स्टेशन इन गेट के आसपास, आउट गेट से चाईबासा स्टैंड तक आरपीएफ की शह पर चल रहा अतिक्रमण का खेल, अधिकारियों के आने पर कर देते हैं ‘पर्दा’

फतेह लाइव, रिपोर्टर.

भारीतय रेलवे में अलग पहचान रखने वाले दक्षिण पूर्व रेलवे स्टेशन का हाल इन दिनों ‘चांद में दाग’ वाली कहावत की तरह हो गया है. एक ओर देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमृत भारत योजना के तहत करोड़ों खर्च करने की तैयारी में है, ताकि स्टेशन और सुंदर दिखे. उसके इतर, यहां के आरपीएफ अधिकारी प्रधानमंत्री के उक्त सपने का सर्वनाश करने में लगे हैं.

मेंबर ट्रैफिक के दौरे को लेकर स्टेशन क्षेत्र से हटाई जा रही गंदगी

स्टेशन मुख्य द्वार में प्रवेश करने से लेकर निकासी तक का स्थान पूरी तरह अतिक्रमण की चपेट में है. आरपीएफ पोस्ट के सामने धड़ल्ले से बढ़ रहे अतिक्रमण के पीछे आखिर आरपीएफ अधिकारियों को क्या लाभ है? यह राज स्टेशन आने जाने वाले यात्रियों से लेकर स्थानीय लोगों के मुंह से अब निकलने लगा है.

यह भी पढ़े : RAILWAY SCRAP SCAM : टाटानगर के जेम्को स्क्रैप टाल में हुई छापामारी की उच्चस्तरीय जांच की मांग, आरोप-राष्ट्र की संपत्ति का बंदरबांट कर रहें अधिकारी

आरपीएफ में एक नये साहब के आने पर उम्मीदें थी कि स्टेशन की व्यवस्था में बहुत कुछ सुधार होगा, लेकिन हुआ उसके इतर. स्थानीय आधा दर्जन राजपत्रित अधिकारी भी इस अव्यवस्था को देखकर आंख बंद किये हुए हैं. उनकी चुप्पी भी बहुत से सवाल खड़े करती है.
इन सब कारगुजारियों के ऊपर गुरुवार को एक ऐसा नजारा टाटानगर स्टेशन के आसपास देखने को मिला, जब पूरे अतिक्रमण को एकाएक खाली करा दिया गया. कुछ देर के लिए लोग यह सोचने को मजबूर हो गए कि आखिर यह वही जगह है. फतेह लाइव की ओर से इसकी पड़ताल की गई तो यह बात सामने आई कि रेल मंत्रालय में मेंबर ट्राफिक राजेंद्र गोयल जरुली दौरे के क्रम में टाटानगर से होकर जाएंगे. तो क्या था टाटानगर स्टेशन में लगे दाग को आनन-फानन धोने का काम अधिकारियों ने किया.

दौरा रद्द होने पर फिर सज रहा अतिक्रमण

एक-एक ईंट तक को ऐसे हटवा दिया गया, जैसे यहां कभी कुछ था ही नहीं. स्टेशन के पास इतना सुंदर नजारा देखकर लोगों के जेहन से यह बात निकली कि काश मेंबर ट्राफिक साहब रोज टाटानगर स्टेशन आते. शाम को स्थानीय अधिकारियों को पता चला कि उत्तर प्रदेश के गोंडा में ट्रेन बेपटरी हो गई है. तब कोलकाता से मेंबर ट्रैफिक घटनास्थल की ओर कूच कर गए,

आम दिनों ऐसा रहता है नजारा, ट्रैफिक वाले भी अवैध अतिक्रमण पर मेहरबान

जिस कारण उनका टाटानगर आने का दौरा स्थगित हो गया. बस फिर क्या था रात के अंधेरे में आरपीएफ का आदेश सुनकर पुन: अतिक्रमण होना शुरु हो गया. अब सवाल उठता है कि क्या स्थानीय अधिकारी अपने निजी लाभ के लिए टाटानगर स्टेशन की सौंदर्यीता को अतिक्रमण करवा रहे हैं. सीकेपी डिवीजन से कोई उच्च अधिकारी आए तो अतिक्रमण को पर्दे से ढंक दिया जाता है.

