दावा किया कि पोटका में जो लोग झामुमो छोड़कर गए हैं, उससे पार्टी को फर्क नहीं पड़ेगा
बागबेड़ा की रेल बस्तियों की जमीन को भारत सरकार लीज पर देती तो और भी काम होते
आजादी के बाद पोटका में पहले डिग्री कालेज की नींव रखने के बाद वास्तव में संतोष हुआ
पहले पोटका के लोग विधायक को खोजते थे, जनता दरबार के जरिए हमेशा हाजिर रहा
चरणजीत सिंह.
पुरानी कहावत है, देखन में छोटन लगे, घाव करे गंभीर…यह कहावत पोटका के झामुमो विधायक संजीव सरदार पर सटीक बैठती है। उनके समर्थक इस कहावत में तनिक संशोधन करते हैं, देखन में छोटन लगे, विकास कार्य करे गंभीर। पोटका विधायक संजीव सरदार के परिवार का राजनीति से दूर दूर तक नाता नहीं था। किसी के कहने पर जिला परिषद के सदस्य का चुनाव लड़ गए। जीत भी गए। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की निगाह में आए। पहली बार पोटका से उन्हें विधायकी का टिकट मिला तो भाजपाइयों के माथे पर पसीना आ गया। दूसरी बार टिकट मिला तो उन्होंने भाजपा प्रत्याशी मेनका सरदार को पटखनी दे दी। विधायक रहते पांच साल गुजर गए। जीवन जीने का अंदाज बिल्कुल सादा। मृदुभाषी। और सांसद और विधायकों की तरह हाई प्रोफाइल दिखना संजीव सरदार की फितरत में नहीं है।
संजीव सरदार ने पहली बार विधायक के नाते पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को हर चीज में भागीदार बनाया। उनके घर में किसी चीज की कमी है तो विधायक ने उस पर भी चिंता की। सहयोग किया। पोटका में सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, पर्यटन समेत हरेक पहलुओं पर गौर करते हुए प्राथमिकता के आधार पर योजनाएं ली, निराकरण का प्रयास किया। लोकतंत्र में हर पांच साल के कामकाज के बाद जनता मूल्यांकन करती है, परीक्षा में उत्तीर्ण या अनुतीर्ण करती है। संजीव सरदार फिर जनता के बीच है। यकीन है कि पोटका विधानसभा में डुमरिया, पोटका, जमशेदपुर प्रखंड से लेकर बागबेड़ा की बस्तियों तक उन्हें लोगों का भरपूर प्यार मिलेगा, लोग जमकर आशीर्वाद बरसाएंगे। पोटका के झामुमो विधायक संजीव सरदार के साथ उनके हाता कार्यालय में फतेह लाइव की लंबी बातचीत हुई। साक्षात्कार के मुख्य अंश-
फतेह लाइव – पांच साल में पोटका विधानसभा क्षेत्र में ऐसा क्या काम किए हैं जिसका सर्वाधिक संतोष है और क्या नहीं कर पाने का अफसोस है।
विधायक – पहले पोटका के लोग अपने विधायक को खोजते हैं। मालूम नहीं चलता था कि विधायक से कहां मुलाकात होगी। हाता में पार्टी कार्यालय बनवाया। वहां नियमित तौर पर जनता दरबार लगाना शुरू किया। पांच साल तक जनता से सीधे संपर्क में रहा। जो हो सका, वो जरूर किया। इसका संतोष है। एक अफसोस अवश्य है। पहली बार चुनाव लड़ा था तो बागबेड़ा के भिखारी मैदान में तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की थी कि बागबेड़ा में रेलवे की जमीन पर बसी बस्तियों के लोगों को जमीन लीज पर दी जाएगी। अगर लीज मिल गई होती तो उन बस्तियों में भरपूर नागरिक सुविधाएं देता। इसके बावजूद बागबेड़ा में जितना हो सकता था, उससे अधिक किया। कुछ काम इसलिए नहीं हो सकता था क्योंकि भारत सरकार ने जमीन को लीगल नहीं किया।
फतेह लाइव – पोटका में कई लोग झामुमो छोड़ रहे हैं। इसका कितना नुकसान होगा।
विधायक – हाल में जिन लोगों ने पार्टी छोड़ी है, वो किसी पद पर नहीं थे। पांच साल तक पार्टी में निष्क्रिय थे। उनके जाने से पार्टी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। झामुमो का जनाधार बढ़ा है। पार्टी बुलंदी पर थी, है और रहेगी भी।
फतेह लाइव – चंपई सोरेन और बाबूलाल सोरेन के भाजपा में जाने से झामुमो को कितना नुकसान होगा?
विधायक – चंपई सोरेन सीनियर लीडर रहे हैं। अब वो भाजपा में है। सब जानते हैं कि झामुमो कैडर आधारित पार्टी है। सारा हालात के बावजूद झामुमो का झंडा बुलंद रहा है, रहेगा।
फतेह लाइव – पोटका में पांच साल में ऐसा क्या हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ था ?
