दो बार चुनावी हूनर दिखा चुके टुन्नू के लिए तीसरी पारी पाना आसान नहीं

संविधान संशोधन और वेज रिवीजन ऐसा मानो आगे कुआं और पीछे गहरी खाई

शैलेश, शाहनवाज, राजीव जीत भी गए तो पूरा नहीं कर पाएंगे कार्यकाल

अमोद का सेवा काल इतना बचेगा कि आसानी से पार हो सकती एक और पारी

चरणजीत सिंह.

3 फरवरी 2027. इस तारीख तक टाटा वर्कर्स यूनियन की अगली कार्यकारिणी का चुनाव हर हाल में हो जाना है. ठीक 14 महीने बाद. आर रवि प्रसाद की विदाई के बाद संजीव कुमार चौधरी उर्फ टुन्नू दो दफा चुनावी हूनर दिखा चुके हैं. पहली बार अध्यक्ष पद के लिए अरविंद पांडेय को आसानी से हरा दिया. अगली बार पहले चुनाव पदाधिकारी का निर्विरोध निर्वाचन में कामयाब रहे. फिर खुद भी निर्विरोध जीत गए. हां, तीसरी पारी पाना उनके लिए कतई आसान नहीं होगी. यूनियन का संविधान संशोधन और वेज रिवीजन ऐसे मसले है जो आगे कुआं पीछे खाई जैसे हालात बना दिए हैं. ट्रेड अप्रेंटिस और कमेटी मेंबरों पर दनादन कार्रवाई भी ऐसे मसले है जो पीछा छोड़ने को तैयार नहीं दिखते. जातिवाद का दाग ऐसा है जिससे इस यूनियन में कोई बच नहीं सका है. टाटा स्टील में टुन्नू की नौकरी जुलाई 2031 तक है. एक और पारी का मौका जरूर है. कर्मचारी वो मौका देंगे या नहीं, यह इतर विषय है.

चुनाव में 14 महीने बाकी है तो अभी से इसकी चर्चा शुरू होने की वजह भी है. कुछ वक्त पहले ऐसी बात सामने आई थी कि सरकार ट्रेड यूनियन का कार्यकाल बढ़ा कर पांच साल करने पर विचार कर रही है. टाटा वर्कर्स यूनियन में पद पर बैठे लोगों के चेहरे खिल गए कि वे भले तीन साल के लिए चुने गए हैं, मगर दो साल और पार कर लेंगे. टाटा स्टील के कर्मचारियों तक सुनियोजित तरीके से संदेश देना शुरू कर दिया गया था कि यूनियन कार्यकारिणी पांच साल यानी 2029 तक कुर्सी पर काबिज रहेगी. जुस्को की यूनियन में तो बाकायदा आमसभा में यह प्रस्ताव पारित कर दिया गया कि सरकार की अधिसूचना निकलने के बाद खुद ब खुद तत्कालीन कार्यकारिणी समिति का कार्यकाल बढ़ जाएगा. खैर, ट्रेड यूनियन का कार्यकाल बढ़ाने का मजदूर जगत में इतना विरोध हुआ कि सरकार खुद पीछे हट गई है.

कई चेहरे ऐसे जो डिप्टी प्रेसिडेंट के लिए अभी से लगा रहे दिमाग

टाटा वर्कर्स यूनियन में कई चेहरे ऐसे हैं जो डिप्टी प्रेसिडेंट की कुर्सी के लिए अभी से माहौल बनाने में लग गए हैं. वर्तमान पदाधिकारी शैलेश कुमार सिंह की सेवानिवृति फरवरी 2029 में होनी है. फरवरी 2027 में यूनियन चुनाव होता है तो कार्यकारिणी समिति का कार्यकाल फरवरी 2030 तक होगा. जो ऑफिस बेयरर 2030 के पहले सेवानिवृत्त होने वाले हैं, उनका कार्यकाल अधूरा रह जाएगा. को ऑप्शन की व्यवस्था अवश्य है, लेकिन टाटा वर्कर्स यूनियन में यह नामुमकिन सा लगता है. सेवानिवृत होने के बाद कमेटी मेंबरों ने पी एन सिंह का को ऑप्शन अवश्य किया था. प्रबंधन ने यूनियन संविधान को अस्पष्ट बताते हुए उनके को ऑप्शन को स्वीकार नहीं किया था. यूनियन के अगले चुनाव में उपाध्यक्ष की भी दो और कुर्सी खाली होनी है. शाहनवाज आलम अप्रैल 2029 और राजीव चौधरी जुलाई 2029 में सेवानिवृत होंगे.

अगर वे यूनियन का अगला चुनाव जीत भी गए तो उनकी पारी पूरी नहीं होगी. बीच पिच में ही रन आउट हो जाएंगे. यूनियन कोषाध्यक्ष अमोद दुबे की नौकरी जून 2030 तक है. यूनियन में न सिर्फ बड़े ब्राह्मण चेहरा के तौर पर तेजी से उभरे हैं, बल्कि विकल्पहीनता की स्थिति भी खत्म की है. उनके पास एक और बड़ी पारी खेलने का मौका है. इससे इतर यूनियन महामंत्री सतीश सिंह, संजय सिंह, अजय चौधरी, संजीव तिवारी, श्याम बाबू और नितेश राज की नौकरी लंबी है. दस से 15 साल बाद ही ये सारे लोग सेवानिवृत होंगे. इनके दांव पेंच लंबे चलने है, चलते रहेंगे.

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