फतेह लाइव, रिपोर्टर.

सरायकेला-खरसावां में अभिजीत कंपनी की सुनियोजित चोरी में जिले में पासिंग चार्ज एडवांस में भुगतान किए जाते रहे हैं. जिस स्क्रैप माफिया ने एडवांस नहीं किया तो उसने सजा भी भुगतनी है. सजा भी ऐसी कि गाड़ी पकड़ ली गई और मामला भी दर्ज कर लिया गया.एक मामला ऐसा ही हुआ जहां पासिंग थाना मैनेज नहीं करने पर सरायकेला थाना ने माल पकड़ लिया.

मामला जनवरी 2024 का है जब आदित्यपुर के एक इलेक्ट्रॉनिक दुकान पर काम करने वाले मनीष सिंह,गम्हरिया के स्क्रैप टाल संचालक बरूण सिंह, अभिषेक जयसवाल, गोलमुरी के स्क्रैप माफिया महेश राव और वेंकट राव पार्टनर बनकर धंधे में आए. गम्हरिया में बरूण सिंह का टाल था जहां पार्टनर बनकर सभी बैठते थे.

धंधा चालू करने से पहले इन्होंने पासिंग थाना सरायकेला में सेटिंग नहीं की परिणाम हुआ कि सुबह के 4.00 बजे सुनियोजित तरीके से चोरी का स्क्रैप लदा पिक अप वैन पकड़ लिया गया. मामला जब सभी पार्टनर के पास पहुंचा तो पता चला कि मोहम्मद चांद ने थाना के लिए मुखबिरी कर गाड़ी पकड़वा दी. थानेदार अर्जुन उरांव खुद गाड़ी पकड़ने पहुंचे तो देखा कि ड्राइवर व खलासी को गांव वालों ने घेर लिया है.

थाना में एक बनावटी कहानी दर्ज कराई गई और एक ही पार्टनर अभिषेक जयसवाल पर मामला दर्ज कर बाकी सभी का एफआईआर में जिक्र तक नहीं हुआ.माल और गाड़ी जप्त करते हुए ड्राइवर और खलासी जेल भेजे गए.एफ.आई.आर में लिखा गया कि गांव में चोरी से परेशान ग्रामीणों को रतजगा करने पर एक गाडी़ को पकड़ा है.मामला खरसंवा से अभिजीत की स्क्रैप चोरी का था और कहानी कुछ और बनाईं गई ताकि उच्च अधिकारियों और मीडिया को संशय में रखा जा सके.

सूत्र बताते हैं कि स्क्रैप माफिया और आपराधिक छवि के किसी बीके नंदी नामक व्यक्ति ने पूरे मामले को मैनेज करवाया और मात्र एक पार्टनर अभिषेक जयसवाल को ही आरोपी बनवाया.

सूत्र बताते हैं कि पूरा मामला रफा-दफा करने के बजाए तीन पार्टनर को बचाने पर धंधेबाजों के बीच विवाद हुआ कि माल लेकर काम ख़राब कर दिया गया.इसके बाद चारों पार्टनर ही आपस में लड़ गये कि धंधे में चारों पर केस होता या चारों बच जाते.इलेक्ट्रोनिक दुकान में काम करने वाले और पुलिस तथा नंदी के खासमखास मनीष सिंह ने धंधा बंद कर गोलमुरी का रूख कर लिया और अभिषेक को किनारे कर दिया.

सूत्र बताते हैं कि जब बीके नंदी से पैसा वापस मांगा गया तो उसने धमकी दे दी कि धंधा बंद करवा दूंगा.नंदी पुलिस और अपराधियों के लिए लाईजनर व मुखबिरी का काम करता था इसलिए धंधेबाज डर गये और गोलमुरी में ही अपना टाल केबुल कंपनी के पास संचालित कर लिया.नंदी का नाम कुछ ही दिनों पहले कदमा के किसी होटल के बाहर हवाई फायरिंग और मारपीट में भी आया था.यहां भी मामला पैसों के लेन-देन से जुड़ा हुआ था.

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