फतेह लाइव, रिपोर्टर
झारखंड विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार परिषद राँची द्वारा प्रायोजित ‘रिमोट सेंसिंग और जीआईएस का अनुसंधान में अनुप्रयोग’ विषय पर सात दिवसीय कार्यशाला का शुरू हुआ. कार्यशाला का शुभारंभ सोमवार को बीआईटी सिंदरी असैनिक अभियंत्रण विभाग के राजेंद्र प्रसाद हॉल में किया गया. इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ नीलांचल पटेल प्राध्यापक बीआईटी मेसरा थे. कार्यक्रम की परंपरागत शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती मां की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर की गई. तत्पश्चात संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा कुलगीत एवं सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी गई. कार्यक्रम की शुरुआत में बीआईटी सिंदरी के निदेशक प्रो (डॉ) पंकज राय ने मुख्य अतिथि को पुष्पगुच्छ दे कर सम्मानित किया. समारोह को संबोधित करते हुए असैनिक अभियंत्रण के विभागाध्यक्ष सह कार्यशाला के संयोजक प्रो (डॉ) जीतू कुजूर ने उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि ये कार्यशाला सभी विद्यार्थियों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगी. इसके बाद कार्यक्रम के समन्वयक सह प्राध्यापक असैनिक अभियंत्रण विभाग बीआईटी सिंदरी, प्रो (डॉ) कोमल कुमारी ने
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इस कार्यशाला की रूप रेखा प्रस्तुत करते हुए, उपस्थित सभी अतिथियों का धन्यवाद दिया. कार्यक्रम की अगली कड़ी में बीआईटी सिंदरी के निदेशक सह संरक्षक प्रो (डॉ) पंकज राय ने भविष्य में भी ऐसे कार्यशाला के आयोजन के बारे में बात करते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला संस्थान एवं इंडस्ट्रीज के बीच की दूरी को कम करेगा एवं विद्यार्थियों को प्रायोगिक विषयों पर अच्छी जानकारी मिलेगी. उद्घाटन समारोह में उपस्थित कार्यशाला के रिसोर्स पर्सन सह प्राध्यापक असैनिक अभियंत्रण विभाग बीआईटी सिंदरी, डॉ ब्रह्मदेव यादव ने बताया कि रिमोट सेंसिंग, ज्योटेक्निकल अभियंत्रण के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है. डॉ माया राजनारायण रे ने भी अपने उदगार व्यक्त किये एवं कार्यशाला के विषय पर प्रकाश डाला. उद्घाटन समारोह के बाद आयोजित एक्सपर्ट लेक्चर के पहले सत्र में डॉ नीलांचल पटेल प्राध्यक बीआईटी मेसरा ने रिमोट सेंसिंग के मूलभूत सिद्धांत एवं उनके प्रयोग एवं अर्बन स्ट्डीज में रिमोट सेंसिंग एवं जीआईएस के प्रयोग पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए बताया कि रिमोट सेंसिंग एक तकनीक है जो सतह से विकिरण ऊर्जा का उपयोग करके पृथ्वी का अध्ययन करती है. यह सैटेलाइट और एयरक्राफ्ट के माध्यम से बिना प्रत्यक्ष संपर्क के किया जाता है.
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एक्सपर्ट लेक्चर सीरीज के दूसरे सत्र में डॉ मधुमिता शाहू पोस्ट डॉक्टरल शोधकर्ता यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड यू के से ऑनलाइन माध्यम से जुड़ी एवं रिमोट सेंसिंग का भूमिगत जल एवं प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया, जबकि डॉ रत्नाकर सहायक प्रधायक एनआईटी राउरकेला उड़ीसा ने बाढ़ प्रबंधन में एसएआर के प्रयोग विषय पर चर्चा किया. अंत में कार्यशाला के सह समन्वयक एवं असैनिक अभियंत्रण विभाग बीआईटी सिंदरी के सहायक प्रधायक प्रो इकबाल शेख ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यशाला के आगामी दिनों के विषय में जानकारी दिया. इस कार्यक्रम में संस्थान के सभी स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के साथ-साथ दूसरे संस्थानों की विद्यार्थियों की पूर्ण भागीदारी देखी गई. कार्यक्रम की सफलता में डॉ. उदय कुमार सिंह, प्रो. प्रफुल्ल कुमार शर्मा, डॉ. माया राजनारायण रे, डॉ. निशिकांत किस्कू, डॉ. ब्रह्मदेव यादव, डॉ. कोमल कुमारी, प्रो. इकबाल शेख, प्रो. सरोज मीना और प्रो. प्रशांत रंजन मालवीय का महत्वपूर्ण योगदान रहा.