फतेह लाइव, रिपोर्टर।
जमशेदपुर दुर्गा वाहिनी जिला संयोजिका पूनम रेड्डी ने दुर्गा अष्टमी के स्थापना दिवस एवं शारदीय नवरात्र की बधाई देते हुए कहा कि, दुर्गा वाहिनी विश्व हिन्दू परिषद् की महिला इकाई है। शक्ति स्वरूपिणी माता दुर्गा को अपनी प्रेरणा स्रोत मानकर इसकी स्थापना 1991 ईस्वी में दुर्गा अष्टमी के दिन प्रथम संयोजिका साध्वी ऋतंभरा ने की थी और सह संयोजिका डॉ निर्मला पुरोहित को बनाया गया।
उनके नेतृत्व में ही सेवा सुरक्षा और संस्कार को अपना ध्येय वाक्य मानकर देश भर की महिलाओं व युक्त को अपने समाज, धर्म, राष्ट्र के लिए समाज में व्याप्त दुराचार पापाचारय, भ्रष्टाचार एवं कुरीतियों के प्रति जागरूक करने का कार्य प्रारंभ किया गया। समाज की प्रत्येक महिला को दुर्गा वाहिनी से जुड़ने की जरूरत है। दुर्गा वाहिनी का आधार सेवा सुरक्षा और संस्कार, निस्वार्थ भावना से सेवा कार्य करना है। कहीं ना कहीं हम समाज से नहीं जुड़ पाते हैं। इस कारण धर्मांतरण के माध्यम से वह हमसे टूटने लगते हैं, तो इस स्थिति को सुधारने का एक प्रयास करना सुरक्षा यानी वर्तमान स्थिति के अनुसार सबसे पहले महिलाओं को अपने अस्मिता की अपने सेल की सुरक्षा कैसी करनी है। इस पर कार्य करना आज कहीं ना कहीं बहने आत्म सम्मान आत्म सुरक्षा की गन को नहीं अपने और हम किस स्कूल से हैं, किस धर्म से है इस बात को नहीं समझ पाने के कारण क्या फिर यह कहे कि वह महत्व को नहीं समझ पाने के कारण लव जिहाद जैसे कारनामों से अपना जीवन बर्बाद कर रही है। इन्हीं विषयों को ध्यान में रखकर सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य करना और संस्कार यानी हमारा समाज अभी कहीं ना कहीं आधुनिकता के नाम पर पाश्चात्य की ओर बढ़ रहा है और इसके कारण हमारे बाद की जो पीढ़ी है, वह अपने संस्कारों को स्वीकार करने में रुचि नहीं रख रहे हैं, जिससे हमारे धर्म का, संस्कारों का क्षरण हो रहा है,
तो हम किस प्रकार से अपने बच्चों, परिवार, संस्कारों को रुचि पूर्वक आत्मसात करने में सहयोग करें। इन्हीं सभी विषयों को लेकर दुर्गा वाहिनी समाज में कार्यरत है। इसके लिए दुर्गा वाहिनी प्रांतीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण भी देती हैं राष्ट्रीय प्रशिक्षण में पूरे राष्ट्र की हर प्रांत से बहनें प्रशिक्षण के लिए आती है और प्रांतीय वर्गों में प्रांत के जितने भी जिले हैं सभी जिला में बहने प्रशिक्षण में भाग लेती है। प्रशिक्षण में शारीरिक मानसिक और बौद्धिक रूप से बहनों को प्रशिक्षित किया जाता है। वर्तमान में झारखंड के सभी जिलों में अपनी समिति है। दुर्गा वाहिनी की बहनें अपने-अपने क्षेत्र में बहुत ही सक्रियता से कार्य कर रही है और वर्तमान परिप्रेक्ष्य के अनुसार समाज की हर हिंदू युक्तियां हर महिलाओं को दुर्गा वाहिनी मातृ शक्ति से जुड़ना चाहिए, जिससे हम सब भारत को पुनः विश्व गुरु के पद पर स्थापित कर सके और अपने धर्म संस्कृति परंपराओं की क्षति होने से बचाएंगे।


