फतेह लाइव, रिपोर्टर
अखिल भारतीय जनवादी समिति नगर कमिटी ने सावित्री बाई फुले की 194वीं जयंती मनाई. इस अवसर पर सर्वप्रथम उनके चित्रों पर माल्यार्पण किया गया. अध्यक्षता करते हुए एडवा सिंदरी नगर की अध्यक्ष रानी मिश्रा ने कहा कि प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले ने कड़े संघर्ष के बाद पढ़ लिखकर शिक्षिका बनी थी. उस समय का समाज उन्हें पढ़ाई से रोकने के लिए उन्हें घर से निकाल दिया, पर उनके पति ने पढ़ाई में सहयोग कर शिक्षिका बनाया. सावित्री बाई फुले के शिक्षिका बनने से महिलाओं के बीच शिक्षा का ज्यादा प्रसार हुआ. अभी भी हमारा देश पूर्ण साक्षर नहीं हुआ है. महिलाओं की दशा अभी भी दयनीय है. हमें उनसे प्रेरणा लेकर दलित, पीड़ित और अशिक्षित वर्गों के बीच शिक्षा का प्रसार करने की जरूरत है. जयंती समारोह में अध्यक्ष रानी मिश्रा, सचिव मिठू दास, सविता देवी, रंजू देवी, सीता देवी, चंपा देवी आदि ने संबोधित किया.
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वहीं अंबेडकर चौक सिंदरी में दलित शोषण मुक्ति मंच एवं अंबेडकर युवा विचार मंच की ओर से श्रद्धांजलि एवं संकल्प सभा का आयोजन किया गया. सबसे पहले उपस्थित सभी ने सावित्रीबाई फुले के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए समाजसेवी पूर्व प्रिंसिपल भोला पासवान ने कहा सावित्रीबाई फुले देश की पहली महिला शिक्षिका थीं. स्त्री शिक्षा के लिए उनका पूरा जीवन समर्पित रहा. उन्होंने उस समय स्त्री शिक्षा का जोत जगाया जिस समय सभी के लिए शिक्षा ग्रहण करना प्रतिबंधित था. शिक्षा पर विशेष वर्ग का कब्जा था. स्त्री शिक्षा को पाप समझा जाता था. श्रद्धांजलि सभा को दलित शोषण मुक्ति मंच के नेता राम लायक राम, नरेंद्र नाथ दास, सुबल चंद्र दास, अंबेडकर युवा विचार मंच के अध्यक्ष बुधन राम, सचिव रवींद्र प्रसाद, ज्ञान विज्ञान समिति के विकास कुमार ठाकुर, शैलेंद्र द्विवेदी, उमाशंकर सिंह, रामप्रसाद ने मुख्य रूप से संबोधित किया.
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सभी वक्ताओं ने स्त्री शिक्षा की देवी सावित्रीबाई फुले के स्त्री शिक्षा के लिए उनके संघर्षों को याद किया और उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही. श्रद्धांजलि सभा में राजेश पासवान, मंटी आनंद, गौतम प्रसाद, राजा कुमार चंचल, शंकर राम, शिवपूजन राम, वकील पासवान, शिबू राय, पीके सिन्हा, रामलाल महतो, राजन तिवारी मुख्य रूप से उपस्थित थे.