• कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद जारी हुआ वसूली नोटिस, अब हर तिथि पर अधिकारियों को देनी होगी उपस्थिति
  • 5 अगस्त को होगी अगली सुनवाई, न्यायालय की सख्ती से बढ़ी अधिकारियों की चिंता

फतेह लाइव, रिपोर्टर

रांची स्थित झारखंड उच्च न्यायालय में वेबेल टेक्नोलॉजी लिमिटेड द्वारा जमशेदपुर के सहायक उत्पाद आयुक्त अजय कुमार और जेएसबीसीएल के प्रबंध निदेशक विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ दायर अवमानना याचिका संख्या 6157/2025 पर सुनवाई हुई. मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य न्यायमूर्ति एम. एस. रामचंद्र राव एवं न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि कोर्ट के अंतरिम आदेश के बावजूद जबरन की गई वसूली प्रथम दृष्टया न्यायालय की अवमानना प्रतीत होती है. कोर्ट ने नियम 393 के तहत दोनों अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए प्रत्येक सुनवाई में सशरीर उपस्थित रहने का आदेश दिया है.

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कोर्ट के आदेश की अवहेलना पड़ी भारी, हर पेशी पर देनी होगी हाजिरी

दरअसल, झारखंड सरकार की ओर से वेबेल टेक्नोलॉजी को 11 अप्रैल 2025 को ₹20 करोड़ जमा करने का नोटिस दिया गया था. लेकिन इससे पहले ही 26 मार्च 2025 को रिट याचिका संख्या 661/2025 अदालत में लंबित थी, जिसपर अदालत ने संबंधित कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. इसके बावजूद 11 अप्रैल को दोबारा नोटिस जारी कर दिया गया, जिससे परेशान होकर कंपनी ने एक और रिट याचिका संख्या 5257/2025 दाखिल की. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेश दिया था कि नोटिस के तहत कोई भी आगे की कार्यवाही नहीं की जाएगी. बावजूद इसके, उत्पाद विभाग के सहायक आयुक्त अजय कुमार ने 11 जून को फिर से पत्र जारी कर कंपनी से ₹20.22 करोड़ की वसूली का निर्देश दिया.

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अंतरिम आदेश को किया नजरअंदाज, फिर जारी हुआ नया वसूली पत्र

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई अंतरिम आदेश के उल्लंघन के दायरे में आती है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए. न्यायालय ने झारखंड उच्च न्यायालय नियम, 2001 के नियम 393 के तहत नोटिस प्रपत्र-I जारी किया, जिसका अर्थ है कि दोनों प्रतिवादी अधिकारियों को अब अदालत के किसी भी आदेश तक हर सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना अनिवार्य होगा. याचिकाकर्ता कंपनी के अधिवक्ता जैद इमाम ने अदालत को बताया कि वेबेल टेक्नोलॉजी का सरकार पर वेतन और ओवरटाइम मद में ₹28 करोड़ का बकाया है, जिसे लेकर मामला पूर्व से ही न्यायिक विचाराधीन है.

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₹28 करोड़ बकाया और ऊपर से वसूली का दबाव, अधिवक्ता बोले यह न्यायालय की अवमानना

यह मामला झारखंड में सरकारी एजेंसियों द्वारा न्यायिक आदेशों के अनुपालन को लेकर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है. अदालत का यह आदेश यह भी दर्शाता है कि न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अब यह देखना अहम होगा कि आगामी 5 अगस्त 2025 को जब अगली सुनवाई होगी, तब इन अधिकारियों का पक्ष क्या होगा और अदालत उनके खिलाफ क्या रुख अपनाती है. इस मामले ने राज्य में “गुड गवर्नेंस” की नीति पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

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