- भूमिज परिवार को लूटा भूमिज विधायक ने .
- संजीव हटाओ पोटका के भूमिजों को बचाओ टेक्टिस का हो रहा प्रचार
फतेह लाइव, रिपोर्टर.
जमशेदपुर के पोटका विधायक संजीव सरदार स्पष्ट करें कि ग्राम आसनबनी पोस्ट कांदरबेड़ा थाना चांडिल के निवासी समर सिंह सरदार से उनका क्या रिश्ता है, क्योंकि समर सिंह सरदार पर ग्राम पुड़ीसिली पोस्ट कपाली थाना चांडिल में निवास करनेवाले एक भूमिज परिवार के तीन वारिसों ने आरोप लगाया कि बिना रुपया पैसा दिये धोखाधड़ी से उनकी 94 डिसमिल जमीन समर सिंह सरदार ने रजिस्ट्री कराकर हथिया ली. यह कथित धोखाधड़ी विधायक संजीव सरदार के प्रभाव से की गयी है. अब उन पर दबाव बनाया जा रहा कि चुप रहें. इन वारिसों में एक शरद भूमिज उर्फ शरद सरदार पुत्र जालन सिंह भूमिज उर्फ जालन सिंह सरदार का कहना है कि उक्त कथित रुप से धोखाधड़ी करनेवाले समर सिंह सरदार विधायक संजीव सरदार के समधी हैं और वास्तव में धोखाधड़ी के पीछे विधायक संजीव सरदार का हाथ और उनका प्रभाव काम कर रहा था. विधायक ने ही यह जमीन अपने समधी के नाम पर लिखवाई है.
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अपने ही घर को लूटा अपने सरदार ने
इस विषय पर विधायक का पक्ष लेने के लिए उनके मोबाइल फ़ोन पर सम्पर्क करने पर फ़ोन नहीं उठा. उनके व्हाट्सप्प पर इन आरोपों को प्रेषित किया गया. अभी तक उनका जवाब प्राप्त नहीं हुआ. शरद का दावा है कि वह विधायक संजीव सरदार के साथ दो महीनों अथवा कुछ दिनों के लिये जुड़ा था और उनके यहां काम करता था. यह धोखाधड़ी उनकी पैतृक संपत्ति के दस्तावेज को ऑनलाइन चढ़ाने के नाम पर की गई. इस जमीन के रैयत स्व. सुखलाल सिंह भूमिज उर्फ सरदार थे जिनके पांच पुत्र जालन सिंह सरदार, जगदीश सिंह सरदार, बुद्धेश्वर सिंह सरदार, गुरुचरण सिंह सरदार और योगेश्वर सिंह सरदार हैं.
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सुखलाल सिंह सरदार के निधन के बाद इन पुत्रों ने उक्त संपत्ति पर अपना पुश्तैनी स्वामित्व अर्जित किया और आपसी पारिवारिक बंटवारे में उक्त प्रश्नगत 94 डिसमिल जमीन जालन सिंह सरदार, गुरुचरण सिंह सरदार और बुद्धेश्वर सिंह सरदार के हिस्से में आई. इनमें बुद्धेश्वर सिंह सरदार का निधन होने के बाद उनके पुत्र बिरेन्द्र सिंह सरदार का इस भूखंड पर पुश्तैनी स्वामित्व है. फिलहाल जालान सिंह सरदार, उनके बालिग पुत्र शरद सरदार, गुरुचरण सिंह सरदार और स्व. बुद्धेश्वर सिंह सरदार के जीवित पुत्र वीरेन्द्र सिंह सरदार ने आज एक वीडियो क्लिप में उक्त आरोप लगाया और मीडिया को उपलब्ध कराया.
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जालन सिंह सरदार का कहना है कि उन्हें मात्र एक हजार और विरेन्द्र सिंह सरदार का कहना है कि उन्हें दो हजार रु. मिला जबकि गुरुचरण सिंह सरदार का कहना है कि उन्हें कुछ भी रुपया – पैसा नहीं मिला, अलबत्ता धोखाधड़ी करनेवाले लोगों की ओर से भक्तरंजन सरदार उन्हें धमकाता है कि अभी जहां घर बनाकर रहते हो, वह जमीन भी हाथ से चली जाएगी. किन्तु भक्तरंजन सरदार के साथ आनेवाला अमर सिंह कहता है कि मामला नहीं उठाएं, जमीन वापस मिल जाएगी. गुरुचरण सिंह सरदार का कहना है कि मामले को लेकर वे कोर्ट में गये हैं. रजिस्ट्री के लिये बने दस्तावेज में दर्शाया गया है कि उक्त भूखंड सौदा के लिये 11 सितंबर, 2024 को झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक से निर्गत 8 विभिन्न चेकों के जरिए 5-5 लाख और एक चेक 5.5 लाख के हिसाब से कुल 40 लाख 50 हजार रु. का भुगतान किया गया. चेक क्लीयरेंस और रकम प्राप्ति पर उसमें प्रकाश नहीं डाला गया है, जबकि उक्त जमीन के मालिकों का कहना है कि उन्हें रुपया नहीं दिया गया. यह विधायक संजीव सरदार को स्पष्ट करना चाहिए कि उनका नाम इस तथाकथित सौदे और धोखाधड़ी में कैसे आया?