फतेह लाइव, रिपोर्टर.
झारखंड में लगभग 7 लाख सिखों व पंजाबी समुदाय की आबादी को साधने में इस बार सभी दल प्रयासरत हैं. हो भी क्यों न इस विधानसभा चुनाव में पंजाबियों ने विधानसभा में इंदर सिंह नामधारी के बाद बगैर सिख एक सीट पर दावा जो ठोक दिया है. इस मुद्दे को झारखंड में सिखों के घर-घर तक पहुंचाने की शुरुआत युवा पत्रकार और पत्रकारों के संगठन AISMJWA के राष्ट्रीय महासचिव प्रीतम सिंह भाटिया ने की थी, जिसके बाद विभिन्न राजनैतिक दलों तक यह मुद्दा चर्चा का विषय बन गया.
आज असम के मुख्यमंत्री हेमंता विश्व सरमा से एक बड़े सिख नेता की मुलाकात भी चर्चा में आ गई है और इस मुलाकात के बाद रांची सीट पर सिखों का कब्जा होना लगभग तय ही माना जा रहा है. भाजपा का यह चेहरा है, अल्पसंख्यक आयोग के दो-दो बार उपाध्यक्ष व रेलवे सलाहकार समिति के राज्यस्तरीय पदों पर रह चुके गुरविंदर सिंह सेठी का, जो लगातार राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय नेतृत्व के खास भी माने जाते हैं.
आज देर शाम सूत्रों के हवाले से जो खबरें छन कर आ रही हैं. उसके अनुसार रांची सीट सिख समुदाय को जबकि जमशेदपुर पश्चिम की सीट राजपूत और जमशेदपुर पूर्वी की सीट पर ओबीसी को प्रत्याशी बनाने का फार्मूला भाजपा की चुनाव संचालन समिति लगभग तय कर चुकी है.
उक्त तीनों सीटों पर उम्मीदवार से पहले जातीय समीकरण तय हुआ है और इन सीटों पर तीन-तीन नाम पूर्व में ही विधिवत भेजें भी जा चुके हैं, लेकिन भाजपा में कई बार देखा गया है कि बिलकुल नये तरीके का प्रयोग कर चौंकाने का काम किया जाता है.
इस बीच सूत्रों की मानें तो जमशेदपुर पश्चिम सीट जदयू को मिल सकती है, ताकि जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा को ओबीसी प्रत्याशी दिया जा सके. अब यह ओबीसी चेहरा कौन होगा, इसको लेकर बहुत ही गोपनीयता भी बरती जा रही है.
इसी बीच सिखों व पंजाबी समुदाय लोगों के लिए यह खुशखबरी है कि रांची सीट से सीपी सिंह का नाम कटने के बाद यह सबसे प्रबल सिख दावेदार गुरविंदर सिंह सेठी को मिल सकती है. अगर ऐसा हुआ तो भाजपा को इसका चौतरफा फायदा भी मिलेगा, क्योंकि सिखों व पंजाबियों के अलावा पार्टी व आम जनों के बीच गुरविंदर सिंह एक ऐसा चेहरा है, जो सबके पसंदिदा माने जाते हैं.
खैर संभावनाएं तो बहुत कुछ कहती हैं, लेकिन यह तो तय है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा बहुमत के लिए सभी समुदायों को साथ लेकर चलने की तैयारी में है. हालांकि कल प्रधानमंत्री का झारखंड आगमन हो रहा है और ऐसे में भाजपा बहुमत के लिए कौन से और कैसे नये प्रयोग करेगी, यह तो वक्त ही बताएगा. सूत्रों के अनुसार पीएम की इस सभा से कुछ चौकाने वाली बात सामने आने वाली है, जो राजनीति में एक बार फिर खलबली मचा सकती है.