रात्रि पाली में ड्यूटी करने की रजामंदी लेने के साथ लागू हुए नए नियम
रजामंदी लेने के लिए अधिकारियों के लहजे पर भी हताश और निराश
स्टेलीनियम हॉल में चुभ गया एसएनटीआई चीफ जया का अंदाज ए बयां
खुद के वाहन से कारखाना गई और सेफ्टी में कुछ हुआ तो जिम्मेदारी उनकी
शुरू हुई कैब सेवा, भोर साढ़े 4 बजे कॉल कि कंपनी जाने को हो जाए तैयार
शिकायत लेकर टाटा वर्कर्स यूनियन के गेट तक गई, फिर भीतर गए बगैर वापस
फतेह लाइव रिपोर्टर.
भारत सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद झारखंड सरकार ने महिलाओं से रात्रि पाली में ड्यूटी लेने का राजपत्र निकाला तो इसे टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट में प्रभावी कर दिया गया है. यहां लगभग 12 सौ महिलाएं कार्यरत हैं. कुल कार्य बल का तकरीबन 11 फीसद. अभी तक सिर्फ रात्रि पाली की ड्यूटी छोड़ दें तो महिला और पुरुष कर्मचारियों की कार्य जवाबदेही बराबर रही है. सुविधाएं भी एक समान. सरकारी आदेश के मुताबिक रात्रि पाली की ड्यूटी के लिए महिलाओं की सहमति अनिवार्य है. टाटा स्टील में भी ऐसा किया गया. मगर इसके लिए जो कुछ किया गया या कहा गया, उससे महिला कर्मचारियों में हताशा है, निराशा भी. भविष्य को लेकर चिंता भी. कई नई बंदिशें लग गई हैं.
हालत यह हो गए हैं कि महिला कर्मचारियों को कैब से कारखाना के भीतर जाना पड़ रहा है. सुबह 6 बजे की ड्यूटी के लिए कैब संचालक भोर में साढ़े चार बजे मोबाइल घनघना दे रहे है. ड्यूटी की समाप्ति के बाद कैब का इंतजार और पीड़ादायक हो रहा है. पूरे प्रकरण में टाटा वर्कर्स यूनियन के शीर्ष नेतृत्व की जो बेरुखी रही है, उसने महिला कर्मचारियों को भीतर तक कचोटा भी है. सोमवार की दोपहर कुछ महिला कर्मचारी यूनियन कार्यालय के मुख्य द्वार तक आई. कुछ देर रुकी। फिर वापस लौट गई.
दरअसल, सरकारी राजपत्र में साफ लिखा है कि उन्हीं महिला कर्मचारियों से रात्रि पाली में काम लिया जाए जिनकी खुद की इच्छा है.
अलग अलग विभागों की महिला कर्मचारियों को स्टेलीनियम सभागार में बुलाया गया. उनकी राय भी पूछी गई. कुछ ने बाल बच्चों के छोटे होने का हवाला दिया तो जवाब मिला कि पति के जिम्मे छोड़ना होगा. फुल टाइम नैनी रखने का भी सुझाव दिया गया. यद्यपि, बड़ी संख्या ऐसी थी जो रात्रि पाली में काम करने को तैयार थी. हां, एसएनटीआई चीफ जया सिंह पांडा का लहजा उन्हें भी चुभ गया. बताया गया कि जो पाली वार ड्यूटी नहीं कर सकती, उनके लिए सरप्लस पुल तैयार है. देश के जिस प्लांट में जनरल शिफ्ट की ड्यूटी हो सकती है, वहां भेजा जा सकता है.
जो महिलाएं स्वेच्छा से दस्तखत के मूड में थीं, उनका भी मूड ऑफ हो गया. अधिकतर ने घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया. चुनिंदा ऐसी महिला कर्मचारी रहीं जिन्होंने रात्रि पाली में ड्यूटी से मना किया. स्टीलेनियम सभागार में दो महीने में स्टील मेकिंग, आयरन मेकिंग, लॉन्ग प्रोडक्ट, फ्लैट प्रोडक्ट, सीआरएम, सिक्योरिटी, फायर ब्रिगेड समेत कई विभागों की महिला कर्मचारियों को बुलाया गया.
छोटे छोटे समूहों में आई महिला कर्मचारियों से एसएनटीआई चीफ जया सिंह पांडा मुखातिब हुई. पूछा कि कोई भी मुद्दा है तो बताइए. एक समूह में आई महिला कर्मचारी ने कहा कि उनका घर गली में है. कैब वहां तक नहीं जा सकता. ड्रॉप पॉइंट से घर जाने तक कुछ हुआ तो कंपनी जवाबदेही लेने को तैयार नहीं है. वो क्या करे. जवाब मिला कि कंपनी क्वार्टर दे रही है तो लीजिए.
::: यह है 4 पॉइंट का घोषणा पत्र :::
1.मैंने शाम के 7 बजे से लेकर सुबह के 6 बजे के बीच के शिफ्ट ड्यूटी घंटों में प्लांट में काम करने के लिए अपनी स्पष्ट और बिना शर्त सहमति दे दी है.
2.मैं महिला कर्मचारियों के लिए लागू कानून और सरकारी दिशानिर्देशों के तहत, विस्तारित काम के घंटों के दौरान उनके पिकअप/ड्रॉप-ऑफ के लिए कंपनी की परिवहन और सुरक्षा व्यवस्थाओं से अवगत हूँ.
