नई दिल्ली से मनप्रीत सिंह खालसा

भाई सतवंत सिंह, भाई बेअंत सिंह और भाई केहर सिंह सिख पंथ के महान शहीदों में हैं. जिस प्रकार उन्होंने अपने हाथों से सिख पंथ के पवित्र स्थानों पर फौजी कार्यवाही करने वाली देश के प्रधान मंत्री को व्यक्तिगत रूप से दंडित किया, पंथ की महान नैतिकता का पालन करते हुए उन्होंने अपनी शहादत देकर पंथ के सिर पर फिर से पगड़ी सजा दी थी. ऐसे शहीद सिंघो को सलाम करना हर सिख का कर्तव्य बनता है. क्योंकि ‘शहीद’ कहे जाने वाले व्यक्ति का आदर्श एक सकारात्मक लक्ष्य होता है. यह अच्छे इरादों पर आधारित है और इसके अनुसरण से लाभकारी परिणाम मिलने की उम्मीद है, नकारात्मक नहीं. निशाने तो अपराध जगत से जुड़े लोग के भी हैं, लेकिन उन्हें आदर्श नहीं कहा जा सकता. ‘शहीद’ कहलाने वाले व्यक्ति का लक्ष्य अच्छाई के गुण पर केन्द्रित होता है और उसमें बुराई या बुराई अर्थात् अनैतिकता का कोई भी तत्व प्रवेश नहीं कर पाता. एक व्यक्ति जिसे ‘शहीद’ कहा जाता है।

वह अपने आदर्श की प्राप्ति के लिए अपने जीवन का बलिदान देता है क्योंकि वह आध्यात्मिक रूप से बहुत ऊपर उठ गया है। जिससे उसे मौत के सामने भी कोई डर नहीं लगता. वह अपने आदर्श के लिए जीता है और उसी के लिए मरता है. हमें इन सिंघो की स्मृति को अपने घरों के साथ-साथ हर गुरुघर में मनाना चाहिए ताकि हमारी नई पीढ़ी उनके जैसे महान शहीद सिंह योद्धाओं का इतिहास जान सके. शिरोमणि अकाली दल दिल्ली इकाई के महिला विंग के मुखी बीबी रणजीत कौर ने मीडिया को जारी एक बयान के माध्यम से यह बात कही।

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