मेंबर ट्रैफिक के आने पर शेड से हटवा दी गई दुकानें

निरीक्षण में आये अधिकारियों की नजर उस पर्दे पर क्यों नहीं जाती. वहीं, यदि जोनल मुख्यालय से उससे बड़ा अधिकारी आए तो भी स्थिति जस की तस बनी रहती है. उनके जाते ही फिर अतिक्रमण बसना शुरु हो जाता है. गुरुवार को जब रेलवे मंत्रालय से सबसे बड़े अधिकारी की सूचना हुई तो पूरा अतिक्रमण हटवा दिया गया. यह साबित करता है कि यह अतिक्रमण का खेल स्थानीय अधिकारी चला रहे हैं. इससे होने वाले जाम, गंदगी आदि समस्या से फिर चाहे कोई यात्री परेशान हो या फिर आम आदमी इसकी अधिकारियों को कोई परवाह नहीं है.

महानगर की तर्ज पर चलाई कार सेवा, लेकिन ठेकेदार ने बना लिया अवैध कमाई का धंधा

टाटानगर में महानगरों की तर्ज पर यात्रियों की सुविधा के लिए व्हील आन कैब के नाम से कार सेवा शुरु की थी. इसके लिए ठेकेदार को फुटपाथ घेरकर शेड बनाकर दी गई, ताकि यात्रियों को स्टेशन से निकलकर गंतव्य तक जाने में अच्छी सवारी मिल सके, लेकिन उससे इतर यहां तो अधिकारियों को खिला पिलाकर उक्त योजना को भी अवैध कमाई का अड्‌डा बना लिया गया. उक्त शेड में कार की बजाय लोगों को सिगरेट, गुटखा आदि नशा का सामान दिया जाने लगा. खाद्य एवं पेय पदार्थों की बिक्री यहां होती है लेकिन वह भी तय मूल्य से दोगुने दाम पर. इस ठेकेदार के पीछे अधिकारी मेहरबान क्यों है कि सारे नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है. ऊपर से इन अवैध दुकानों में रेलवे की बिजली भी किस हिसाब से संचालित हो रही है. अगर इसकी जांच होती है तो रेलवे को लगने वाले राजस्व का पता चलेगा.

डीआरएम के आने पर ऐसे कर दिया जाता है पर्दा

इन गेट में बंद कराई दुकानें फिर…

टाटानगर आरपीएफ में जब नए अधिकारी बने तो इन गेट की दुकानों को बंद करा दिया गया. काफी दिन दुकानें बंद रहने के बाद आखिर उन्हें चालू करने का फरमान हो गया. इसी बीच चाईबासा बस स्टैंड की अवैध दुकानों से भी सेटिंग हो गई. इस कारण मुख्य सड़क पर जाम की स्थिति बनी रहती है. अव्यवस्था कायम है.

नाईट आउट बैंक्वेट हॉल में भी व्याप्त है अव्यवस्था

इस हॉल का निर्माण वरीय अधिकारियों के निर्देश पर शादी पार्टी, जन कल्याण के कार्यों के लिए किया गया था, लेकिन उससे इतर यहां भी अवैध धंधे संचालित हो रहे हैं. पुराने पेटी ठेकेदार के गोली चालन के मामले में लाल घर जाने के बाद इसका संचालन पुराने अधिकारी ने अपने गोतिया भाई को दे दिया था. यह चर्चा लोगों के बीच रही. हॉल के इर्द-गिर्द भी अवैध रूप से दुकाने खुलवा दी गई. अधिकारियों की आवाजाही से जिसे बंद करा दिया जाता है एवं अन्य दिनों अवैध वेंडिंग का खेल यहीं से चलता है. नए साहब ने भी इस अव्यवस्था के खिलाफ डंडा नहीं उठाया. सूत्र बताते हैं कि इन सब अवैध धंधों के पीछे आरपीएफ से ही सेटिंग गेटिंग होती है. अभी एक चाय बाबू की गोतियागिरी रेल क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है. पिछले दिनों एक लोहा चोर को लेकर भी गोतियागिरी का आरोप लगा था.

 

Share.
© 2025 (ਫਤਿਹ ਲਾਈਵ) FatehLive.com. Designed by Forever Infotech.
Exit mobile version