फतेह लाइव, रिपोर्टर.
सरायकेला-खरसावां:जब सारा गांव सो जाता था तब चोर,पुलिस और स्क्रैप माफियाओं के साठ-गांठ का समय शुरू हो जाता है.फिर सैय्यां भये कोतवाल तब डर काहे का……… वाली कहावत पूरी तरह से बंद पड़ी अभिजीत कंपनी के लिए तो सटीक हो चुकी है. स्क्रैप माफियाओं और चोरों को कंपनी से कैसे घुसना है, कब घुसना है कितने बड़े वाहन और कितने-कितने चोर घुसेंगे. यह सारी कहानी लाईजनर और सिक्योरटी गार्ड बबलू दास नामक व्यक्ति तय करता है, जो कि खरसंवा का ही रहने वाला है.
सूत्र बताते हैं कि बबलू 5 साल पहले थाने का निजी चालक भी रह चुका है और वह उस समय भी लाईजनर की भूमिका में ही था. बाद में वह कंपनी में सुनियोजित तरीके से चोरी के लिए सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने लगा. कैसे चोरी करवाना है, किससे कितना पैसा लेना है, किसको फंसाना है और किसको बचाना है, यह सारे कामों में बबलू को महारथ हासिल है. अगर लाखों की कमाई और इतना सब लाईजनिंग सिस्टम से हो तो चोरों और स्क्रैप माफियाओं को आखिर डर कैसा?
बबलू प्रति वाहन 12-15 हजार रुपए लेता रहा और दिन भर में 20-25 छोटे-बड़े वाहनों को बकायदा कंपनी की कुछ जगहों से टूटी हुई बाउंड्री से अंदर घुसवाता भी रहा. क्या पिक अप वैन और क्या 10 चक्का ट्रक जिसकी जैसी सेटिंग वैसा स्क्रैप मिला. महीने भर में जब कभी पांच-सात स्क्रैप माफिया माल उठाते तो बबलू की कमाई लाखों में होती है. एक ही रात में एक साथ 40-50 चोर घुसते और रात भर बड़े-बड़े महंगे पार्ट्स चैनल और एंगल काट कर सुबह-सुबह के अंधेरे में ही आस-पास के गोदाम, छोटी-बड़ी कंपनियों और टाल में पहुंचा दिएं जाते. इस धंधे में अवैध कमाई का एक बड़ा हिस्सा अपने पास रख बबलू कुछ हिस्सा अन्य सुरक्षाकर्मियों में भी शेयर करता है.
थानेदारों का रहा है गंदा रिकॉर्ड,जांच हुई तो नपेंगे कई
पिछले 5 सालों में कुछ थानेदारों का इतना गंदा रिकॉर्ड रहा है कि रातभर खुलकर चोरी करवाते और मोटी रकम भी वसूलते रहे हैं.स्क्रैप माफियाओं की सांठ-गांठ ऐसी थी कि बकायदा थानेदार के वसूलीकर्ता को चोरों के गाड़ी नंबर तक व्हाट्सप कर दिए जाते थे.इससे प्रति वाहन पैसों का हिसाब बना रहता था और हाल के कुछ महिनों तक तो संजय नामक एक सिपाही थानेदार का पैसा वसूली कर रहा था.हाल के दिनों में जमशेदपुर से सरायकेला-खरसंवा में पदस्थापित हुए एक इंस्पेक्टर भी तीन दिनों से काफी चर्चा में हैं.94 बैच के इस इंस्पेक्टर ने अमन गुप्ता नामक चोरों के सरदार को मानों टेंडर ही दिलवा दिया था.अमन की इंट्री से पुराने स्क्रैप माफियाओं के रसूखदार गुर्गे मोहम्मद चांद की परेशानी बहुत बढ़ गई थी.अमन ने इस मोटी कमाई से बोलेरो गाड़ी खरीदी.बस यहीं से शुरू हुआ है दो चोर ग्रुप का विवाद और फिर होने लगे परत दर परत खुलासे.कुछ थानेदार तो इन माफियाओं से इतनी बड़ी कमाई करके दूसरे जिले पदस्थापित हो चुकें हैं कि अगर उनके कारनामे और उनके संपत्तियों की जांच हो जाए तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आएंगे.
पासिंग में बॉर्डर थाना भी होता रहा लाभान्वित
खरसंवा थाना के अलावा उन सभी थानों में 5 से 25 हजार तक मंथली वाला लाईजनिंग सिस्टम काम करता था जिन इलाकों से चोरी का माल रोजाना देर रात या सुबह-सुबह पास होता था.कभी-कभार माल पकड़ा भी जाता था तो उसका एक बड़ा कारण था गाड़ी नंबर सहित किसी स्क्रैप माफिया द्वारा दूसरे के माल को पकड़वाने के लिए ऊपर तक शिकायत पहुंचाना.इसका ताजा उदाहरण है 31 मार्च की रात 10.00 बजे आदित्यपुर में पकड़े गए 25 टन स्क्रैप लदा ट्रक जो विभिन्न थाना क्षेत्रों को पार कर आदित्यपुर के तिवारी टाल में पहुंच गया.अभिजीत से निकले चोरी के माल को कितने चालाकी से तीन-तीन थाना क्षेत्र को पार करते हुए आदित्यपुर लाया गया जो कि डीएसपी हेडक्वार्टर प्रदीप उरांव द्वारा गुप्त सूचना पर पकड़ लिया गया.
जांच के नाम पर तीन दिन तिवारी को बचाने के लिए तो नहीं
आदित्यपुर में रविवार की रात पकड़ में आए फर्जी बिल वाले चोरी के स्क्रैप ले जा रहे माफिया नवनीत तिवारी को बचाने के लिए आज चौथे दिन भी जांच एक बड़ा बहाना तो नहीं है.देखा जाए तो यह गंभीर और चौंकाने वाली बात है.जिस नवनीत तिवारी को आदित्यपुर की पूर्व में थानेदार रहते सुषमा कुमारी ने 29 जून 2020 को चोरी के 10 बाईक और स्क्रैप चोरी में जेल भेजा था उसे आदित्यपुर पुलिस ने जांच के नाम पर तीन-चार दिन क्यों दे दिए?जब एक हिस्ट्रीशीटर का माल एक डीएसपी द्वारा पकड़ा गया था तो सबसे पहले तिवारी के गोदाम में छापेमारी कर सील कर देना चाहिए था.फिर किसके इशारे पर थाना प्रभारी ने चार दिन जांच में लगा दिए?क्या इन चार दिनों में चोरों को बचाने वाले सक्रिय थे या फिर स्क्रैप सिंडिकेट वाले थानेदार पर हावी हो चुके थे?जीएसटी का फर्जी बिल लगाकर रोजाना न जाने कितने वाहन कोल्हान में चोरी का माल ढोते रहें हैं ये किसी से छिपा नहीं है.
चार दिन से जांच कर रही पुलिस की भूमिका भी संदेहास्पद है क्योंकि इस मामले में जीएसटी का फर्जी बिल बनाने वाले नेटवर्क,तिवारी के लिए काम करने वाले अमन गुप्ता,मोहम्मद चांद,भुवनेश्वर राकेश,नाटू पूर्ति सहित दर्जनों लोग संदेह के दायरे में हैं.ईमानदारी से मामला दर्ज किया गया तो पूरा नेटवर्क ही जेल जाएगा और बहुत बड़ा खुलासा होगा.
अगले अंक तक जारी…..………….