यूनियन कर्मचारियों के बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए ऋण राशि बढ़ाने पर भड़क गए संजय सिंह
टुन्नू, सतीश और शैलेश ने लिया था फैसला, बखेड़ा के कारण फाइनेंस कमेटी में नहीं हुआ पारित
शिक्षा लोन पर संजय के उखड़ने के बाद कानाफूसी में उखड़ गए यूनियन में कोष दुरुपयोग के गड़े मुर्दे
चरणजीत सिंह.
टाटा स्टील से मान्यता प्राप्त मजदूर संगठन टाटा वर्कर्स यूनियन की फाइनेंस कमेटी की शुक्रवार को यूनियन कार्यालय में बैठक हुई। यूनियन के कर्मचारियों के बच्चों की पढ़ाई के लिए लोन राशि को 3 से बढ़ा कर छह लाख किए जाने पर बखेड़ा हो गया। यूनियन उपाध्यक्ष संजय सिंह इस कदर उखड़ गए कि सारे लोग भौचक रह गए। यद्यपि, संजय सिंह के उखड़ने के बाद यूनियन की राशि से जुड़े कई गड़े मुर्दे बाहर आ गए। टाटा स्टील के कर्मचारियों के चंदा से भरने वाले यूनियन के कोष का मजा यूनियन पदाधिकारी उठा रहे हैं। सीधे अपनी जेब भर रहे हैं। अपनी राजनीति चमकाने के लिए यूनियन कोष में हाथ डाल रहे है। ऐसे कई गड़े मुर्दे फाइनेंस कमेटी की बैठक के बाद कानाफूसी में बाहर आ गए। जाहिर, यह जानकारी टाटा स्टील के कर्मचारियों के लिए चौंकाने वाली है।
सबसे पहले फाइनेंस कमेटी की बैठक की बात। टाटा वर्कर्स यूनियन में 26 कर्मचारी कार्यरत है। यूनियन कर्मचारियों को मासिक वेतन मिलता है। औसतन 25 से 35 हजार। इसके अलावा दुर्गा पूजा के वक्त सालाना बोनस। उनके बच्चों के लिए स्कॉलरशिप का भी कार्यक्रम है। धन मिलने का और कोई श्रोत नहीं है। इंजीनियरिंग जैसे एग्जाम को उत्तीर्ण करने पर फीस की मोटी राशि की समस्या खड़ी होती थी। यूनियन के पूर्व अध्यक्ष रघुनाथ पांडेय, पी एन सिंह, आर रवि प्रसाद और महामंत्री बी के डिंडा के जमाने से यह व्यवस्था बनाई कि यूनियन कर्मचारियों के एक या दो बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए सालाना तीन लाख रुपए बिना ब्याज के लोन पर दिए जाएंगे। अब यूनियन अध्यक्ष संजीव चौधरी उर्फ टुन्नू, महामंत्री सतीश सिंह और डिप्टी प्रेसिडेंट सह फाइनेंस कमेटी के चेयरमैन शैलेश सिंह ने कुछ महीने पहले महंगाई और फीस बढ़ोत्तरी को ध्यान में रख कर लोन राशि में इजाफा करते हुए उसे 3 से छह लाख कर दिया। इसके लिए बाकायदा तीनों शीर्ष पदाधिकारियों ने प्रस्ताव पर दस्तखत किया।
यूनियन में ऑफिस ऑर्डर निकाला गया। शुक्रवार को फाइनेंस कमेटी की बैठक में यह मसला आया तो संजय सिंह उखड़ गए कि तीन को बढ़ा कर छह लाख क्यों किया गया। पहले से जो लोन दिया गया, उसे वापस लिया जाय। आखिकार तर्क दिया कि 6 लाख रुपए के लोन पर ब्याज लिया जाय। यह फैसला पारदर्शी नहीं है। यूनियन अध्यक्ष टुन्नू चौधरी, महामंत्री सतीश सिंह, डिप्टी प्रेसिडेंट शैलेश सिंह से लेकर कोषाध्यक्ष आमोद दुबे तक भौचक। इसकी वजह भी है।
लोन राशि को संबंधित यूनियनकर्मचारी के वेतन से हरेक माह काटे जाने की व्यवस्था है। फिर किसी मेघावी बच्चे की शिक्षा के लिए मदद पर इतनी हाय तौबा। यूनियन पदाधिकारी संजीव तिवारी का सुझाव था कि 3 लाख का लोन ब्याज मुक्त रहे और शेष 3 लाख पर कुछ ब्याज लिया जाना चाहिए। यूनियन नेतृत्व ने सुझावों पर विचार करने का आश्वासन दिया। खैर, फाइनेंस कमेटी की बैठक बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गई। फाइनेंस कमेटी के सदस्य बैठक स्थल से बाहर निकले तो एक एक कर कई गड़े मुर्दे बाहर निकलते गए। आश्चर्य जता रहे थे कि टाटा स्टील के कर्मचारियों के चंदे की राशि को सीधे गड़प किया जाता रहा है तो संजय सिंह या किसी और ने कभी आवाज नहीं उठाई। स्पोर्ट्स कमेटी के चेयरमैन के नाते कोई स्पोर्ट्स कराने के लिए खुद संजय सिंह टाटा स्टील प्रबंधन से राशि स्वीकृत कराने में विफल रहे हैं तो यूनियन के कोष से मोटी रकम लिए है। बिना किसी निर्णय के समाप्त हुई फाइनेंस कमेटी की बैठक में यूनियन पदाधिकारी शाहनवाज आलम, अजय चौधरी, राजीव कुमार चौधरी, नितेश राज, श्याम बाबू के अलावा कमेटी मेंबर टी लाल, गुलाब चंद्र यादव, संजय कुमार सिंह, संजय पांडेय, मनोज मिश्रा, निलेश कुमार, गुरु शरण सिंह, बसंत बाग आदि शामिल हुए।
