टाटा स्टील में डिजिटल लेन देन को बढ़ावा, उसके ही क्लब हाउस में सब नकद
कोक प्लांट के कमेटी मैम्बर बोले, यूपीआई और चेक स्वीकार कीजिये जनाब
चरणजीत सिंह.
किसी तरह के आयोजन के लिए टाटा स्टील का क्लब हाउस चाहिए तो बिष्टुपुर स्थित टाटा वर्कर्स यूनियन के कार्यालय जाइये। पहले तल के सबसे अंतिम सिरे तक कदमताल के बाद मिलेंगे वो बाबू जो क्लब हाउस को तिथि विशेष के लिए बुक करते है। जैसे ही क्लब हाउस के खाली होने के बारे में पूछेंगे तो यूनियन के बाबू सीधे कंप्यूटर की स्क्रीन खोलेंगे। अगर क्लब हाउस खाली रहा तो आपको जानकारी मिल जायेगी। यहाँ तक आपको सब कुछ बेहद व्यवस्थित महसूस होगा। जैसे ही क्लब हाउस की बुकिंग के लिए राशि जमा करने की बात आयेगी तो नकद नारायण की बात आ जायेगी। आप मोबाइल निकाल कर यूपीआई यानी फोन पे, गूगल पे आदि से राशि देने की बात करेंगे तो जवाब मिलेगा कि यहाँ ये सब नहीं चलता। अगर नकद नारायण नहीं लाये है तो बगल के एटीएम में जाइये और निकाल कर लाइये।
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जी हाँ, यही सच है। एकबारगी आपको ऐसा लग सकता है कि देश भर में डिजीटल लेन देन को बढ़ावा देने वाली कंपनी का क्लब हाउस लेने के लिए यूपीआई या चेक की व्यवस्था जरूर होगी। दरअसल, क्लब हाउस टाटा स्टील का अवश्य है। उसके संचालन की जवाबदेही टाटा वर्कर्स यूनियन ने ली हुई है। यूनियन नेतृत्व ने ही शुरुआत से नकद नारायण को लागू कर दिया था। अरबीबी सिंह के अध्यक्ष रहते क्लब हाउस का जिम्मा टाटा वर्कर्स यूनियन को मिला था। उस समय यूपीआई नहीं था। बैंक से भी उतना काम काज आसान नहीं था। क्लब हाउस की बुकिंग का किराया भी बहुत कम होता था। आर रवि प्रसाद के यूनियन अध्यक्ष बनने तक यूपीआई आम चलन में आ गया था। ज्यादातर काम भी बैंकों के जरिये होने लग गए। उन्होंने भी पुरानी व्यवस्था में समय के मुताबिक सुधार की जहमत नहीं उठाई। वर्तमान अध्यक्ष का भी पहला कार्यकाल पूरा हो चुका है। दूसरी पारी खेल रहे है। उन्होंने भी सुधार नहीं किया। उन पर जमशेदपुर टेंट डीलर्स वेलफेयर ओर्गेनाईजेशन ने बेहद गंभीर आरोप भी लगा डाले हैं।
शादी में खूब जहमत, हनीमून को जाना है तो सब फटाफट
जमाना कैशलेस का है। टाटा स्टील की बात छोड़िये, पूरे टाटा समूह के वेंडर पार्टनर (ठेका कंपनी) के मातहत काम करने वाले ठेका मजदूरों को भी बैंक खाता के जरिये भुगतान किया जाता है। ऐसा इसलिए किया गया कि पारदर्शिता बनी रहे और किसी तरह के गोलमाल की गुंजाइश शेष नहीं रहे। सिर्फ टाटा स्टील का क्लब हाउस ही अपवाद है। क्लब हाउस सिर्फ टाटा स्टील के कर्मचारियों को देने के लिए है। मजेदार यह है कि शादी के लिए नकद नारायण देकर क्लब हाउस बुक करने के बाद टाटा स्टील के कर्मचारी को हनीमून के लिए गोवा या पुरी जाना है तो वह कारखाना के भीतर काम करने के दौरान महज पांच मिनट का समय निकाल आसानी से ऑनलाइन गेस्टहाउस बुक कर सकता है। क्लब हाउस के आरक्षण में नकद की व्यवस्था खत्म होगी तो शुरुआती गड़बड़ी पर प्रारंभिक तौर पर लगाम लग जायेगी। इसे अभी तक ऑनलाइन भी नहीं किया गया है।
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सुधार के लिए आखिरकार भीतर से उठ गई आवाज
क्लब हाउस की व्यवस्था में सुधार के लिए टाटा वर्कर्स यूनियन के भीतर से आवाज उठ गई है। कोक प्लांट के कमेटी मैम्बर सर्वेंद्र झा ने यूनियन अध्यक्ष संजीव चौधरी, महामंत्री सतीश सिंह और डिप्टी प्रेसिडेंट शैलेश कुमार को बकायदा पत्र भेजा है। लिखा है कि वर्तमान समय में सब कुछ कैशलेस हो चुका है तो क्लब हाउस की बुकिंग की व्यवस्था में भी सुधार करे। यूपीआई और चेक को स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने क्लब हाउस के लिए निर्धारित राशि और जमानत राशि को भी ज्यादा बताया है। तर्क दिया कि अगर कर्मचारी के नजरिये से देखे तो यह बहुत ज्यादा है। एक बार में देना बोझ की तरह है। खैर, टाटा स्टील के कर्मचारी तो ऑनलाइन की भी सुविधा चाहते हैं, विशेष कर एनएस।
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