फतेह लाइव, रिपोर्टर.
गुरु नानक जयंती के उपलक्ष में प्रभात फेरी निकाली गई. सिंदरी से गौशाला फिर वापस गुरुद्वारा पहुंची, जिसमें सम्मिलित गुरु की संगत, प्रधान स्मृति नागी, जगदेव सिंह, बलबीर सिंह, हरिंदर सिंह, गुरचरण सिंह, हरभजन कौर, हरजीत कौर, मनदीप कौर, जसपाल कौर, दविंदर कौर, रीत कौर, प्रीत कौर, हरजीत कौर, सुरिंदर कौर, हीना उप्पल, मनजीत सिंह उप्पल, हरपाल सिंह, मोहन सिंह, कुलबीर सिंह, नरेंद्र सिंह, दलजीत सिंह भाटिया, मनजीत सिंह, प्रेम सिंह, जगदीश्वर सिंह, जगजीत सिंह उपस्थित रहे।
गुरु नानक जयंती, जिसे *गुरु नानक गुरपुरब* भी कहा जाता है, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती है। यह विशेष दिन कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवम्बर में आता है। इस दिन, सिख समुदाय और अन्य लोग गुरु नानक के उपदेशों और उनके जीवन के महान कार्यों को श्रद्धा और सम्मान के साथ याद करते हैं।
गुरु नानक का जीवन एक प्रेरणा है जो मानवता, समानता, और सच्चाई के प्रति निष्ठा को दर्शाता है। उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी (जो वर्तमान में पाकिस्तान के नारोवाल जिले में है) में हुआ था। उनके विचार और शिक्षा ने न केवल सिख धर्म को आकार दिया, बल्कि पूरे विश्व में समानता, भाईचारे और सेवा के संदेश को फैलाया।
गुरु नानक के प्रमुख उपदेश
1. **ईश्वर की एकता**: गुरु नानक देव जी ने हमेशा “एक ओंकार” का प्रचार किया, जिसका अर्थ है “ईश्वर एक है।” उन्होंने समाज में धार्मिक भेदभाव, जातिवाद और अंधविश्वास के खिलाफ अपनी आवाज उठाई और यह संदेश दिया कि सभी मनुष्य समान हैं, और परमात्मा की सेवा में कोई भेद नहीं होना चाहिए।
2. **सेवा और करुणा**: गुरु नानक देव जी का मानना था कि असली पूजा, सेवा और दीन-दुखियों की मदद में है। उनका कहना था, “नानक नाम चढ़दी कला, तिरे भाने सरबत दा भला,” अर्थात्, “गुरु नानक के आशीर्वाद से सबका कल्याण हो।”
3. **ईमानदारी और मेहनत**: गुरु नानक देव जी ने अपने अनुयायियों को ईमानदारी से काम करने और परिश्रम से जीविकोपार्जन करने की शिक्षा दी। उन्होंने कोई भी अमानवीय साधन से धन अर्जित करने की सख्त निंदा की।
4. **भाईचारा और समानता**: गुरु नानक ने सभी मनुष्यों को एक समान माना, चाहे उनकी जाति, धर्म, या रंग-रूप कुछ भी हो। उनका मानना था कि सब इंसान एक ही परमात्मा की संतान हैं, और उनके बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
गुरु नानक जयंती का महत्व
गुरु नानक जयंती पर, सिख समुदाय विशेष रूप से गुरुद्वारों में प्रार्थना और भजन संकीर्तन करता है। यह दिन धार्मिक और सामाजिक एकता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेष धार्मिक कार्यक्रम, “प्रभात फेरी,” “कीर्तन,” और “अकाल तख्त से समागम” आयोजित किए जाते हैं।
गुरु नानक जयंती पर विशेषत: “नानकशाही कैलेंडर” के अनुसार, लोग ‘लंगर’ (सिखों का सामुदायिक भोजन) का आयोजन करते हैं, जहाँ सभी जाति और धर्म के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं, जो गुरु नानक की समानता और भाईचारे के सिद्धांत को प्रकट करता है।
गुरु नानक देव जी के उपदेश न केवल सिख धर्म, बल्कि पूरे मानवता के लिए अमूल्य धरोहर हैं। उन्होंने हमें सिखाया कि सच्चाई, ईश्वर की एकता, और सेवा के माध्यम से ही हम दुनिया को बेहतर बना सकते हैं। गुरु नानक जयंती हमें इस संदेश की याद दिलाती है कि हमें जीवन में हमेशा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए, और अपने हर कार्य में मानवता और सेवा की भावना को प्राथमिकता देनी चाहिए।