पहले बोले कि खेल के लिए यूनियन के कोष से राशि नहीं ली, फिर खुद के कथन का खंडन किया कि नाश्ता और ट्रैक शूट के रुपए मिले

कमेटी मेंबर राजेश का सुझाव था कि ऑडिट रिपोर्ट में यूनियन खेल के नाम से पौने 4 लाख का खर्च दिखाना उचित नहीं

कमेटी मीटिंग में राकेश ने कोषाध्यक्ष अमोद दुबे से सवाल पूछा था, उत्तर देने के लिए माइक पकड़ लिए थे संजय सिंह

टुन्नू राज में टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष संजय सिंह स्पोर्ट्स एडवाइजरी कमेटी के प्रमुख का संभाल रहे दायित्व

फतेह लाइव, रिपोर्टर.

संजीव कुमार चौधरी उर्फ टुन्नू चौधरी के टाटा वर्कर्स यूनियन का अध्यक्ष बनने के बाद से उपाध्यक्ष संजय सिंह स्पोर्ट्स एडवाइजरी कमेटी के प्रमुख हैं. यूनियन की सियासत में लगातार खेलों के आयोजन को अपनी उपलब्धि के तौर पर प्रचारित करते रहे हैं. सोमवार को टाटा वर्कर्स यूनियन की कमेटी मीटिंग में खेल से जुड़े सवाल पर संजय सिंह के साथ खेला हो गया. ऐसा खेला जिसके शुरू होने से समापन में छह घंटे से अधिक लग गए.

हुआ यूं कि सुबह में कमेटी मीटिंग शुरू होने के कुछ देर बाद टीएमएच के कमेटी मेंबर राकेश कुमार सिंह ने यूनियन की ऑडिट रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यूनियन खेल का मद दिखाते हुए पौने चार लाख रुपए खर्च दिखाया गया है. सुझाव दिया कि इस मद का नाम यूनियन खेल की जगह कुछ और होना चाहिए. तर्क दिया कि यूनियन खेल से आशय निकल रहा है कि सभी 214 कमेटी मेंबर खेल रहे हैं या 10 हजार से अधिक यूनियन सदस्य. राकेश की बात पूरी नहीं हो पाई थी कि मंच पर बैठे ऑफिस बेयरर संजय सिंह, अजय चौधरी समेत नीचे कई लोग खड़ा हो गए। इस कदर हूटिंग की गई कि अपनी बात पूरी किए बगैर राकेश कुमार सिंह कुर्सी पकड़ लिए.

शाम में ऑफिस बेयरर के नाते कमेटी मीटिंग में संजय सिंह बोले कि परीक्षा में याद किया सवाल पूछा जाय तो परीक्षार्थी खुश हो जाता है. राकेश कुमार सिंह ने ऐसा ही सवाल उठाया है. स्पोर्ट्स एडवाइजरी कमेटी के प्रमुख के नाते खेल के लिए यूनियन कोष से कुछ नहीं लिया गया। इस कथन पर तालियां भी बजाई गई. फिर कुछ देर बाद अपने ही कथन का खंडन करते हुए उन्होंने कहा कि इंटर यूनियन स्पोर्ट्स के लिए टाटा स्टील प्रबंधन ने टी शर्ट और जूता दिया था. टाटा वर्कर्स यूनियन से नाश्ता और ट्रैक शूट की व्यवस्था की गई.

कमेटी मीटिंग में संजय सिंह ने कहा कि वे स्पोर्ट्स एडवाइजरी कमेटी से 2012 से जुड़े हुए है. उस वक्त भी स्पोर्ट्स के लिए यूनियन कोष से सामान मंगाए गए है. तब खेल से जुड़े परिधान कोलकाता से मंगाए गए थे. उन्होंने खेल को बढ़ावा देने का ईमानदारी से जतन किया है. उनके संबोधन के दौरान भी राकेश कुमार सिंह कुछ बोलने की कोशिश करते रहे। मौका नहीं मिला. यूनियन महामंत्री सतीश सिंह की बोलने की बारी आई तो उन्होंने राकेश कुमार सिंह को बुलाया. माइक थमाई कि अपनी बात पूरी कीजिए. संजय सिंह को संबोधित करते हुए राकेश बोले कि उनका सवाल कोषाध्यक्ष अमोद दुबे से था न कि संजय सिंह से. संजय सिंह नाहक जवाब दे रहे हैं.

वे कोषाध्यक्ष को सुझाव दे रहे थे कि उस मद का नाम बदले. यूनियन कोष के उपयोग या नहीं उपयोग से जुड़ी बात वे पूछे ही नहीं थे. हां, लगे हाथ उन्होंने एक और सुझाव दे डाला कि यूनियन की और भी कमेटी है. अगर वे लोग कमेटी मेंबर और यूनियन सदस्यों के लिए पॉजिटिव सोच के साथ कुछ करना चाहती हैं तो उनका भी वित्तपोषण किया जाना चाहिए.

खैर, कमेटी मीटिंग के बहाने यूनियन कोष से खेलों के आयोजन के लिए लाखों रुपए धन राशि खर्च होने की बात संज्ञान में आने से कमेटी मेंबर चौक गए हैं. पुरानी ऑडिट रिपोर्ट टाटा वर्कर्स यूनियन की आंतरिक सियासत में नया बखेड़ा खड़ा कर सकती है.

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