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कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने जातिगत जनगणना का फैसला लेने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्रांतिकारी कदम बताया है। कुलविंदर सिंह के अनुसार यह समाजवादी नेताओं और भक्ति आंदोलन के महान भारतीय संतो को प्रधानमंत्री की सच्ची श्रद्धांजलि है। कुलविंदर सिंह के अनुसार सदियों से दबे कुचले लोगों को सम्मान के साथ जीने का मार्ग भक्ति आंदोलन के संतों ने दिया और इस देश की विविध धर्म, पंथ और विरासत को बनाए रखने में बड़ी भूमिका अदा की।

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आजादी के बाद राम मनोहर लोहिया, मधु लिमये की सामाजिक न्याय की राजनीति को धार देने का काम शरद यादव, मुलायम सिंह यादव, लालू यादव, रामविलास पासवान नीतीश कुमार आदि ने किया। वर्तमान में उनकी आवाज राहुल गांधी बने हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने भी सोशल इंजीनियरिंग के तहत वंचित समाज को मुख्य धारा में लाने और नेतृत्व देने का सराहनीय काम किया। जिसका परिणाम है कि आज देश का नेतृत्व नरेंद्र मोदी कर रहे हैं और कई राज्यों में सरकार का नेतृत्व ओबीसी का है। इसके बावजूद समाज का एक वर्ग जाति का जनगणना को देश के लिए हानिकारक बताते हुए इसके मार्ग में लगातार रोड़े अटका रहा था जिसमें कई केंद्रीय मंत्री एवं साधु संत शामिल रहे। ईडब्ल्यूएस पर सरकार की जमकर तारीफ करनेवाले जातिगत जनगणना का विरोध करते रहे। उनके विरोध को दरकिनार कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने यह फैसला लिया है, अब वे संविधान सभा प्रारूप समिति के अध्यक्ष भीमराव अंबेडकर एवं पिछड़ा आयोग की अनुशंसा लागू करने वाले विश्वनाथ प्रताप सिंह की श्रेणी में शामिल हो गए हैं और इतिहास में हमेशा के लिए अजर अमर रहेंगे।

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