मेरे गीत वहीं तुम जाना, जा उनको गले लगाना, जहां मां की ममता बिछड़ी हो
रिश्तों की डोरी टूटी हो, जहां बचपन बिलखा रोया हो, अपनों का स्नेह न पाया हो, जा उनकी मां बन जाना. कुछ ऐसी ही कविता की पंक्तियों से जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज का विवेकानंद सभागार गुलजार हुआ.
पलाश के संग कवियों ने खूब रंग जमाया. अबीर ग़ुलाल की खुशबू के बीच रविवार को “पलाश” भावों के रंग, शब्दों की महक, हिंदी सह भोजपुरी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में प्रसिद्ध कवित्री ज्योत्सना अस्थाना, निवेदिता श्रीवास्तव गार्गी, कवि डॉ लक्ष्मण प्रसाद, कैलाशनाथ शर्मा गाजीपुरी और युवा कवि वरुण प्रभात अपनी प्रेम, व्यंग के साथ होली पर आधारित कविता की पंक्तियों से फिजा को रंगीन बना दिया.
वरीय कवियों की प्रस्तुति के पूर्व बाल कवि छोटा गोविंदपुर विवेक विद्यालय की छात्रा भाग्यश्री ने होली की कविता सुना कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया और खूब तालिया बंटोरी. वरीय कवियों और स्रोताओ ने सराहना की. कार्यक्रम की शुरुआत अतिथि के रूप में मौजूद जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज के प्राचार्य डॉ अमर सिंह, समाजसेवी पूरबी घोष और प्रेस क्लब ऑफ़ जमशेदपुर के अध्यक्ष संजीव भारद्वाज और कवियों ने दीप प्रज्वलित कर किया.
उद्घाटन सत्र का संचालन साहिल अस्थाना ने किया, वहीं कवि सम्मेलन का संचालन युवा कवि वरुण प्रभात ने किया. कार्यक्रम में विवेक विद्यालय के प्राचार्य अवधेश सिंह, डॉ अशोक कुमार रवानी, डॉ अंतरा, अनामिका श्रीवास्तव, नवीन मंडल, राजीव दुबे, दिनेश कुमार किनू, चन्दन जायसवाल, देवेंद्र सिंह, मनोज विश्वकर्मा, मनोज किशोर, अन्नी अमृता अन्य लोग मौजूद रहे.