फतेह लाइव, रिपोर्टर.
टाटानगर रेलवे स्टेशन में इन दिनों अव्यवस्था का माहौल है. अभी टाटानगर स्टेशन पार्किंग का मामला गरमाया हुआ है. इसी बीच बुधवार को रेलवे पार्सल पार्किंग में ठेकेदार और उसके कर्मियों के कारण रेलवे प्रशासन को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है.
बहरहाल, गुरुवार सुबह एक पार्सल एजेंट मैनुल खान अपने कार्य से पार्सल आया. उसने पार्किंग गेट के बाहर अपनी स्कूटी खड़ी की और पार्सल कार्यालय जाने लगे. इसी बीच वहां पार्सल पार्किंग ठेकेदार के तथाकथित कर्मी (एजेंट सबका लेबर) कुंदन वहां मैन्युअल खान से उलझ गया और पार्किंग शुल्क देने की मांग करने लगा.
चूंकि मैन्युअल खान पंचायत समिति सदस्य हैं, उन्हें पार्किंग कर्मी का व्यवहार नागवार लगा और अपनी बात रखी कि वह पार्किंग का क्षेत्र नहीं है. इस पर अंदर बैठे ठेकेदार की शह पर कर्मचारी अपना आपा खो गया. दोनों के बीच खूब गाली गलौज हुई. धक्का मुक्की के साथ साथ एक दूसरे को देख लेने की नौबत तक आ गई. आरोप यह भी है इससे पूर्व ब्रिज के ऊपर मंदिर परिसर में ठेकेदार ने कर्मियों के साथ गिलास लड़ाया था और गांजा का सेवन किया था. उसके बाद यह घटना हो गई.
दिन में चार चक्का मालवाहक वाहन से भी हुई उलझन
बताया जाता है कि इससे पूर्व पार्सल पार्किंग में प्रवेश किये चार चक्का 407 वाहन चालक से भी पार्किंग कर्मियों ने उलझन की. आरोप है कि चार चक्का वाहन का पार्किंग शुल्क 59 है, लेकिन जब से पार्किंग संचालित हो रही है तब से उनसे जबरन तीन सौ रूपये लिए जाते हैं. इसकी रसीद भी नहीं दी जाती. अगर कोई अड़ गया तो 59 रूपये वाली छह-सात-आठ जितनी बुक से निकल जाये थमा दी जाती है.
यहां मामला उठता है कि रेलवे बोर्ड का आदेश है कि जहां भी पार्किंग होगी वहां कंप्यूटराइज टिकट का प्रावधान लागू करना है, लेकिन यहां दो साल बीत जाने के बाद भी यह नियम लागू क्यों नहीं हुआ. यह जांच का विषय है. इसमें एक वाणिज्य अधिकारी का ठेकेदार के ऊपर हाथ होने की बात कही जा रही है. पार्सल में पैसेंजर ऑटो लगवाए जाते हैं. पार्सल पार्किंग होने के नाते यहां लोगों की आवाजही नहीं होनी चाहिए, लेकिन यहां ऑटो वालों से पार्किंग शुल्क लेने के लिए पेसेंजर चढ़वाये जाते हैं.
आरपीएफ बनी रहती है मूकदर्शक
पार्सल पार्किंग में सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने को लेकर स्थाई रूप से आरपीएफ बूथ स्थापित की गई है, लेकिन ऐसी पूरी अव्यवस्था के माहौल में वहां तैनात जवानों की चुप्पी भी ठेकेदार के साथ सांठ गांठ की पोल खोलती है. वीडियो भी इसकी पोल खोलती है.
सीसीआई तक पहुंचा मामला
बुधवार का विवाद टाटानगर स्टेशन के सीसीआई शंकर झा तक पहुंचा. उन्होंने भुक्तभोगी पक्ष की बातों को सुना. उसके बाद मां छिनमस्तिके इंटरप्राइजेज के ठेकेदार विशाल सिंह उर्फ छोटू को तलब किया है. मालूम हो कि यह ठेकेदार स्टेशन में दो दो बार किन्नरों से बुरी तरह पिट चुका है. एक बार रात में तो आरपीएफ पोस्ट घुसकर उसने अपनी इज्जत बचाई थी. अपनी पार्किंग में ही कई बार विशाल सिंह फरहान नामक पार्सल एजेंट से पीटा चुका है. मंगलवार को भी उससे बहस हुई थी. यह घटनायें नित होते रहती हैं.
सीसीटीवी में कैद है अवैध गतिविधि
सूत्र बताते हैं कि पार्सल पार्किंग से गुजरने वाले गरीब आदिवासी सब्जी वालों से भी अवैध वसूली की जाती है. पार्किंग के कार्यालय को विस्तार कर एक गोदाम रखा गया है, जहां अवैध रूप से सामान रखे जाते हैं. फिलहाल वह फूल का गोदाम बना हुआ है. इसी में बैठकर गांजा और शराबखोरी का नशा किया जाता है, जिसके बाद पार्सल में आने जाने वालों से रंगदारी वसूली जाती है.
यह मामले सीसीटीवी में कैद होने चाहिए, लेकिन सीसीटीवी ठेकेदार का है, सो वह यह अव्यवस्था को उड़ा देते हैं और लोगों को फंसाने के लिए गलत दस्तावेज बनाकर रेलवे प्रशासन को प्रस्तुत करता हैं, जिसकी जांच होने से दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है.
खुद सीसीआई शंकर झा और अन्य अफसर भी यह स्वीकार करते हैं कि वहां मनमानी होती है. कितनी बार उसे जुर्माना किया गया है, लेकिन उसमें कोई सुधार नहीं हो रहा है. तो फिर किस प्रलोभन में ठेकेदार को रखकर रेलवे की साख धूमिल कराई जा रही है. यह भी एक बड़ा सवाल है? इसके इतर, अन्य पार्सल एजेंटों में पार्किंग ठेकेदार द्वारा की जाने वाली बदसलूकी को लेकर अंदर ही अंदर रोष बना हुआ है, जो कभी भी फूट सकता है?