- सुरेश साव बोले- आदिवासी समाज के बलिदान को नहीं भूल सकता देश, गांव की अनदेखी कर रहे जनप्रतिनिधि
- हूल क्रांति की विरासत को संजोने का संकल्प, आदिवासी नेताओं को किया गया सम्मानित
फतेह लाइव, रिपोर्टर
गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र के पीरटांड प्रखंड के मोनाटांड में आदिवासी एकता समिति के द्वारा हूल दिवस समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा की विधिवत पूजा और परंपरागत नृत्य के साथ हुई. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश कार्यसमिति सदस्य (भाजपा) सुरेश साव उपस्थित रहे. समिति के सदस्यों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. कार्यक्रम में पीरटांड प्रखंड के सभी पंचायतों से आए आदिवासी समाज के प्रमुख नेताओं को सम्मानित किया गया. सुरेश साव ने अपने भाषण में हूल विद्रोह के नायकों की वीरता और बलिदान को याद करते हुए कहा कि 1855 में जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए शुरू हुई यह क्रांति अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला देने वाली थी.
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सिद्धो-कान्हू की शौर्यगाथा, परंपरा और प्रेरणा का प्रतीक
सुरेश साव ने हूल दिवस को आदिवासी चेतना का प्रतीक बताते हुए कहा कि सिद्धो-कान्हू, फूलो-झानो जैसे जननायकों का बलिदान आज भी प्रेरणास्रोत है. उन्होंने वर्तमान सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि पीरटांड से जीतने वाले जनप्रतिनिधि चुनाव के बाद गांव का रुख तक नहीं करते. गांवों में आज भी मूलभूत समस्याओं का अंबार है, लेकिन शासन-प्रशासन को इससे कोई लेना-देना नहीं. उन्होंने कहा कि झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन की सरकार आदिवासी हितैषी होने का दिखावा करती है, जबकि वास्तविकता यह है कि आदिवासी समाज की भावनाओं को बार-बार ठेस पहुंचाई जा रही है.
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ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा पर गरजे सुरेश साव, जनप्रतिनिधियों को बताया जिम्मेदार
इस आयोजन में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे, जिनमें बिट्टू टुडू, संतोष सोरेन, विमल सोरेन, जालेश्वर बेसरा, बीरबल किस्कू, सुरेन्द्र बेसरा, सरकल हेम्ब्रम, मिरू लाल मुर्मू, राजेश टुडू, शंभू सिंह, अतवारी हेम्ब्रम, अंबुज मोदक, रिंकी देवी, राजेश जायसवाल, राजेश गुप्ता, इनोद साव, प्रदीप शर्मा, जगदीश साव समेत अन्य गणमान्य नागरिक शामिल थे. सभी ने एक स्वर में कहा कि आदिवासी समाज के हक और अधिकार की रक्षा के लिए संगठित रहना होगा और हूल विद्रोह की भावना को जीवित रखना होगा.