आखिरकार अपने फैसले से वे किसे लाभ पहुंचाना चाहती है?

साकची कमेटी के संविधान में जब चुनाव प्रक्रिया में तीसरे पक्ष की कोई भूमिका का प्रावधान नहीं है तो किस तरह से एसडीओ ने उसे संविधान के प्रावधान का हनन किया है. एसडीओ ने केंद्रीय गुरुद्वारा कमेटी का संविधान क्यों नहीं मंगा कर देखा, जिसमें साफ उल्लेख है कि जिन लोकल गुरुद्वारा कमेटी का संविधान नहीं है वहां चुनावी मामले में सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का संविधान काम करेगा. साकची कमेटी का अपना संविधान है वहां उसे हस्तक्षेप की इजाजत कैसे दी जा सकती है? यदि चुनाव संयोजक का चयन सही तरीके से नहीं हुआ है तो एसडीओ को चाहिए था कि वह कार्यकारी प्रधान निशान सिंह को आदेश देती कि वह पुनः आम सभा बुलाकर चुनाव संयोजक का चुनाव करें.

यहां एसडीओ ने तीसरे पक्ष सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को चुनाव की जिम्मेदारी दी है जो कभी भी निष्पक्ष तरीके से चुनाव नहीं करवाती है. कुलविंदर सिंह के अनुसार सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पूर्व में जितने भी लोकल कमेटी के चुनाव संपन्न करवाए हैं सब में उसने धांधली की है मनमानी की है और अपने मनपसंद व्यक्ति को प्रधान बनाया है. कुलविंदर सिंह के अनुसार बारीडीह के मामले में तत्कालीन एसडीओ ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था कि धार्मिक मामले में प्रशासन हस्तक्षेप नहीं करेगा. एसडीओ के यहां याचिका पिछले 2 साल से सुनवाई हेतु लंबित है.

यहां एसडीओ मैडम ने एक दिन की सुनवाई में अपना फैसला सुना दिया. फैसला सुनाते समय इतनी हड़बड़ी में थी कि तीनों पक्षों को उसकी प्रति भी नहीं दी. कुलविंदर सिंह ने एसडीओ से सवाल पूछा है कि आखिरकार तीसरे पक्ष को फैसले की प्रति कैसे मिली और प्रथम पक्ष और द्वितीय पक्ष को आदेश की कॉपी क्यों नहीं दी गई? कुलविंदर सिंह के अनुसार एसडीओ के आदेश से राज्य सरकार की छवि पर ही आघात पहुंचेगा कि उसका एक पदाधिकारी एक पक्षीय फैसला देकर किसी विशेष समूह को लाभ पहुंचाना चाहता है.

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