फतेह लाइव, रिपोर्टर.
फसल की अच्छा पैदावार होने के बाद जब फसल को काटकर घरों में लाया जाता है और उस फसल से अपने घरों के लिए पहला निवाला बनाया जाता है। इसे ही आदिवासी के संथाली भाषा में दाकाय माहा बोला जाता है। सभी महिला एवं पुरुष तथा बच्चे अपनी अपनी पारंपरिक परिधान में शामिल होकर खाते पीते हैं और सोहराय गीत गाते हुए खुशियाँ मनाते हैं।
एक दूसरे को सोहराय पर्व की बधाई देते हैं। गाँव के सभी पुरुष जहाँ मादर और नगाड़ा लेकर पूरे टोले मुहल्ले में घुम घुमकर बांसुरी के साथ सोहराय गीत गाते हैं तो वहीं महिलाएं भी पारंपरिक परिधान में कांसे का शुद्ध लोटा पानी और सूप लेकर गाय और बैलों का चुमावन करती हुई नजर आती हैं। इस अवसर पर चावल से बना हड़िया (पेय पदार्थ) का भी सेवन किया जाता हैं। सभी लोग एक दूसरे को अपने अपने घरों में बुलाकर हड़िया पिलाया जाता हैं।
बैलों के खुटांव प्रतियोगिता का आज होगा आयोजन
सभी गाँव में आज बैल नाच (खुटांव) प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। कहीं कहीं यह प्रतियोगिता बाद में भी सामुहिक रुप से एक खुले मैदानों पर किया जाता हैं ताकि दुर्घटना होने पर किसी को चोट ना पहुंचे और प्रतियोगिता भी अच्छी तरह से हो। प्रतियोगिता में शामिल होने वाले गाय या बैलों के मालिक को गाँव की ओर से सम्मानित किया जाता हैं।