फतेह लाइव, रिपोर्टर.
भाजपा द्वारा शनिवार को झारखंड में कुल 27 अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष विभिन्न जिलों में मनोनीत किए गए हैं. पूरे झारखंड में गुमला और जमशेदपुर में ही दो सिख अल्पसंख्यक जिला अध्यक्ष बने हैं. गुमला से हरमीत सिंह और जमशेदपुर से मंजीत गिल को मोर्चा का जिला अध्यक्ष बनाया गया है.
इस संदर्भ में जानकारी देते हुए गिल ने कहा कि पार्टी के जिला अध्यक्ष सुधांशु ओझा द्वारा मेरा नाम प्रस्तावित किया गया था जिसके के लिए मैं विशेष रूप से उनका आभार व्यक्त करता हूं. वे बोले पार्टी के आला नेताओं को मेरे नाम पर गुमराह करने की साजिश आज नाकाम हुई है. हालांकि शहर में मंजीत के शुभचिंतक यह चर्चा कर रहे हैं कि मंजीत को रघुवर दास के एक करीबी सिख नेता को पकड़ा. उसे लेकर रांची भागदौड़ की, तब मंजीत का नाम पक्का हुआ.
इधर मोर्चा का गठन होते ही दबी जुबान से बंगाल के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी की बात सबको याद आने लगी है कि जो हमारे साथ हम उनके साथ. जी हां पूरे राज्य में जमशेदपुर, रांची, धनबाद, बोकारो, रामगढ़ और हजारीबाग में सिखों की काफी आबादी होने के बावजूद दो ही जिले में सिख चेहरे पर मुहर लगाई गई है. अन्य सभी जिलों में सिखों को नजरंदाज किया गया है और अंदर ही अंदर इस निर्णय से कहीं न कहीं सिख आहत होंगे. विशेषकर ऐसे समय में यह निर्णय लिया गया है जब पूरे झारखंड में लोकसभा चुनाव से ही सिख प्रत्याशी देने की मांग तेज हो चुकी है. अब कुछ ही दिनों सप्ताह बाद झारखंड में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. ऐसे में सिख अपना रांची और जमशेदपुर से एक प्रत्याशी घोषित करवाने के लिए प्रयासरत हैं.
भाजपा, झामुमो और कांग्रेस से सिख प्रत्याशी देने के इस विषय पर सिखों की धार्मिक संस्थाओं और बड़े-बड़े नेताओं ने भी मोर्चा खोल दिया है कि अगर प्रत्याशी नहीं बनाया तो निर्दलीय प्रत्याशी खड़ा करेंगे. विशेषकर इस बात को पत्रकारों के युवा नेता और सामाजिक कार्यकर्ता प्रीतम सिंह भाटिया ने 2019 से ही झारखंड में उठाया था. आज भी इस मामले पर सिखों की धार्मिक संस्थाओं में से एक सीजीपीसी, सिख नेता इंद्रजीत सिंह कालरा, पत्रकार प्रीतम सिंह भाटिया समेत सिख समाज के कई बुद्धिजीवियों ने मुद्दा बना दिया है. ठीक इस समय में ही भाजपा ने मात्र दो सिख चेहरों को ही जगह देकर पार्टी में अंतर्कलह की नींव रख दी है.
सभी जानते हैं कि लंबे समय तक देश में सिखों का रूझान भाजपा की तरफ था जो अब धीरे-धीरे समीकरण और परिस्थितियों के अनुसार बिगड़ता नजर आ रहा है. जिस समुदाय पर भाजपा ने भरोसा जताया है उसका वोट प्रतिशत सिखों के अनुपात में हमेशा निराशाजनक रहा है.इसी बात का बंगाल के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने खुलकर विरोध किया है कि जो हमारे साथ हम उनके साथ, बंद करो ये अल्पसंख्यक मोर्चा.