फतेह लाइव, रिपोर्टर.
झारखंड में सरकार के मुखिया क्या बदले कि पुलिस अधीक्षक मनीष टोप्पो को गृह जिले से हटाए जाने की चर्चा पूरे झारखंड में होने लगी है. सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री के गृह जिले में बढ़ते गैंगवॉर को लेकर लगभग 6 थानेदारों को एसपी मनीष टोप्पो हटाने वाले थे. इस पर एसपी द्वारा डीआईजी कोल्हान तक सहमति पत्र भी भेजा गया था, लेकिन मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार चंचल गोस्वामी ने इस पर आपत्ति जताई और अपनी सेटिंग का एहसास कराने के लिए एसपी को ही हटवा दिया.
ज्ञात हो कि सरायकेला-खरसावां जिला में डॉ विमल कुमार की पोस्टिंग के तीन महीने के भीतर ही जिले की स्थिति में काफी सुधार हुआ था, जिसे विमल कुमार के बैचमेट मनीष टोप्पो ने भी कुछ समय तक बरकरार रखा था. हाल ही में आदित्यपुर से लेकर सरायकेला क्षेत्र तक बढ़ते अपराध को नियंत्रित करने के लिए एसपी ने आधा दर्जन थानेदार बदलने के लिए डीआईजी को पत्राचार किया, जिस पर ग्रहण लग गया.
इसके बाद जिला में आईजी-डीआईजी और एसपी के दबाव में अपराधियों की लगातार धर-पकड़ होने से जिले में सुशासन कायम हुआ. अवैध बालू और स्क्रैप का कारोबार समाप्त तो नहीं हुआ लेकिन कुछ हद तक अंकुश लगाया जा चुका है. फिर भी एसपी का ट्रांसफर अचानक होने से पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है? सूत्र बताते हैं कि जिले के एसपी राजनीतिक दबाव में काम करने को तैयार नहीं थे और इसलिए उन्हीं के साथ थानेदारों ने मिलकर राजनीति खेल दी और खेला हो गया.
चंगू-मंगू की चर्चा भी जोरों पर
सूत्रों की मानें तो चंगू-मंगू उप नाम से पत्रकारों के बीच चर्चा का विषय बने दो कलाकारों ने भी एसपी को हटाने में कुछ थानेदारों की लाइजनिंग की है. कारण कि थानेदार उन्हीं के द्वारा लाए गए थे. अब इतना जल्दी हटाने पर विरोध तो होना ही था, फिर बार-बार लाइजनिंग करना भी तो मुश्किल है. वैसे चंगू-मंगू की कार्यशैली पर राज्य के विधायकों ने भी शिकायत आलाकमान तक पहुंचा दी थी. चर्चा तो यह भी है कि पूर्व एसपी विमल कुमार को भी राजनीतिक दबाव के कारण ही हटना पड़ा था. यही कारण है कि दोनों बैचमेट मनीष और विमल एक साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाए.