चरणजीत सिंह.

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने एक मामले में बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि सिख होने के लिए सिंह या कौर लगाना जरूरी नहीं है। इस फैसले के बाद देश-विदेश में बस रहे सिखों में उबाल है। कोल्हान के सिख भी हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ एकजुट होने लगे हैं. कोल्हान में सिखों की नेतृत्वकर्ता वरीय धार्मिक बार्डी सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार भगवान सिंह ने इस फैसले पर कड़ा एतराज किया है। साथ ही केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है।

उन्होंने कहा कि सरकारें न्यायलय के माध्यम से सिखों के धार्मिक मामलों पर लगातार हस्तक्षेप कर रही है, जो बर्दाश्त योग्य नहीं हैं। उन्होंने देश विदेश में बस रहे सिखों, समूह धार्मिक जत्थेबंदियों को इस फैसले का विरोध करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया है। भगवान सिंह ने कहा कि जल्द ही फैसला वापस नहीं लिया जाता है तो जमशेदपुर के सिख सड़कों पर उतरेंगे। जरूरत पड़ी तो दिल्ली कूच करने से भी सिख परहेज नहीं करेंगे। किसान आंदोलन की तर्ज पर आंदोलन किया जाएगा।

सिख प्रतिनिधियों के बोल

हम न्यायपालिका का आदर करते हैं, लेकिन हमारे धार्मिक मामलों में किसी तरह का भी फैसला लेने का अदालत को भी कोई हक नहीं है। मुगलों से टाकरा लेने वाले श्री गुरु गोबिंद सिंह सिखों का फैसला कर गए हैं। अमृत पान करके, पांच ककार धारण करके रहित में रहना वाला सिख है। केंद्र सरकार अदालतों के माध्यम से यह सब करवा रही है। इसका विरोध किया जाएगा।
भगवान सिंह, प्रधान, सीजीपीसी

गुरु गोबिंद सिंह ने हर सिख के लिए जो परंपरा बनाई है और जो चली आ रही है। उसके विरुद्ध जाने का अधिकार दुनिया की किसी भी अदालत को नहीं है। अमृत धारी सिख की पहचान सिंह और कौर से है। फैसला वापस लेने तक इसका विरोध सिख करते रहेंगे।
इंद्रजीत सिंह, महासचिव, तख्त श्री हरिमंदिर जी, पटना साहिब कमेटी।

अदालतों के पास बिनती करते हैं कि गुरु पिता के बनाये गए फैसले में दखल करने से परहेज करें। किसी भी सरकार के दबाव में नहीं आए। सिख पंथ इस फैसले का कड़ा विरोध करता है। इसे वापस लेने के लिए आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
गुरमीत सिंह तोते, चेयरमैन सीजीपीसी

सिखों के धार्मिक मामलों में केंद्र सरकारें इस तरह के हस्तक्षेप साजिश के तहत कर रही हैं। इसके पीछे शंका है कि फैसले की आड़ में गुरु घरों के इलेक्शन में गैर सिखों को शामिल करके गुरुद्वारा में कब्जा करना मुख्य मकसद है। लेकिन हम यह कतई होने नहीं देंगे। अदालत के फैसले के खिलाई सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।
सतनाम सिंह गंभीर, अध्यक्ष, पूर्वी भारत, एआईएसएसएफ

हम अदालत के फैसले को नहीं मानते हैं। यह हमारे साहेब ए कमाल, सरबंशदानी दशम पिता तय कर गए हैं और उसके विरुद्ध जो कोई भी साजिश है उसके साथ किसी भी हद तक निपटने के लिए तैयार हैं। सिखों का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति के नाम इस फैसले के विरुद्ध पत्र भेजकर आपत्ति दर्ज करेगा।
सरदार शैलेंद्र सिंह, प्रधान, झारखंड प्रदेश गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी।

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