फतेह लाइव, रिपोर्टर
समाजवादी चिंतक और जमशेदपुर जिला बार एसोसिएशन के वरीय सदस्य सुधीर कुमार पप्पू ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा को सलाह दी है कि वह राज्यसभा सांसद या फिर बीसीआई चेयरमैन में से एक पद छोड़ दें. पप्पू के अनुसार, कोई भी व्यक्ति इन दोनों पदों पर रहते हुए अपनी राजनीतिक और पेशेवर प्रतिबद्धता में ईमानदारी से काम नहीं कर सकता. पप्पू ने बताया कि मनन कुमार मिश्रा भारतीय जनता पार्टी के बिहार से राज्यसभा सांसद हैं, और उन्हें पार्टी की नीति के अनुसार काम करना अनिवार्य है, जो उनकी स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है.
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दो पदों पर रहने से पेशेवर स्वतंत्रता पर खतरा
सुधीर कुमार पप्पू ने इस संदर्भ में अधिवक्ता संशोधन अधिनियम का भी जिक्र किया, जो हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक किया गया था. उन्होंने कहा कि इस संशोधन से वकीलों की पेशेवर स्वतंत्रता पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण का खतरा था, जिसे देशभर के वकील समुदाय ने विरोध किया. हालांकि, पप्पू का आरोप है कि मनन कुमार मिश्रा ने इस संशोधन के खिलाफ कोई प्रभावी विरोध नहीं किया, बल्कि वे इसे पारित करने के पक्ष में हैं. पप्पू ने सवाल उठाया कि क्या मनन कुमार मिश्रा वकील समुदाय को विश्वास दिला सकते हैं कि इस कानून को लागू नहीं किया जाएगा?
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अधिवक्ता संशोधन अधिनियम पर मनन कुमार मिश्रा का विरोध न करना विवादित
सुधीर कुमार पप्पू ने मनन कुमार मिश्रा से सवाल करते हुए कहा कि यदि वे वकील समुदाय के प्रतिनिधि हैं, तो क्यों नहीं उन्होंने राज्यसभा में निजी बिल के रूप में “अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट” पेश किया? पप्पू ने यह भी पूछा कि क्यों नहीं मिश्रा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए 5000 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान वकीलों के हित में सुनिश्चित किया? पप्पू के अनुसार, मनन कुमार मिश्रा भाजपा के पक्ष में अच्छी राजनीति कर रहे हैं और उन्हें अब राज्यसभा में रहकर काम करना चाहिए, न कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन पद पर बने रहना चाहिए.