3.मैं अपनी स्वयं की इच्छा से यह घोषणा करती हूँ कि मैं ड्यूटी के निर्धारित समय में कंपनी की परिवहन सुविधा (पिकअप/ड्रॉप/दोनों) का लाभ नहीं लूंगी और काम पर आने-जाने के लिए अपनी निजी व्यवस्था करूँगी, ताकि मेरा आवागमन निवास स्थान से कार्यस्थल तक और वापस सुरक्षित रहे.
4.मैं समझती हूँ कि कंपनी द्वारा की गई परिवहन व्यवस्था को अस्वीकार करने के कारण विस्तारित काम के घंटों के दौरान आवागमन की जिम्मेदारी मेरी अपनी होगी। मैं कार्यस्थल तक आने और निवास स्थान वापस जाने के दौरान किसी भी सुरक्षा संबंधी घटना (ऑनवर्ड/सेफ्टी इंसिडेंट) के होने पर न तो कंपनी को और न ही इसके किसी अधिकारी या कर्मचारी को जिम्मेदार ठहराऊंगी.
::: झारखंड का राजपत्र :::
1.जिन महिला कर्मियों की रात्रि 7 से प्रातः 6 बजे के बीच कार्य करने की इच्छा हो, उनसे लिखित सहमति ली जाएगी.
2.किसी भी महिला को मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के विरुद्ध नियोजित नहीं किया जाएगा.
3.महिला कर्मियों को उनके निवास के निकट से उठाने एवं छोड़ने हेतु जीपीएस ट्रैकिंग युक्त परिवहन सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. यदि कोई महिला स्वयं परिवहन का उपयोग करना चाहती है, तो वह इसके लिए एक शपथ-पत्र प्रस्तुत कर सकती है.
4.कारखाना प्रबंधक महिलाओं के लिए अलग शौचालय एवं स्नानागार की व्यवस्था करेगा.
5.जहाँ लागू हो, वहाँ क्रेच (बाल देखभाल केंद्र) की सुविधा रात्रि 7 से प्रातः 6 बजे तक संचालित की जाएगी (धारा 48 एवं नियम 73 के अंतर्गत).
6.कार्यस्थल तथा उससे जुड़े मार्ग, शौचालय, पेयजल स्थल, प्रवेश एवं निकास मार्ग आदि पूरी तरह प्रकाशयुक्त होंगे और जहाँ संभव हो वहाँ सीसीटीवी कैमरा निगरानी की व्यवस्था होगी.
7.जहाँ महिला कर्मियों के लिए आवास या छात्रावास की सुविधा है, उसे केवल महिलाओं के लिए सुरक्षित रखा जाएगा और महिला पर्यवेक्षकों के नियंत्रण में होगा.
8.कार्यस्थल पर महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं निवारण) अधिनियम, 2013 का पूर्ण पालन किया जाएगा.
9.जिस क्षेत्र में महिलाएँ कार्यरत हों, वहाँ कम-से-कम पाँच महिला कर्मियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी.
10.रात्रिकालीन पाली के दौरान कैंटीन में उचित निगरानी रखी जाएगी.
11.रात्रि 7 से प्रातः 6 बजे तक महिला कर्मियों को नियोजित करने वाला प्रत्येक कारखाना स्व प्रमाणन निर्धारित पोर्टल पर इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रस्तुत करेगा कि उसने इस अधिसूचना में उल्लिखित सभी सुविधाएँ प्रदान की हैं और महिला कर्मियों की सुरक्षा, गरिमा एवं सम्मान का ध्यान रखा है.
12.कारखाना परिसर में राज्य के श्रमिक संरक्षण संबंधी कानूनों तथा भारतीय दंड संहिता 2023 की संबंधित धाराओं को दंड विवरण सहित स्थानीय भाषा एवं अंग्रेज़ी में प्रमुख स्थान पर प्रदर्शित किया जाएगा.
13.फैक्टरी सुरक्षा समिति’ गठित की जाएगी जो सुरक्षा उपायों की योजना एवं क्रियान्वयन करेगी.
14.रात्रिकाल में फैक्ट्री परिसर में नियमित सुरक्षा गश्ती की जाएगी.
15.कारखानों में 24×7 मानव युक्त सुरक्षा नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाएगा.
16.निकटतम पुलिस स्टेशन के साथ घनिष्ठ समन्वय स्थापित किया जाएगा.
17.सुरक्षा उपायों के मूल्यांकन एवं सुधार हेतु सुरक्षा ऑडिट पुलिस अधिकारियों के परामर्श से कराया जाएगा.
18.पूरे कारखाना परिसर में सीसीटीवी कवरेज सुनिश्चित किया जाएगा तथा किसी भी महिला कर्मी से संबंधित अप्रिय घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग पुलिस को शीघ्र उपलब्ध कराई जाएगी ताकि त्वरित कार्रवाई हो सके.
19.सुरक्षा कर्मियों को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित एवं सॉफ्ट स्किल में निपुण बनाया जाएगा. जहाँ जोखिम अधिक हो, वहाँ अधिसूचित क्षेत्र में अधिसूचना के अनुसार सेवानिवृत्त सैनिकों को प्राथमिकता दी जाएगी.
20.इन दिशा-निर्देशों में किसी भी प्रकार की विचलन या उल्लंघन को उपर्युक्त प्रावधान का उल्लंघन माना जाएगा.
