फतेह लाइव, रिपोर्टर
स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का धालभूमगढ़ से काफी लगाव था. पोटका के कलिकापुर के रहने वाली अनुपम कुमार भगत ने अपने दादाजी स्वर्गीय कमल लोचन भगत से सुनी पुरानी बातों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि 5 दिसंबर के दिन 1939 में जमशेदपुर से फोर्ड कार से हाता होते हुए कलिकापुर पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि कांग्रेस नेता उनके दादाजी स्वर्गीय कमल लोचन भगत एवं स्वर्गीय अतुल कृष्ण दत्त के प्रयास से सुभाष चंद्र बोस क्षेत्र का भ्रमण किया था. उस दौरान कलिकापुर उच्च प्राथमिक विद्यालय वर्तमान में उत्क्रमित उच्च विद्यालय कलिकापुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक आमसभा आयोजित किया गया था. जिसमें अगल-बगल गांव के काफी संख्या में लोग उपस्थित हुए थे. उनका स्वागत करने के लिए सड़क के दोनों किनारे खड़े महिला, पुरुष एवं बच्चे नेताजी के ऊपर फूल बरसाया था एवं महिलाओं के द्वारा शंख बजा कर वातावरण गूंजायमान किया गया था. उस समय स्वर्गीय कमल लोचन भगत ने आम सभा की दो तस्वीर खींची थी.
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उन्होंने लोगों से अपील की थी आजादी भीख मांगने से नहीं मिलती, लड़ कर लेनी पड़ती है. इस संदेश का लोगों पर काफी असर पड़ा था. आमसभा में उस समय मुख्य रूप से ईशान चंद्र भगत, हरिचरण भगत, शिवराम पांडा, सच्चिदानंद दत्त, पूर्ण चंद्र मंडल, मुरली मोहन मंडल, गौर चंद्र पात्र, सर्वेश्वर भगत, रुहिदास केवत, गगन गोवर्धन भगत, महेश्वरी भगत, ईश्वर भगत, सशधर भगत आदि उपस्थित थे. सभा में जिस कुर्सी पर नेताजी बैठे थे, जिस टेबल, टेबल क्लॉथ, उपयोग किया गया था, आज भी शिक्षक अनुपम कुमार भगत ने अपने घर पर धरोहर के रूप में रखी हुई है. कलिकापुर में जनसभा करने के पश्चात नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने घाटशिला, बोहरागोड़ा, खड़गपुर होते हुए कोलकाता लौट गए थे. आज भी कलिकापुर के लोग गर्व महसूस करते हैं कि इस गांव में भारत के इन महान सपूत के कदम पड़े थे.