अब यूनियन की स्पोर्ट्स एडवाइजरी कमेटी को एक साल में मिलेंगे 80 हजार

कमेटी मीटिंग में उठा सवाल तो यूनियन नेतृत्व को बनाना पड़ा नियम

परंपरा के तहत पहले भी स्पोर्ट्स एडवाइजरी कमेटी के जरिए खर्च हुए हैं लाखों

अब यूनियन की बाकी कमेटियों को भी आयोजन के लिए यूनियन से मिलेगी रकम

स्पोर्ट्स एडवाइजरी कमेटी के प्रमुख संजय को नियम बनाने और ऑफिस ऑर्डर पर आपत्ति

फतेह लाइव, रिपोर्टर.

टाटा स्टील के कर्मचारियों द्वारा खून पसीने की कमाई से टाटा वर्कर्स यूनियन को चंदा दिया जाता है. इतना चंदा आता है कि यूनियन के पास 40 करोड़ से अधिक रूपये जमा हो चुके हैं. यूनियन के पास इतनी मोटी रकम है तो माल महाराज का और मिर्जा खेले होली वाली कहावत भी लागू है. यूनियन की स्पोर्ट्स एडवाइजरी कमेटी है जिसका काम यूनियन के सदस्यों में खेल को बढ़ावा देना है. पिछले चार साल में खेल के आयोजन के मद में स्पोर्ट्स एडवाइजरी कमेटी टाटा वर्कर्स यूनियन के कोष से तकरीबन पौने चार लाख रुपए ले चुकी है, न कोई नियम न किसी तरह का कायदा. यह रकम निकाली गई है परम्परा के नाम पर.

कुछ दिन पहले एनी अदर मैटर पर माइकल जॉन ऑडिटोरियम में टाटा वर्कर्स यूनियन की कमेटी मीटिंग हुई थी तो टीएमएच के कमेटी मेंबर राकेश सिंह ने खेल के आयोजन के खर्च का मसला उठाया था. खूब बवाल भी हुआ. इसके बाद यूनियन नेतृत्व ने तय किया कि बिना नियम के किसी भी कमेटी को एक रुपए भी नहीं दिए जाएंगे. यूनियन कोष के मसले पर सीधी जवाबदेही महामंत्री और कोषाध्यक्ष की है. महामंत्री सतीश सिंह और कोषाध्यक्ष अमोद दुबे अड़ गए कि नियम बनेगा तभी खेल के मद में राशि की निकासी होगी अन्यथा नहीं.

आखिरकार बुधवार को यूनियन के अध्यक्ष संजीव कुमार चौधरी उर्फ टुन्नू, महामंत्री सतीश कुमार सिंह, डिप्टी प्रेसिडेंट शैलेश कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष अमोद दुबे और उपाध्यक्ष शाहनवाज आलम ने लंबी मंत्रणा की. तय हुआ कि लंबे समय से यूनियन की स्पोर्ट्स एडवाइजरी कमेटी द्वारा खेलों का आयोजन किया जाता रहा है. इसलिए इन कमेटी को साल में अधिकतम 80 हजार रुपए खर्च करने की अनुमति दी जाएगी.

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