विधायक – पोटका प्रखंड में उच्च शिक्षा के लिए आजादी के बाद एक भी कालेज नहीं बना। इंटरमीडिएट के बाद आगे की पढ़ाई के लिए घाटशिला या करनडीह आना ही एकमात्र रास्ता था। लगातार आवाज उठाता रहा। आखिरकार पोटका में डिग्री कालेज की नींव पड़ गई। बच्चों की तकनीकी शिक्षा भी मिलेगी। इसके अतिरिक्त हेंसड़ा, तिरुलडीह, सानग्राम, जादूगोड़ा और भालकी उच्च विद्यालय को प्लस टू में अपग्रेड किया गया। वहां इंटरमीडिएट तक पढ़ाई होगी। दिशोम गुरू शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन का पहला संदेश है कि झारखंड तभी बढ़ेगा जब लोग शिक्षित होंगे। इसके अलावा डुमरिया प्रखंड में 30 बेड का अस्पताल बनवाया। यह बड़ा काम है।
फतेह लाइव – पोटका और जमशेदपुर प्रखंड के ग्रामीण इलाके में पानी की बड़ी समस्या है। लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिलता।
विधायक – हां, यह पोटका की विडंबना थी। अब नहीं रहेगी। पोटका प्रखंड के 222 गांवों में घर-घर नल से जल की योजना पर काम चल रहा है। 265 करोड़ की लागत की परियोजना का काम गांवों में दिख रहा है। इतना बड़ा काम है तो वक्त लगेगा ही। जहां तक जमशेदपुर प्रखंड के बागबेड़ा और आसपास के गांवों की बात है तो वहां पंप हाउस का काम चल रहा है। जहां लोगों को जरूरत हो रही है तो शादी से श्राद्ध के लिए पानी का टैंकर निःशुल्क भेज रहा हूं। अगला विधानसभा चुनाव आएगा तो आपके पास जल से संबंधित कोई सवाल नहीं होगा।
फतेह लाइव – बिजली आम लोगों की मौलिक जरूरत है। पोटका विधानसभा क्षेत्र में इस मसले पर क्या काम हुआ
विधायक – अब देखिए। जिला पार्षद था तो 2011 में निश्चितपुर में बिजली सब केंद्र का काम शुरू कराया था। पहला विधानसभा चुनाव हार गया तो अगले पांच सालों तक वहां कुछ नहीं हुआ। दूसरी बार विधायक चुना गया तो दोबारा काम शुरू कराया। अब वहां से दक्षिण पोटका में कोवाली, चाकड़ी, हरिणा समेत कई इलाके में बिजली संकट खत्म हुआ है। गिद्दीझोपड़ी में सब स्टेशन बनाया गया। घाघीडीह इलाके में वोल्टेज का संकट खत्म हुआ। हाता-हल्दीपोखर इलाके के लिए अलग फीडर कराया। बताइए, काम हुआ या नहीं।
फतेह लाइव – पोटका में हरिणा धाम, जादूगोड़ा रंकिनी मंदिर, तुड़ी डैम जैसे कई पर्यटन स्थल हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए क्या हुआ
विधायक – हरिणा-मुक्तेश्वर धाम प्राचीन मंदिर में 24 करोड़ की लागत से बायो डायवर्सिटी पार्क का निर्माण हो रहा है. रंकिणी मंदिर में 50 लाख की लागत से प्रकाश सज्जा का काम कराया जा रहा है। 15 करोड़ की लागत से रंकिणी मंदिर के पास सैलानियों के ठहरने की व्यवस्था की जा रही है. दो करोड़ से बहुद्देश्यीय भवन का निर्माण कार्य प्रगति पर है. पर्यटन ऐसा क्षेत्र है जहां जरूरत के मुताबिक लगातार कुछ न कुछ करते रहना होगा। आगे और काम होगा।
फतेह लाइव – विकास की पहली शर्त आधारभूत ढांचा है। सड़कों के मामले में पोटका का सफर कैसे रहा है।
विधायक – पांच सालों तक पोटका की सभी मुख्य सड़कों की हालत बढ़िया रही है। नई सड़कों पर भी काम हुआ। उत्तर पोटका क्षेत्र की जीवन रेखा कही जाने वाली पिछली-शंकरदा, बानाडुगरी सड़क के विस्तारीकरण का काम 80 फीसद पूरा हो चुका है. 21 किमी लंबी इस सड़क पर 43 करोड़ खर्च किये जा रहे हैं. यह सड़क पिछली से शंकरदा होते हुए सुंदरनगर, जादूगोड़ा, बानडुंगरी मुख्य मार्ग को जोड़ेगी। दामोडीह, चेमायजुड़ी होते हुए धीरोल से हाता-जादूगोड़ा मुख्य मार्ग पर धानदूम चौक लोग जुड़ जाएंगे। हिरौल से खांचीबिल होकर हाता-जादूगोड़ा मार्ग पर लोग आसानी से आवागमन कर सकेंगे। यदि डुमरिया प्रखंड की बात करे तो भागाबांध से केसरपहाड़ी, सलगाडीह, दामोकोचा, भीतर आमदा, फुलझोरी होते हुए ओढ़िसा सीमा तक 9.63 किमी लंबी सड़क 58 करोड़ की लागत से बन रही है. और भी बहुत सड़कें बनी हैं।
फतेह लाइव – पोटका के लोगों के सांस्कृतिक और शारीरिक उन्नति के लिए भी बहुत कुछ करना बाकी है।
विधायक – सच बताएं तो जमशेदपुर के नजदीक होने के बावजूद पोटका कई मायने में बहुत पीछे था। विधायक बनने के बाद प्राथमिकता के आधार पर समस्याओं की गुत्थी को सुलझाना शुरू किया। आदिवासी-मूलवासी की परंपरा और संस्कृति को बचाने के लिए गांवों में नागड़ा, मांदर, मृदंग एवं हारमोनियम का वितरण किया। मंदिरों में वाद्य यंत्र दिए गए ताकि भजन-कीर्तन होता रहे। युवाओं में खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए जो हो सकता था, वो किया। सब कुछ यहां बता नहीं सकता। कोई गरीब बीमार हुआ तो टीएमएच में बिल माफ कराया। पोटका के हरेक नागरिक को अपने परिवार की तरह समझता रहा हूं। जो हो सकता था, जरूर किया। आगे जनता मालिक है।
संजीव सरदार के काम करने का अंदाज