रेलवे ने बढ़ाया टेंडर वैल्यू, वर्तमान ठेकेदार बैकफुट पर, अन्य उपभोक्ता भी असमंजस में
स्टेशन पार्किंग संचालन को लेकर हुई है कई घटनायें, पहले दबंगों के नाम से चलती आई है पार्किंग
फतेह लाइव, रिपोर्टर.
दक्षिण पूर्व रेलवे की सबसे चर्चित और महंगी टाटानगर रेलवे स्टेशन की पार्किंग का टेंडर शुक्रवार को होने वाला है. रेलवे सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार इस बार की प्रक्रिया में टेंडर शुल्क (फिक्स प्राइज) पहले से तक़रीबन डेढ़ गुणा बढ़ा दिया गया है. इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि टेंडर की जगह इस बार ई-ऑक्शन की प्रक्रिया अपनाई गई है. साथ ही मेन पार्किंग के अलावा सेकेंड एंट्री गेट (बर्मामाइंस) दोनों का अलग अलग ऑक्शन किया जा रहा है.
वैसे तो यह पार्किंग हमेशा सुर्खियों में बनी रही, लेकिन उससे भी परे इसका नाम देश विदेश में चर्चा में आया, जब गत लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री को जमशेदपुर आना था. तब इसी पार्किंग में उनका कार्यक्रम तय हुआ था. पार्किंग को पलभर में दुल्हन की तरह सजाया गया था, लेकिन मौसम खराब होने की वजह उनका कार्यक्रम टल गया और वे अपने समर्थको का उत्साह बढ़ाने जमशेदपुर के बिष्टुपुर आये थे.
बहरहाल, वर्तमान में दोनों स्टेशन एंट्री गेट पर शैल इंजीनियरिंग पिछले समय से पार्किंग की देख रेख कर रही है. इसके पूर्व टाटानगर स्टेशन की पार्किंग का इतिहास रहा है कि मारपीट की कई बड़ी घटनाओं को लेकर यह चर्चा में बनी रही.
शैल इंजीनियरिंग के कार्यकाल में इक्का दुक्का छिटपुट घटनाओं को छोड़ शायद ही कोई बड़ी घटना यहां विगत तीन सालों में घटी है, ऐसा कहा जा सकता है. वैसे टाटानागर स्टेशन में रेल नीर पानी के धंधे पर कब्जे को लेकर पार्किंग में नीरज दूबे पर फायरिंग हुई थी. उसके बाद से लगातार स्टेशन में कई अपराधिक गिरोह खान-पान की व्यवस्था में नियम कानून को ताक में रखकर अपनी धाक स्टेशन में जमाये हुए हैं, जो आने वाले समय में फिर बड़ी घटना को दावत दे रहा है.
इस दरमियान कोरोना काल में भी ठेकेदार ने घाटे के सौदे में पार्किंग को निर्विवाद चलाया था. शुरआती दौर में तत्कालीन एवं स्व. ठेकेदार उपेंद्र सिंह के समय में यह पार्किंग अधिकतम 30 से 40 लाख में संचालित होती थी. उसी वक्त पार्किंग सुर्खियों में आई थी, जब यहां टेम्पो चालकों के साथ ठेकेदार का विवाद हुआ था. गोलीबारी में एक चालक जितेन्द्र सिंह की मृत्यु हो गई थी. वर्तमान में यह पार्किंग करीब साढ़े चार करोड़ (+ जीएसटी) में चल रही है. अब ई ऑक्शन की नई व्यवस्था में इसका रेट छह करोड़ से शुरू होगा, जिसकी भरपाई कर पाना शायद ही किसी के लिए संभव हो. सूत्रों के अनुसार इसी लिए अब पार्किंग से वर्तमान ठेकेदार ने भी हाथ उठाने का फैसला लिया है. वैसे विवादों के दौरान कई ठेकेदार यहां ब्लैकलिस्ट भी हो चुके हैं.
उपेंद्र सिंह के बाद कई लोगों ने पार्किंग को कोटेशन के आधार पर चलाया. मुंबई से भी एक फॉर्म ने पार्किंग को कब्जे में लिया और पेटी में कमलेश सिंह व अन्य को जिम्मेदारी का संचालन दिया था, लेकिन तब भी पार्किंग विवादों को लेकर सुर्खियों में बनी रही.
अब जब टाटानगर स्टेशन का विस्तारिकरण दोनों छोर में होना है, जो लगभग तीन वर्षों में होना तय किया गया है. तब रेलवे पार्किंग का टेंडर फिक्स रेट डेढ़ गुणा कर दिया गया है, ऐसे में वर्तमान ठेकेदार या फिर कोई अन्य इस ई ऑक्शन में भाग लेने से कतरा रहे हैं, क्यूंकि यह घाटे का सौदा साबित होगा. सूत्रों के हवाले से कई अपराधिक छवि के खास जो बागबेड़ा, परसुडीह के रहने वाले हैं. वह फिर मुंबई की फर्म को उपयोग कर इस पार्किंग को हथियाने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं. वह इसमें कितना सफल होंगे, यह तो बाद की बात है, लेकिन स्टेशन पार्किंग के ई- ऑक्शन को लेकर एक बार फिर इलाके में गैंग वार का अंदेशा बन गया है. जिला और रेल प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.