फतेह लाइव, रिपोर्टर.

साहिबगंज जिले के भोगनाडीह में हूल दिवस के अवसर पर शहीद सिदो-कान्हू के वंशजों को पूजा और श्रद्धांजलि देने से रोकना और उसके बाद उन पर लाठीचार्ज करना झारखंड के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज होगा। यह घटना न केवल आदिवासियों के आत्म-सम्मान पर हमला है बल्कि राज्य सरकार की जनविरोधी मानसिकता को भी उजागर करती है। आदिवासी सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष रमेश हांसदा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर घटना की कड़ें शब्दों में निंदा की है।

उन्होंने कहा कि जिन शहीदों के बलिदान के कारण आज संथाल परगना और पूरे झारखंड में आदिवासी समाज का मनोबल ऊंचा है, आज उन्हीं शहीदों के वंशजों को श्रद्धांजलि देने से रोकना और लाठी-डंडों का सामना कराना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह घटना राज्य सरकार और प्रशासन के लिए शर्म की बात है।

आदिवासी सुरक्षा परिषद इस घटना की कड़ी निंदा करती है और मुख्यमंत्री से मांग करती है कि इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए। दोषी अधिकारियों पर तत्काल सख्त कार्रवाई की जाए। यदि सरकार इस मामले में कार्रवाई नहीं करती है तो यह साफ समझा जाएगा कि यह सब राज्य सरकार के इशारे पर हो रहा है। यह घटना संथाल समुदाय समेत पूरे आदिवासी समाज को गहरे आघात देने वाली है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि संथाल समुदाय एक क्रांतिकारी और संघर्षशील समाज रहा है। यदि सरकार और प्रशासन ने समय रहते अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किया तो आने वाले दिनों में व्यापक जन आंदोलन और हड़ताल की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।

आदिवासी सुरक्षा परिषद ने घोषणा की है कि 1 जुलाई को पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय में इस घटना के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया जाएगा। यदि इसके बावजूद भी सरकार और प्रशासन ने स्थिति का संज्ञान नहीं लिया, तो आगे और व्यापक आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी। हम झारखंड मुक्ति मोर्चा और अन्य जनप्रतिनिधियों से भी अपील करते हैं कि इस गंभीर घटना पर अपनी स्पष्ट प्रतिक्रिया दें और शहीद परिवारों के साथ खड़े हों। अगर राजनीतिक दलों ने चुप्पी साधी तो जनता उन्हें सबक सिखाने से पीछे नहीं हटेगी।

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