26 को संविधान में बदलाव पर टाटा वर्कर्स यूनियन की कमेटी मीटिंग
दो दिन बाद ही कमेटी मीटिंग की कार्यवाही की संपुष्टि के लिए फिर जुटान
चाहत है कि सरकारी अधिसूचना निकले तो पांच साल हो जाए कार्यकाल
बवाल थामने के लिए एक दिसंबर को वेज रिवीजन पर भी कमेटी मीटिंग
फतेह लाइव, रिपोर्टर.
टाटा वर्कर्स यूनियन का शीर्ष नेतृत्व चाहता है कि सबसे पहले संविधान में संशोधन हो जाय. ऐसी सुगबुगाहट होती रही है कि भारत सरकार ट्रेड यूनियन का अधिकतम कार्यकाल तीन से बढ़ा कर पांच साल करने पर विचार कर रही है. यूनियन नेतृत्व की चाहत है कि संविधान संशोधन में यह दर्ज किया जाय कि श्रम अधिनियम में होने वाले नए सुधार अधिसूचना जारी होने के बाद खुद ब खुद टाटा वर्कर्स यूनियन में लागू हो जाएंगे. यदि ऐसा हुआ तो यूनियन की वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल और दो साल बढ़ जाएगा.
याद दिला दें कि रघुनाथ पांडेय के नेतृत्व वाली टाटा स्टील यूटिलिटी एंड सर्विसेस श्रमिक यूनियन (जुस्को श्रमिक यूनियन) ने कुछ महीने पहले हुए अपने चुनाव के वक्त आमसभा में ऐसा प्रस्ताव पारित कर लिया है. यूनियन नेतृत्व को अपनी कुर्सी की चिंता है तो कर्मचारियों को नए वेतनमान की. यूनियन नेतृत्व को अंदाजा है कि वेज रिवीजन समझौते की गाड़ी निर्धारित समय से बहुत अधिक विलंब से है. सो, टाटा वर्कर्स यूनियन ने लगातार तीन कमेटी मीटिंग आहूत की है. 26 नवंबर को संविधान संशोधन के मसले पर पहली कमेटी मीटिंग होगी. दो दिन बाद 28 नवंबर को पिछली मीटिंग की कार्यवाही की संपुष्टि के लिए दूसरी मीटिंग बुलाई जाएगी. एक दिसंबर को तीसरी कमेटी मीटिंग होगी जिसमें वेज रिवीजन समेत और विषय पर कमेटी मैंबर अपनी बात रख सकेंगे.
कॉमन वेज स्ट्रक्चर और ट्रेड अप्रेंटिस के जरिए टाटा स्टील में बहाली बंद होने के बाद भी संजीव कुमार चौधरी उर्फ टुन्नू पिछली बार टाटा वर्कर्स यूनियन के निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिए गए थे. उनके बाद 70 से अधिक कमेटी मैंबर भी निर्विरोध चुना गए. बाहरी दुनिया के लिए संदेश यही रहा है कि टाटा वर्कर्स यूनियन में ऊपर से नीचे तक इतना बढ़िया काम हुआ काम हुआ है कि सब तरफ वाह वाह है. अब ऐसे सच सामने आ रहे है कि कमेटी मेंबरों के लिए कर्मचारियों को जवाब देना मुश्किल हो रहा है. कर्मचारी खामोशी से सबकी गतिविधियों को ताड़ रहे हैं.
कमेटी मेंबरों को भी उसका अंदाजा लग चुका है, इसलिए वेज रिवीजन पर सबके सुर एक जैसे सुनाई देने लगे हैं, खास कर एनएस ग्रेड में. अब संविधान संशोधन की बात आई है तो कमेटी मेंबरों के वाट्सअप ग्रुप में इसके लिए जल्दबाजी दिखाने पर सवाल उठाए गए है. यूनियन नेतृत्व से कहा जा रहा है कि वेज रिवीजन में पहले ही देर हो चुकी है। उस पर सबसे पहले फोकस किया जाना चाहिए.
यूनियन नेतृत्व की कोशिश है कि संविधान संशोधन की गाड़ी किसी तरह पार हो जाय. न सिर्फ कार्यकाल बढ़ाने की बात है बल्कि यह प्रस्ताव भी है कि टाटा स्टील में कर्मचारियों की संख्या कम होने पर उसी अनुपात में कमेटी मैंबर भी घटते जाएंगे. आशय यह है कि तीन या पांच साल कर्मचारियों के बीच मेहनत करने के बाद भी कहना मुश्किल होगा कि अगले चुनाव में उनके लिए सीट होगी अथवा नहीं. को ऑप्शन की प्रक्रिया को भी और कठिन बनाने का प्रस्ताव है और भी तरह के बदलाव की सिफारिश हुई है. अहम है कि कॉमन वेज स्ट्रक्चर में कर्मचारियों की संख्या घटाने का समझौता हो चुका है. अब कमेटी मेंबरों के लिए खुद को बचाने की चुनौती है.
