फतेह लाइव, रिपोर्टर।
देश भर में गुरुवार को सूचना अधिकार दिवस मनाया जा रहा है. यह एक ऐसा हथियार है जो बिना बुलेट के ही सरकारी अफसरों पर मीठा सा प्रहार करता है. पूर्वी सिंहभूम जिले में वैसे तो कई आरटीआई कार्यकर्ता होंगे जो भ्रष्टाचार को समय समय पर उजागर करके अफसरों पर लगाम लगाने का काम करते हैं. इन्हीं में एक शख्स हैं परसुडीह मकदमपुर के रहने वाले कमलेश कुमार. इनकी पेन कॉपी की चर्चा शायद ही कोई ऐसा सरकारी महकमा हो जहां ना होती हो. कमलेश कुमार की पहचान ऐसे हो गई है कि सरकारी बाबू इन्हें लड़ाकू विमान की उपाधी से बोलने लगे हैं. जी हां, बोलने में हर्ज भी क्या है, क्यूंकि सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार पर इनकी लेखनी हमेशा वार करते रहती है.
जिला प्रशासन का मत्स्य विभाग, ब्लॉक, बाजार समिति, अंचल कार्यालय, जिला परिषद आदि कई कार्यालय हैं जहां 130 से अधिक आरटीआई कर चुके हैं और भ्रष्टाचार होने का दावा भी करते हैं. बहुत से अधिकारियों पर कार्रवाई भी हुई. इसके अलावा विशेष तौर पर रेल विभाग में भी इनका ख़ौफ सर चढ़ कर बोलता है. कर्मचारी तो इन्हें देखते ही नजरें चुराने लगते हैं. कमलेश कुमार का कहना है की जिस उद्देश्य से सूचना अधिकार अधिनियम 2005 लागू हुआ था. आजकल उसका पालन अधिकारी नहीं कर रहे हैं.. ससमय सूचना नहीं मिलने से कागजी कार्रवाई करने में दिक्कतें आती है. भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग पाता है. अधिकारियों को इसका पालन सुनिश्चित करना चाहिए ताकि सूचना पारदर्शी हो सके.
कांग्रेस आरटीआई विग का बनाया गया चेयरमैन
कमलेश कुमार के कार्यों को देखते हुए ही कांग्रेस जिला अध्यक्ष आनंद बिहारी दूबे ने उन्हें पार्टी में आरटीआई विग का चेयरमैन पद दिया है और सूचना अधिनियम के तहत कलम रगड़ने की खुली छूट दी गई है. कमलेश कुमार कहते हैं की प्रधानमंत्री आवास योजना में बहुत गड़बड़झाल है. इसके अलावा आदेश की धज्जियां उड़ाकर बहुमंजिल इमारते बनाई जा रही है. जिम्मेवार खुद बड़े ठेकेदारों, बिल्डरों से मिले हुए हैं. इन सबके विरुद्ध आरटीआई के तहत प्रक्रिया शुरु की गई है. टाटानगर स्टेशन में भी कई अवैध खेल चल रहे हैं. अधिकारी मालामाल हो रहे हैं. उन सबकी पोल खोलने का कार्य वे बाखूबी निभाते रहेंगे और जनता के बीच उनके गलत कार्यों को उजागर करने का काम करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि आरटीआई कार्यकर्त्ता को कोर्ट सम्मान देता है वैसे अधिकारी नहीं देते, जो बहुत ही दुर्भाग्य की बात है.
ये भी जानें
देश में 12 अक्टूबर को आरटीआई दिवस मनाया जाता है। सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की मूल प्रस्तावना में ही कहा गया है कि ‘सूचित नागरिकता’ व ‘सूचना की पारदर्शिता’ प्रभावी लोकतंत्र हेतु इसलिए अपेक्षित है क्योंकि इससे प्रशासन में भ्रष्टाचार को मिटाते हुए अधिक उत्तरदायित्वपूर्ण कार्य संचालित हो सकेंगे।
नागरिकों तक जानकारी पहुंचाना
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 सरकारी सूचना के लिए नागरिकों के अनुरोधों का समय पर जवाब देना अनिवार्य करता है। यह कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा की गई एक पहल है, जो नागरिकों को प्रथम अपीलीय अधिकारियों, पीआईओ आदि के विवरण के बारे में जानकारी की त्वरित खोज के लिए एक आरटीआई पोर्टल गेटवे प्रदान करती है। भारत सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के तहत विभिन्न सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा वेब पर प्रकाशित आरटीआई से संबंधित जानकारी / प्रकटीकरण के लिए।
सूचना का अधिकार अधिनियम का उद्देश्य
सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाना, सरकार के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार को रोकना और हमारे लोकतंत्र को वास्तविक अर्थों में लोगों के लिए काम करना है। शासन के साधनों पर आवश्यक निगरानी रखने और सरकार को शासितों के प्रति अधिक जवाबदेह बनाने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित। यह अधिनियम नागरिकों को सरकार की गतिविधियों के बारे में सूचित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।