::: इस हमाम में सब नंगे :::
ऑफिस बेयरर्स कंपनी के खर्च से जाते है बाहर, यूनियन से भी उठाते हैं यात्रा भत्ता
टाटा वर्कर्स यूनियन के ऑफिस बेयरर्स को टाटा स्टील कंपनी अथवा यूनियन से जुड़े किसी कार्य से जमशेदपुर से बाहर जाते है तो उनके आने जाने, ठहरने, भोजन समेत सारी व्यवस्था कंपनी प्रबंधन करता है। जेब से एक पैसा का खर्च नहीं। इसके बावजूद ऑफिस बेयरर्स उस अवधि में बाहर रहने के एवज में यूनियन के कोष से यात्रा भत्ता के नाम पर प्रत्येक दिन का 750 रुपए लेते है। कुछ महीने पहले ऑफिस बेयरर्स पुणे गए थे। सबने यात्रा भत्ता लिया था। संजय समेत किसी ने आपत्ति नहीं उठाई, न नियम का हवाला दिया। नैतिकता की बात ही छोड़िए।
दुर्गा पूजा के बोनस में कंपनी से गिफ्ट तो यूनियन से भी लिए 8/8 हजार का उपहार
टाटा स्टील प्रबंधन द्वारा दुर्गा पूजा के पहले आने कर्मचारियों को सालाना बोनस दिया जाता है। यूनियन के ऑफिस बेयरर्स टाटा स्टील प्रबंधन के साथ वार्ता कर बोनस समझौता कराते है। यूनियन के ऑफिस बेयरर्स को भी समझौता के मुताबिक कर्मचारियों की तरह कंपनी से सालाना बोनस मिलता है। बोनस समझौता में दस्तखत करने वाले सभी ऑफिस बेयरर्स को कंपनी प्रबंधन नकद या गिफ्ट कूपन देता है। व्यवस्था है कि बोनस में शामिल कंपनी अधिकारियों को यूनियन से नकद या गिफ्ट कूपन दिया जाता है। असल मजेदार बात। कंपनी अधिकारियों के साथ यूनियन ऑफिस बेयरर्स भी अपने लिए नकद या गिफ्ट कूपन ले लेते हैं। इस बार भी लिए। सालाना बोनस के अलावा कंपनी से कूपन और यूनियन में जमा कर्मचारियों के चंदा से भी उपहार। क्यों ? शायद ही कोई उत्तर दे सके।
मन हुआ तो माइकल जॉन या क्लब हाउस का किराया माफ
माइकल जॉन ऑडिटोरियम टाटा वर्कर्स यूनियन की संपत्ति है। इसका किराया यूनियन में जमा होता है। एक दिन का किराया लगभग 45 हजार रुपए। यूनियन अध्यक्ष टुन्नू चौधरी और यदा कदा यूनियन महामंत्री सतीश सिंह ऑडिटोरियम के किराया में रियायत देते है। बहुत कम कर देते है। जाहिर है, इससे यूनियन कोष को नुकसान होता है। रियायत देने का आधार क्या है? किसे देना है, किसे नहीं और क्यों देना है? यह सवाल कोई नहीं उठाता। यूनियन की देखरेख में कंपनी एरिया में कई क्लब हाउस संचालित है। क्लब हाउस का किराया यूनियन अध्यक्ष सीधे माफ कर देते है। बड़ी रियायत देते है। कमेटी मेंबरों को मुफ्त या कम किराया पर क्लब हाउस देकर अपने पाले में बनाए रखने की राजनीति होती है। इस पर कोई सवाल नहीं।
फाइनेंस कमेटी में इस साल सबको मिला 10/10 हजार का जूता
टाटा वर्कर्स यूनियन की फाइनेंस कमेटी में सभी ऑफिस बेयरर्स के अलावा कई कमेटी मेंबर है। हरेक साल फाइनेंस कमेटी के सारे लोगों को उपहार कूपन दिया जाता है। इस साल भी दिया गया। एक सदस्य को एक जोड़ी जूता खरीदने के लिए 10 हजार रुपए। यूनियन कोष से 2 लाख से अधिक के सिर्फ जूता खरीद लिए गए, वह भी उपहार में। बाकी मसले पर आपस में जूतम पैजार। 10 हजार के जूता लेने पर किसी ने एक दूसरे पर जुबानी जूते भी नहीं चलाए। वाह रे मजदूर लीडर।
शिष्टाचार मद के 5 हजार के अलावा पुष्पगुच्छ भी अब यूनियन से ही
टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष को कई समारोह, कमेटी मेंबर या कर्मचारी के यहां जाना होता है। विवाह, जन्मदिन, श्राद्ध में शिरकत करते है। इस नाते यूनियन अध्यक्ष को शिष्टाचार मद में यूनियन कोष से हरेक माह 5 हजार रुपए दिए जाते हैं ताकि उनकी जेब ढीली न हो। अब नई परिपाटी जन्म ले रही है। शिष्टाचार मद के पांच हजार लेने के बाद भी किसी समारोह या किसी से मिलने जाने के लिए यूनियन के कोष से ही पुष्पगुच्छ मंगाए जा रहे है। एक पुष्पगुच्छ 2 से तीन सौ का। नया खर्च। कोई इस पर कुछ नहीं बोलता, मानो यूनियन नहीं, अपना राजपाट हो।


